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हम जीतेंगे यह बात भी नि‍श्‍च‍ित है:सरसंघचालक मोहन भागवत

सफलता अंत‍िम नहीं है, आघातों में पचाकर धैर्य की प्राप्‍त‍ि तक सतत् प्रयास के साथ संकल्‍प के साथ आगे बढ़ें तो हम जीतेंगे यह बात नि‍श्‍च‍ित है – सरसंघचालक मोहन भागवत

‘हम जीतेंगे पाजिटिविटी अनलिमिटेड’ के तहत पांच दिवसीय व्याख्यानमाला के अंतिम दिन शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन के दौरान देश में कोविड-19 महामारी को लेकर देश के लोगों को अहम संदेश दिया। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इस महामारी के समय देश कठिन दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में देश के सभी नागरिकों को भेदभाव भूलकर एक टीम की तरह काम करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि हमलोग जीतेंगे जरूर। उन्होंने कहा कि इस संकट की घड़ी में हमें साकारात्मक रहना है और सावधानी बरतनी होगी।

हम जीतेंगे यह बात भी नि‍श्‍च‍ित है

व्याख्यानमाला के अंतिम दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपने संबोधन के दौरान बहुत सी अहम बातें कहीं। कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे और प्रभाव पर उन्होंने यह भी कहा कि हालात विपरीत हैं, लेकिन हम जीतेंगे यह बात भी नि‍श्‍च‍ित है। उन्होंने कहा कि समाज की जो भी आवश्‍यकता है संघ के स्‍वयंसेवक पूर्त‍ि में लगे हैं। अब जो पर‍िस्‍थि‍त‍ि है उसमें खुद को सुरक्ष‍ित रखना है। वर्तमान पर‍िस्‍थ‍ित‍ि कठ‍िन है और नि‍राश करने वाली है, लेक‍िन नकारात्‍मक नहीं होना है और मन को भी नकारात्‍मक नहीं रखना है। साथ ही कहा कि जब तक जीत न जाएं तब तक लड़ना है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 आपदा के समय में मानवता पर है। समूचे भारत को विश्व के सामने अपना उदाहरण रखना है। भारत को एक समूह के नाते सारे भेद भूलकर सभी को एक टीम की तरह काम करना है। व्याख्यानमाला में संघ प्रमुख ने कहा कि वर्तमान स्थिति कठिन है और नि‍राश करने वाली है, लेक‍िन नकारात्‍मक नहीं होना है और मन को नकारात्‍मक नहीं रखना है।

सावधानी हटती है तो दुर्घटना घटती है, गड़बड़ हो गई तो उपचार लें।

मोहन भागवत ने कहा कि देर से जागे कोई बात नहीं है, लेकिन अंतर भरकर आगे न‍िकलना चाहि‍ए। ऑनलाइन सीखने की व्‍यवस्‍था हो गई है। बहुत कठ‍िन क्र‍ियाएं नहीं, बल्कि सात्‍व‍िक आहार, शरीर की ताकत को बढ़ाने वाला आधार हो, पर वैज्ञानिकता का भी आधार हो। जो भी आ रहा है उसको परखकर लेना चाह‍िए। हमारा स्‍वयं का अनुभव व वैज्ञानि‍क परीक्षण के आधार पर लें। हमारी ओर से बेस‍िर पैर की बात न जाएं। आयुर्वेद के पीछे तर्क है, उसे लेने में कोई द‍िक्‍कत नहीं है, पर सबको लाभ हो ऐसा भी नहीं। ऐसे में सावधानी रखकर उपचार और आहार का सेवन होना चाह‍िए। खाली मत रहि‍ए कुछ नया सीख‍िए, बच्‍चों से संवाद कायम करे। कुटुंब का भी। पर्याप्‍त अंतर पर रहकर संपर्क, स्‍वच्‍छता कापालन करना, मास्‍क लगाएं। सावधानी हटती है तो दुर्घटना घटती है। गड़बड़ हो गई तो उपचार लें।

आज इस आपदा से लड़ने की पर‍िस्‍थ‍ित‍ि है

सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि मन की दृृ़ढता सामूहि‍कता से काम करने और सत्‍य की पहचान करते हुुए काम करने की बात पूर्व के वक्‍ताओं ने की है। मुख्‍य बात मन की है। मन अगर थक गया, तो दिक्कत होगी। जैसे सांप के सामने चूहा अपने बचाव के लि‍ए कुछ नहीं करता। ऐसा नहीं होने देना है। वि‍कृत‍ि के बीच संस्‍कृत‍ि की बात सामने आ रही है। वर्तमान समय न‍िराशा का नहीं लड़ने की पर‍िस्‍थ‍ित‍ि है।

यह वक्त परिक्षा का है, हमें एकजुट रहना है।

मोहन भागवत ने कहा, वर्तमान कोरोना महामारी से बनी परिस्थितियों में तर्कहीन बयान देने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा, यह वक्त परीक्षा का है। हमें एकजुट रहना है और टीम की तरह काम करना है। उन्होंने कहा, सफलता और असफलता अंतिम नहीं हैं। जारी रखने का साहस ही मायने रखता है। सरसंघचालक ने कहा, हम सभी आम जनता, सरकार और प्रशासन, पहली लहर के बाद आत्मसंतुष्ट हो गए। यही वजह है कि अब हम समस्या का सामना कर रहे हैं। अब तीसरी लहर की बात हो रही है लेकिन हमें डरने की नहीं बल्कि खुद को तैयार करने की जरूरत है।

आघातों में पचाकर धैर्य की प्राप्‍त‍ि तक सतत् प्रयास के साथ संकल्‍प के साथ आगे बढ़ें तो हम जीतेंगे

सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपने व्याख्यान में कहा कि जन प्रबोधन और जन प्रश‍िक्षण का हमेशा बड़ा महत्‍व है। हमें प्रत्‍यक्ष सेवा करनी है तो उनके लि‍ए बेड-ऑक्‍सीजन की व्‍यवस्‍था करनी है। जिस तरह की सेवा पहली लहर में की थी। अब उससे अध‍िक करने की आवश्‍यकता है। बच्‍चों की शि‍क्षा में प‍िछड़ने का दूसरा वर्ष, वह ज्ञान में न पि‍छड़े इसकी चि‍ंता है। रोज कमाने-खाने वाले का रोजगार बंद न हो। उनकी चि‍ंता होनी चाहिए और वह भूखे न रहें। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आने वाले दिनों में इसके कारण देश में आर्थि‍क क्षेत्र में प‍िछड़ने की बात भी होगी। ऐसे में स्‍कील ट्रेंनि‍ग और मटके जैसे हस्‍तश‍िल्‍प को बढ़ावा देकर संबल हो सकता है। नि‍यम, व्‍यवस्‍था व अनुशासन का पालन कर आगे बढ़ना होगा। कुछ बात है क‍ि हस्‍ती म‍िटती नहीं हमारी। यह हमारे धैर्य की परीक्षा है। यश-अपयश का खेल चलता है। सफलता अंत‍िम नहीं है। आघातों में पचाकर धैर्य की प्राप्‍त‍ि तक सतत् प्रयास के साथ संकल्‍प के साथ आगे बढ़ें तो हम जीतेंगे यह बात नि‍श्‍च‍ित है।

pratyancha web desk

प्रत्यंचा दैनिक सांध्यकालीन समाचार पत्र हैं इसका प्रकाशन जबलपुर मध्य प्रदेश से होता हैं. समाचार पत्र 6 वर्षो से प्रकाशित हो रहा हैं , इसके कार्यकारी संपादक अमित द्विवेदी हैं .

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