देशप्रत्यंचा

“विविधता में एकता” के सूत्र में बांधने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत का आज 70वां जन्मदिन

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे इति
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम्

महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ।।

अनेकता में एकता की भावना को समाहित करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को एक व्यावहारिक नेता के रूप में देखा जाता है। उन्होंने हिन्दुत्व के विचार को आधुनिकता के साथ आगे ले जाने की बात कही है। उन्होंने बदलते समय के साथ चलने पर बल दिया है। लेकिन इसके साथ ही संगठन का आधार समृद्ध और प्राचीन भारतीय मूल्यों में दृढ़ बनाए रखा है।

मोहनराव मधुकरराव भागवत का जन्म महाराष्ट्र के चन्द्रपुर नामक एक छोटे से नगर में 11 सितम्बर 1950 को हुआ था। वे संघ कार्यकर्ताओं के परिवार से हैं। उनका परिवार तीन पीढ़ियों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा है । पहले उनके बाबा नानासाहेब इससे जुड़े रहे वो संघ संस्थापक केबी हेडगेवार के साथ मिलकर काम करते थे । इसके बाद उनके पिता मधुकर राव भी संघ से सक्रिय तौर पर जुड़े रहे, वो गुजरात के प्रचारक भी बने । मां मालती संघ के महिला विंग की सदस्य थीं । भागवत परिवार के बारे में कहा जाता है कि वो टकराव की बजाय लोगों का दिल जीतने में ज्यादा विश्वास रखते हैं । उनके पिता मधुकरराव भागवत चन्द्रपुर क्षेत्र के प्रमुख थे जिन्होंने गुजरात के प्रान्त प्रचारक के रूप में कार्य किया था। मोहन भागवत ने चन्द्रपुर के लोकमान्य तिलक विद्यालय से अपनी स्कूली शिक्षा और जनता कॉलेज चन्द्रपुर से बीएससी प्रथम वर्ष की शिक्षा पूर्ण की। उन्होंने पंजाबराव कृषि विद्यापीठ, अकोला से पशु चिकित्सा और पशुपालन में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1975 के अन्त में, जब देश तत्कालीन प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल से जूझ रहा था, उसी समय वे पशु चिकित्सा में अपना स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम अधूरा छोड़कर संघ के पूर्णकालिक स्वयंसेवक बन गये। वे कहते हैं कि इस प्रचलित धारणा के विपरीत कि संघ पुराने विचारों और मान्यताओं से चिपका रहता है, इस धारणा के विपरित आज के नये युग में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आधुनिकीकरण को स्वीकार किया है और इसके साथ ही यह देश के लोगों को सही दिशा भी दे रहा है।

1991 में वे संघ के स्वयंसेवकों के शारीरिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के अखिल भारतीय प्रमुख बने और उन्होंने 1999 तक इस दायित्व का निर्वहन किया। उसी वर्ष उन्हें, एक वर्ष के लिये, पूरे देश में पूर्णकालिक रूप से कार्य कर रहे संघ के सभी प्रचारकों का प्रमुख बनाया गया। वर्ष 2000 में, जब राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) और हो०वे० शेषाद्री ने स्वास्थ्य सम्बन्धी कारणों से संघ प्रमुख और सरकार्यवाह का दायित्व छोडने का निश्चय किया, तब के एस सुदर्शन को संघ का नया प्रमुख चुना गया और मोहन भागवत तीन वर्षों के लिये संघ के सरकार्यवाह चुने गये।

21मार्च 2009 में के एस सुदर्शन के बाद मोहन भागवत को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का प्रमुख चुना गया था। जिस समय मोहन भागवत को स्वंयसेवक संघ का सरसंघचालक चुना गया, उस वक्त उनकी उम्र महज 59 साल थी और गोलवलकर के बाद मोहन भागवत ही सबसे युवा सरसंघचालक चुने गए हैं।

मोहन भागवत के सरसंघचालक प्रमुख बनने के कुछ समय बाद ही संघ ने भाजपा पर अपनी पकड़ मजबूत करनी शुरू कर दी और संघ के करीबी माने जाने वाले नितिन गडकरी को भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया।
वर्ष 2013 में अगस्त माह में कोलकाता सेमिनार के दौरान ही मोहन भागवत ने नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी और इसके अगले ही माह यानि कि सितंबर में मोदी को आधिकारिक तौर पर भाजपा का पीएम पद का उम्मीदवार चुन लिया गया था। मोहन भागवत के सरसंघचालक रहते हुए संघ के कामकाज में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। इनमें संघ के अनुषांगिक संगठनों को शुरू करने का काम प्रमुख हैं। देशभर में आज आरएसएस के 36 मुख्य अनुषांगिक संगठन काम कर रहे हैं।

pratyancha web desk

प्रत्यंचा दैनिक सांध्यकालीन समाचार पत्र हैं इसका प्रकाशन जबलपुर मध्य प्रदेश से होता हैं. समाचार पत्र 6 वर्षो से प्रकाशित हो रहा हैं , इसके कार्यकारी संपादक अमित द्विवेदी हैं .

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close
%d bloggers like this: