इंदौरप्रत्यंचामध्य प्रदेश

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शनिवार को मंकीपॉक्स बीमारी को लेकर ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा की.

मंकीपॉक्स को लेकर दुनिया में हाहाकार, अब तक सामने आए 15000 केस, WHO ने घोषित की ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी

मंकीपॉक्स से दुनिया भर में हाहाकार मचा हुआ है.
और इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शनिवार को इस दुर्लभ बीमारी को लेकर ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा कर दी है.
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ट्रेडोस अदनोम ने इसके बारे में जानकारी दी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि 70 से अधिक देशों में मंकीपॉक्स का प्रसार एक वैश्विक आपात स्थिति है. गौरतलब है कि दुनिया भर में अब लगभग मंकीपॉक्स के 15 हजार मामले हैं जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और अन्य देशों ने लाखों टीके खरीदे हैं, जबकि अफ्रीका को एक भी टीका नहीं मिला है, जहां मंकीपॉक्स का अधिक गंभीर प्रकार पहले ही 70 से अधिक लोगों की जान ले चुका है. हम आपको बता दें कि इससे पहले, डब्ल्यूएचओ ने कोरोना, इबोला, जीका वायरस के लिए आपात स्थिति की घोषणा की थी.

WHO ने की ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा
क्या थी वजह ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा की…
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस ने कहा कि उन्होंने वैश्विक स्वास्थ्य संगठन की इमरजेंसी कमेटी के सदस्यों के बीच आम सहमति नहीं बन पाने के बावजूद यह घोषणा की. यह पहला मौका है जब डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने इस तरह की कार्रवाई की है. टेड्रोस ने कहा, ‘हम एक ऐसी महामारी का सामना कर रहे हैं, जो तेजी से दुनिया भर में फैल गई है और इस रोग के बारे में हमारे पास काफी कम जानकारी है तथा यह अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमन की अर्हता को पूरा करता है. उन्होंने कहा, ‘मैं जानता हूं कि यह कोई आसाना या सीधी प्रक्रिया नहीं रही है और इसलिए समिति के सदस्यों के अलग-अलग विचार हैं.’

WHO ने गुरुवार को बुलाई थी बैठक
डब्ल्यूएचओ ने हफ्ते भर के अंदर गुरुवार को इस बात पर विचार करने के लिए दूसरी बैठक बुलाई थी कि मंकीपॉक्स को वैश्विक संकट घोषित किया जाए या नहीं. अफ्रीकी अधिकारियों ने कहा कि वह पहले से ही महाद्वीप की महामारी को आपातकाल मान रहे हैं. लेकिन कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि यूरोप, उत्तरी अमेरिका और अन्य जगह मंकीपॉक्स के मामूली प्रकार की मौजूदगी पर आपातकाल की घोषणा करना गैर जरूरी है, भले ही वायरस पर नियंत्रण नहीं हो सके. दरअसल, पश्चिमी और मध्य अफ्रीका के कई हिस्सों में मंकीपॉक्स दशकों से मौजूद है, जहां बीमार जंगली पशु यदा-कदा ग्रामीण लोगों को संक्रमित करते हैं. लेकिन यूरोप, उत्तर अमेरिका और अन्य जगहों पर कम से कम मई से समलैंगिक और बाइसेक्सुअल लोगों में यह बीमारी फैली है.

भारत में भी बढ़ रहा मंकीपॉक्स ग्राफ
वहीं, भारत में भी धीरे धीरे मंकीपॉक्स का खतरा बढ़ रहा है. देश में अब तक इस बीमारी के तीन मामले सामने आ चुके हैं. तीनों मामले केरल से आए हैं. जुलाई की शुरुआत में यूएई से लौटे एक 35 वर्षीय युवक में मंकीपॉक्स के संक्रमण की पुष्टि हुई है. दरअसल, मलप्पुरम का रहने वाला युवक छह जुलाई को अपने गृह राज्य लौटा था और उसे 13 जुलाई से बुखार है. इससे पहले, भारत में मंकीपॉक्स का दूसरा मामला केरल के कन्नूर जिले में दर्ज किया गया था. 13 जुलाई को दुबई से कन्नूर लौटे शख्स में संक्रमण की पुष्टि हुई थी. वहीं, भारत में मंकीपॉक्स का पहला मरीज भी केरल में ही मिला था. 12 जुलाई को यूएई से कोल्लम पहुंचे व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण दिखे थे.

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