प्रत्यंचामंदसौरमध्य प्रदेश

गरोठ को जिला बनाने की मांग को लेकर आंदोलन के 28 वर्ष आज

14 सितंबर को 28 वी वर्षगांठ

जनता के हक अधिकार के लिए जन प्रतिनिधि
ईमानदारी से जिले का दर्जा दिला सकेंगे ?

चंदन गौड़

गरोठ जिला बनाने की मांग आज कोई नई नहीं है
यह मांग इस सम्पूर्ण क्षेत्र की जनता जनार्दन कब से माग कर रही है की गरोठ जिला बना दो इस क्षेत्र की जनता अपना हक अपना अधिकार पाने के लिए धरना ज्ञापन आवेदन निवेदन अनगिनत बार कर चुके हैं हजारों पोस्टकार्ड लिखे जा चुके ओर लिखे जा रहे हैं ।
गरोठ मुख्यालय से मंदसौर की दुरी 100 कि मी से अधिक है वहीं भेसोदा मंडी गाधी सागर से 175 कि मी की दुरी पड़ती है प्रतिदिन शासकीय कर्मचारियों को व आम जनता को अपने कार्य से जाना आना काफी महंगा पड़ता है ।आम जनता की परेशानियों को देखते हुए गरोठ को जिला बनाया जाना आवश्यक है यदि गरोठ को जिले का दर्जा दिया जाता है तो इस क्षेत्र में विकास के नये आयाम स्थापित हो सकेंगे बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के संसाधन उपलब्ध हो सकेगे ।

क्षेत्र की जनता वर्ष 1992 में अपना हक अधिकार पाने के लिए कर चुकी हैं बड़ा आंदोलन

इस क्षेत्र की जनता अपना हक अधिकार पाने के लिए वर्ष 1992 में तत्कालीन भाजपा सरकार के शासन काल में गरोठ की उपेक्षा कर तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने नीमच को नया जिला धोषित कर दिया था गरोठ क्षेत्र की जनता को अपना हक अधिकार नहीं मिलने से सर्वदलीय बैठक कर अपनी जायाज मांग को लेकर धरना प्रदर्शन नगर बंद ज्ञापन आवेदन निवेदन कर अपना हक अधिकार मांगा गया
परन्तु सरकार ने जनता की इस वाजिब हक अधिकार को तत्कालीन भाजपा सरकार ने नजरअंदाज कर दिया तब से लेकर अब तक जनता अपने वाजिब हक अधिकार के लिए प्रयासरत हैं वर्ष 1992 से कई सरकारें आई और चली गई लेकिन किसी भी सरकार के जनप्रतिनिधियों ने जनता को अपना हक अधिकार दिलाने की पुरजोर कोशिश नहीं की यदि इस क्षेत्र के हक अधिकार के लिए पुरजोर कोशिश की गई होती तो शायद गरोठ कब से जिला बन गया होता जब इस क्षेत्र की जनता वर्ष 1992 में अपने हक और अधिकार को पाने के लिए जिला बनाओ संघर्ष समिति के तत्वाधान में शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन की शुरुआत की गई थी लेकिन तत्कालीन भाजपा सरकार ने शांतिपूर्ण तरीके से अपना हक अधिकार मांग रही जनता के साथ जो जुल्म किया वह किसी से छुपा हुआ नहीं है उस समय जिन लोगो को बर्बरता पूर्वक लाठियों से पीटा गया पुलिस ने तत्कालीन गृहमंत्री केलाश चावला के इशारे पर आंदोलन को कुचल कर आंदोलन कारियो सहित कई निर्दोष लोगों के विरुद्ध पुलिस ने अनेक धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जावरा व मंदसौर की जेल में बंद कर दिया गया था ।
गरोठ नगर लगातार 14 दिन तक पुर्ण रुप से बंद रहा था भाजपा के शासन काल में आंदोलनकारियों पर हुई जुल्म ज्यादती को लेकर जनता के आंसु पुछने
कांग्रेस के अनेक नेताओं का गरोठ में आगमन हुआ था आंदोलनकारियों व निर्दोषों लोगों के विरुद्ध की गई कार्यवाही को लेकर आंसु पुछे गए और कहा गया था कि कांग्रेस सरकार में आई तो प्राथमिकता से गरोठ को जिला बनाए जाने की बात कही गई थी
उसके बाद भा ज पा सरकार चली गई कांग्रेस की सरकार बनी लेकिन गरोठ जिला नहीं बन सका
फिर भाजपा की सरकार बनी फिर भी गरोठ जिला नहीं बन सका ? सरकारें आती जाती रही राजनीतिक दलों व जनप्रतिनिधियों ने जिले के नाम पर सिर्फ ओर सिर्फ राजनेतिक दलों जिले के नाम रोटीयां सेकी गई
वर्ष 1992 की भाजपा सरकार व वर्तमान की भाजपा सरकार तक गरोठ जिले की मांग पुरी नहीं हो सकी ।
यदि वर्तमान की भाजपा सरकार के विधायक देवीलाल धाकड़ के कार्यकाल में गरोठ को जिले का दर्जा मिलता है तो उनका नाम युगों-युगों तक स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जा सकता है आवश्यकता है पुरजोर तरीके से क्षेत्र की जनता के हक अधिकार की मांग को प्रदेश के मुखिया श्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष
रखकर गरोठ को जिले की उपलब्धी हासिल की जा सकती है ।
आज भी इस क्षेत्र की जनता के साथ न्याय नहीं हुआ आज भी जनता अपने हक और अधिकार के लिए संघर्षरत है।

जब की होलकर स्टेट के जमाने में गरोठ जिला रहा है
वर्ष 1905 में जुयुडशल न्यायालय भवन साथ ही अपर जिला मजिस्ट्रेट कार्यलय विधुत विभाग का सम्भागीय कार्यलय सहित बड़े बड़े भवन मोजुद है
रेलवे के क्षेत्र में दिल्ली बम्बई मुख्य मार्ग से जुड़ा रेलवे स्टेशन मोजुद है ।
गरोठ जिले की मांग की यह 28 वी वर्षगांठ है

pratyancha web desk

प्रत्यंचा दैनिक सांध्यकालीन समाचार पत्र हैं इसका प्रकाशन जबलपुर मध्य प्रदेश से होता हैं. समाचार पत्र 6 वर्षो से प्रकाशित हो रहा हैं , इसके कार्यकारी संपादक अमित द्विवेदी हैं .

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