आज का नया भारत, समस्याओं के समाधान पर जोर लगाता है, टालता नहीं है – पीएम मोदी

पहले बैंक के डूबने पर जमाकर्ताओं को सिर्फ एक लाख रुपये तक ही मिलने का प्रावधान था। गरीबों व मध्यम वर्ग की चिंता को समझते हुए हमने इस राशि को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया: प्रधानमंत्री @narendramodi pic.twitter.com/q91NAfdEiZ
— MyGovIndia (@mygovindia) December 12, 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दिल्ली के विज्ञान भवन में बैंक डिपॉजिट इंश्योरेंस प्रोग्राम में शामिल हुए। उन्होंने ‘डिपॉजिट फर्स्ट: पांच लाख रुपये तक के समयबद्ध जमा राशि बीमा भुगतान की गारंटी’ विषय पर आधारित समारोह में सम्मलित हुए । प्रधानमंत्री ने इस समारोह को संबोधित करते हुए कहा आज के आयोजन का जो नाम दिया गया है उसमें Depositors First की भावना को सबसे पहले रखना, इसे और सटीक बना रहा है। बीते कुछ दिनों में एक लाख से ज्यादा Depositors को बरसों से फंसा हुआ उनका पैसा वापस मिला है। ये राशि 1300 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है।

आज देश के लिए बैंकिंग सेक्टर के लिए और देश के करोड़ों बैंक अकाउंट होल्डर्स के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन है। दशकों से चली आ रही एक बड़ी समस्या का कैसे समाधान निकाला गया है, आज का दिन उसका साक्षी बन रहा है।कोई भी देश समस्याओं का समय पर समाधान करके ही उन्हें विकराल होने से बचा सकता है। लेकिन वर्षों तक एक प्रवृत्ति रही की समस्याओं को टाल दो। आज का नया भारत, समस्याओं के समाधान पर जोर लगाता है, आज भारत समस्याओं को टालता नहीं है।उन्होंने ‘डिपॉजिट फर्स्ट: पांच लाख रुपये तक के समयबद्ध जमा राशि बीमा भुगतान की गारंटी’ विषय पर आधारित समारोह में कहा कि हम जानते हैं कि बैंक डूबने पर कई दिनों तक खबरें चलती रहती हैं। आज देश ने बहुत बड़ा बदलाव किया, बहुत बड़ी मजबूत व्यवस्था शुरू की है, जिसमें जमाकर्ताओं को उनका पैसा वापस दिलाया जा रहा है। इसकी भी इतनी ही चर्चा मीडिया में हो।
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अगर बैंक डूबा, तो Depositors को, जमाकर्ताओं को सिर्फ एक लाख रुपए तक ही मिलने का प्रावधान था। ये पैसे भी कब मिलेंगे, इसकी कोई समय सीमा नहीं तय थी। गरीब की चिंता को समझते हुए, मध्यम वर्ग की चिंता को समझते हुए हमने इस राशि को बढ़ाकर फिर 5 लाख रुपए कर दिया।हमारे देश में बैंक डिपॉजिटर्स के लिए इंश्योरेंस की व्यवस्था 60 के दशक में बनाई गई थी। पहले बैंक में जमा रकम में से सिर्फ 50 हजार रुपए तक की राशि पर ही गारंटी थी। फिर इसे बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दिया गया था। कानून में संसोधन करके एक और समस्या का समाधान करने की कोशिश की है। पहले जहां पैसा वापसी की कोई समयसीमा नहीं थी, अब हमारी सरकार ने इसे 90 दिन यानि 3 महीने के भीतर अऩिवार्य किया है। यानि बैंक डूबने की स्थिति में भी, 90 दिन के भीतर जमाकर्ताओं को उनका पैसा वापस मिल जाएगा।
आज भारत का सामान्य नागरिक कभी भी, कहीं भी, सातों दिन, 24 घंटे, छोटे से छोटा लेनदेन भी डिजिटली कर पा रहा है।
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कुछ साल पहले तक इस बारे में सोचना तो दूर, भारत के सामर्थ्य पर अविश्वास करने वाले लोग इसका मज़ाक उड़ाते फिरते थे: PM @narendramodi
बीते वर्षों में अनेक छोटे सरकारी बैंकों को बड़े बैंकों के साथ मर्ज करके, उनकी कैपेसिटी, कैपेबिलिटी और ट्रांसपेरेंसी, हर प्रकार से सशक्त की गई है। जब RBI, को-ऑपरेटिव बैंकों की निगरानी करेगा तो, उससे भी इनके प्रति सामान्य जमाकर्ता का भरोसा और बढ़ेगा।हमारे यहां समस्या सिर्फ बैंक अकाउंट की ही नहीं थी, बल्कि दूर-सुदूर तक गांवों में बैंकिंग सेवाएं पहुंचाने की भी थी। आज देश के करीब-करीब हर गांव में 5 किलोमीटर के दायरे में बैंक ब्रांच या बैंकिंग कॉरस्पोंडेंट की सुविधा पहुंच चुकी है।आज भारत का सामान्य नागरिक कभी भी, कहीं भी, सातों दिन, 24 घंटे, छोटे से छोटा लेनदेन भी डिजिटली कर पा रहा है। कुछ साल पहले तक इस बारे में सोचना तो दूर, भारत के सामर्थ्य पर अविश्वास करने वाले लोग इसका मज़ाक उड़ाते फिरते थे।
जनधन योजना के तहत खुले करोड़ों बैंक अकाउंट्स में से आधे से अधिक महिलाओं के ही हैं।
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इन बैंक अकाउंट्स का महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण पर जो असर हुआ है, वो हमने हाल में आए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में भी देखा है: PM @narendramodi
ऐसे अनेक सुधार हैं जिन्होंने 100 साल की सबसे बड़ी आपदा में भी भारत के बैंकिंग सिस्टम को सुचारु रूप से चलाने में मदद की है। जब दुनिया के समर्थ देश भी अपने नागरिकों तक मदद पहुंचाने में संघर्ष कर रहे थे, तब भारत ने तेज़ गति से देश के करीब-करीब हर वर्ग तक सीधी मदद पहुंचाई।जनधन योजना के तहत खुले करोड़ों बैंक अकाउंट्स में से आधे से अधिक महिलाओं के ही हैं। इन बैंक अकाउंट्स का महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण पर जो असर हुआ है, वो हमने हाल में आए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में भी देखा है। पूरे देश में आज लगभग 8.5 लाख बैंकिंग टच प्वाइंट्स हैं। डिजिटल इंडिया के माध्यम से हमने देश में बैंकिंग और वित्तीय समावेश को नई बुलंदी दी है।