जन्मदिवसप्रत्यंचा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय सरसंघचालक मधुकर दत्तात्रय देवरस उपाख्य “बालासाहब देवरस” का आज जन्म अवतरण दिवस

अनुभव अवस्थी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, अपनी सुदीर्घ यात्रा में संघ ने आदर्श, अनुशासन, सामाजिक एवं व्यक्ति निर्माण के कार्य में नित नये प्रतिमान स्थापित किए हैं। अपनी इस यात्रा में संघ कहीं ठहरा नहीं। निरंतर गतिमान रहा। समय के साथ कदमताल करता रहा। दशों दिशाओं में फैलकर संघ ने समाज जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। जबकि उसके आगे-पीछे प्रारंभ हुए अनेक अच्छे संगठन काल-कवलित हो गए। उनके उद्देश्य भी श्रेष्ठ थे। संघ अपने कर्मपथ पर अडिग़ रहा, उसका प्रमुख कारण है- सरसंघचालक की अनूठी व्यवस्था।
संघ में सरसंघचालक नेतृत्वकारी पद नहीं है, बल्कि मार्गदर्शक और प्रेरणा का केंद्र है। संस्थापक सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार के समय से स्थापित मानदंड अब तक स्थायी हैं। सिंहासन बत्तीसी की कहानी हम सबको भली प्रकार ज्ञात है। विक्रमादित्य के प्रताप से सिंहासन ही सिद्ध हो गया था। बाद में, जो भी उस पर बैठा, उसने विक्रमादित्य के सुशासन को ही आगे बढ़ाया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सरसंघचालक का दायित्व भी श्रेष्ठ संगठन शिल्पी और भारत माँ के सच्चे सपूत डॉ. हेडगेवार के प्रताप से सिद्ध हो गया है। इसलिए संघ की यह परंपरा निर्विवाद और अक्षुण्य चली आ रही है।
जब हम संघ की सरसंघचालक परंपरा को देखते हैं तो नाम याद आता है तृतीय सरसंघचालक मधुकर दत्तात्रय देवरस उपाख्य “बालासाहब देवरस”।
श्री बाला साहब देवरस का जन्म 11 दिसम्‍बर 1915 को नागपुर में हुआ था। उनके पिता सरकारी कर्मचारी थे और नागपुर इतवारी में आपका निवास था। यहीं देवरस परिवार के बच्चे व्यायामशाला जाते थे 1925 में संघ की शाखा प्रारम्भ हुई और कुछ ही दिनों बाद बालासाहेब ने शाखा जाना प्रारम्भ कर दिया।

स्थायी रूप से उनका परिवार मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के आमगांव के निकटवर्ती ग्राम कारंजा का था। विधि स्नातक बनने के बाद बालासाहेब ने दो वर्ष तक ‘अनाथ विद्यार्थी बस्ती गृह’ मे अध्यापन कार्य किया। इसके बाद उन्हें नागपुर मे नगर कार्यवाह का दायित्व सौंपा गया। 1965 में उन्हें सरकार्यवाह का दायित्व सौंपा गया जो 6 जून 1973 तक उनके पास रहा।
श्रीगुरू जी के स्वर्गवास के बाद 6 जून 1973 को सरसंघचालक के दायित्व को ग्रहण किया। उनके कार्यकाल में संघ कार्य को नई दिशा मिली।
सन् 1975 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर संघ पर प्रतिबन्‍ध लगा दिया। हजारों संघ के स्‍वयंसेवको को मीसा तथा डी आई आर जैसे काले कानून के अन्‍तर्गत जेलों में डाल दिया गया और यातनाऐं दी गई। परमपूज्‍यनीय बाला साहब की प्रेरण एवं सफल मार्गदर्शन में विशाल सत्‍याग्रह हुआ और 1977 में आपातकाल समाप्‍त होकर संघ से प्रतिबन्‍ध हटा।

आपातकाल के दौरान उन्होंने कारावास में कहा था  कि ‘हम लोग बहुत सरलता से आज की परिस्थिति पर विजय पाएँगे। यह संघर्ष ‘दम’ का है। इस लड़ाई में जिसका जितना ‘दम’ टिका रहेगा, वह विजयी होगा। मैं जेल में हूँ तो क्या हुआ। बाहर पाँच सरसंघचालक कार्य में जुटे हैं। 

स्‍वास्‍थ्‍य कारणों से जीवन काल में ही सन् 1994 में ही सरसंघचालक का दायित्व उन्होंने प्रो॰ राजेन्‍द्र प्रसाद उपाख्‍य रज्‍जू भइया को सौंप दिया।

pratyancha web desk

प्रत्यंचा दैनिक सांध्यकालीन समाचार पत्र हैं इसका प्रकाशन जबलपुर मध्य प्रदेश से होता हैं. समाचार पत्र 6 वर्षो से प्रकाशित हो रहा हैं , इसके कार्यकारी संपादक अमित द्विवेदी हैं .

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