
सुप्रीम कोर्ट कहा कि हम अपने लिए कमेटी बना रहे हैं । कमेटी के सामने कोई भी जा सकता है ।
अनुभव अवस्थी
देश में चल रहे कृषि आंदोलन को लेकर कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं और किसान आंदोलने से जुड़े याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज जोरदार सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है और एक कमेटी का गठन करने का आदेश दिया है।
वहीं कल केंद्र पर सख्ती से पेश आते हुए, भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कृषि कानूनों को लागू करने के पीछे की प्रक्रिया पर सवाल उठाया और सरकार द्वारा जिस तरह से विरोध प्रदर्शनों को लिया जा रहा है, उस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी निराशा व्यक्त की। कोर्ट द्वारा एक समिति के गठन का सुझाव दिया गया, जो जांच करेगी कि क्या कानून सार्वजनिक हित में है या नहीं।
आज हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाने की बात पर जोर देते हुे कहा कि कमेटी हम बनाएंगे ही, दुनिया की कोई ताकत उसे बनाने से हमें नहीं रोक सकती है। हम जमीनी स्थिति समझना चाहते हैं। इसके बाद अटार्नी जनरल ने कहा कि कमेटी अच्छा विचार है हम उसका स्वागत करते हैं।
कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिका दायर करने वाले एडवोकेट एम एल शर्मा ने बताया किसानों के बारे में वास्तविक तथ्य कल अदालत के सामने नहीं रखे जा सकते हैं। मुझे आज सुबह कुछ किसानों का फोन आया कि वे किसी भी समिति के सामने पेश होने को तैयार नहीं हैं
-कृषि कानूनों पर आगे चीफ जस्टिस ने कहा कि यह समिति हमारे लिए होगी। आप सभी लोग जो इस मुद्दे को हल करने की उम्मीद कर रहे हैं, इस समिति के समक्ष जाएंगे। यह न तो कोई आदेश पारित करेगा और न ही आपको दंडित करेगा, यह केवल हमें एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
सीजेआई ने कहा कि हम एक समिति इसलिए बना रहे हैं ताकि हमारे पास एक स्पष्ट तस्वीर हो। हम यह तर्क नहीं सुनना चाहते कि किसान समिति में नहीं जाएंगे। हम समस्या को हल करने के लिए देख रहे हैं। अगर आप (किसान) अनिश्चितकालीन आंदोलन करना चाहते हैं, तो आप ऐसा कर सकते हैं।
समिति इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है। हम CJI कहते हैं, हम कानूनों को निलंबित करने की योजना बना रहे हैं लेकिन अनिश्चित काल के लिए नहीं ।
किसानों की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील एमएल शर्मा ने कहा कि किसानों का कहना है कि कई व्यक्ति चर्चा के लिए आए थे, लेकिन इस बातचीत के जो मुख्य व्यक्ति हैं, प्रधानमंत्री नहीं आए। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम प्रधानमंत्री को नहीं कह सकते कि आप मीटिंग में जाओ। वह इस केस में कोई पार्टी नहीं हैं।
जब आपका आधिपत्य आदेश पारित करता है, तो यह संकेत दिया जा सकता है कि यह किसी के लिए जीत नहीं है। CJI: यह निष्पक्ष खेल की जीत है। साल्वे: हां, यह निष्पक्ष खेल और अदालत के विवेक की जीत होगी।
आंदोलनकारियों का समर्थन कर रहे वकील विकास सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि लोगों को रामलीला मैदान में जगह मिलनी चाहिए। जहां मीडिया भी उन्हें देख सके। इसपर कोर्ट ने सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या अभी तक किसी ने रैली के लिए प्रशासन को आवेदन दिया? मुख्य न्यायाधीश ने अपने बयान में कहा कि हम आदेश में कहेंगे कि रामलीला मैदान या अन्य स्थानों पर विरोध प्रदर्शन के लिए किसान दिल्ली पुलिस आयुक्त की अनुमति के लिए आवेदन कर सकते हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमको ऐसा भी सुनने को मिला है कि प्रतिबंधित संगठन भी आंदोलन में लगे हैं। इसपर CJI ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि क्या आप इसकी पुष्टि करते हैं? अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि हम कहना चाहते हैं कि खालिस्तानियों ने विरोध प्रदर्शनों में घुसपैठ की है। CJI बोले- आप कल तक इस पर हलफनामा दीजिए। इसका मतलब यह नहीं कि हम पूरे मामले पर आज आदेश नहीं देंगे। आदेश आज ही आएगा। आप इस पहलू पर कल तक जवाब दें।
किसान संगठन के चारों वकील प्रशांत भूषण, दुष्यंत दवे, एच.एस. फुल्का, कोलिन गोंजाल्विस आज की सुनवाई में शामिल नहीं हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक कोर कमेटी की बैठक करेंगे। इसके बाद, हम अपनी कानूनी टीम के साथ इस पर चर्चा करेंगे और तय करेंगे कि क्या करना है।’