जो दल स्वयं लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो चुके हों, वो लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकते हैं- पीएम मोदी, संविधान दिवस पर


आज संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संविधान की प्रस्तावना को पढ़ने में देश का नेतृत्व किया।राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने कहा कि, आज संविधान सभा की चर्चाओं और संविधान के कैलिग्राफ वर्जन और अपडेटेड वर्जन के डिजिटल संस्करण जारी कर दिए गए हैं। इस प्रकार टेक्नोलॉजी की सहायता से ये सभी अमूल्य दस्तावेज सभी लोगों के लिए सुलभ हो गए हैं।संविधान के अपडेटेड वर्जन से छात्रों को संवैधानिक प्रगति की यात्रा की जानकारी प्राप्त होगी। संवैधानिक लोकतंत्र के विषय पर ऑनलाइन क्विज कराने की पहल सराहनीय है। यह रोचक माध्यम नागरिकों और युवा पीढ़ी में संवैधानिक मूल्यों के संवर्धन में प्रभावित सिद्ध होगा। हम सब लोग यह मानते हैं कि हमारी संसद ‘लोकतंत्र का मंदिर’ है। अतः हर सांसद की यह ज़िम्मेदारी बन जाती है कि वह लोकतंत्र के इस मंदिर में श्रद्धा की उसी भावना के साथ आचरण करें जिसके साथ वह अपने पूजा-गृहों और इबादत-गाहों में करते हैं। सत्ता-पक्ष और प्रतिपक्ष के सदस्यों में प्रतिस्पर्धा होना स्वाभाविक है लेकिन यह प्रतिस्पर्धा बेहतर प्रतिनिधि बनने और जन-कल्याण के बेहतर काम के लिए होनी चाहिए। संसद में प्रतिस्पर्धा को प्रतिद्वंद्विता नहीं समझा जाना चाहिए।

संविधान दिवस सरकार के कैलेंडर में 1949 से, यानी 71 साल से है। लेकिन ये बड़ा आयोजन नहीं होता था। महज औपचारिकता निभाई जाती थी। केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद 2015 से इसे बड़ा किया गया। आज संविधान दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, बाबासाहेब अम्बेडकर की 125वीं जयंती थी, हम सबको लगा इससे बड़ा पवित्र अवसर क्या हो सकता है कि बाबासाहेब अम्बेडकर ने जो इस देश को जो नजराना दिया है, उसको हम हमेशा एक स्मृति ग्रंथ के रूप में याद करते रहें।
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आज का दिवस बाबासाहेब अम्बेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद जैसे दुरंदेशी महानुभावों का नमन करने का है। आज का दिवस इस सदन को प्रणाम करने का है। आज पूज्य बापू को भी नमन करना है। आजादी के आंदोलन में जिन-जिन लोगों ने बलिदान दिया, उन सबको भी नमन करने का है। देश के वीर जवानों ने आतंकवादियों से लोहा लेते हुए अपना जीवन बलिदान कर दिया। आज उन बलिदानियों को भी नमन करता हूं। आज 26/11 हमारे लिए एक ऐसा दुखद दिवस है, जब देश के दुश्मनों ने देश के भीतर आकर मुंबई में आतंकवादी घटना को अंजाम दिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि, हमारा संविधान ये सिर्फ अनेक धाराओं का संग्रह नहीं है, हमारा संविधान सहस्त्रों वर्ष की महान परंपरा, अखंड धारा उस धारा की आधुनिक अभिव्यक्ति है। इस संविधान दिवस को इसलिए भी मनाना चाहिए, क्योंकि हमारा जो रास्ता है, वह सही है या नहीं है, इसका मूल्यांकन करने के लिए मनाना चाहिए। संविधान बनाते वक्त देशहित सबसे ऊपर था। अनेक बोलियों, पंथ और राजे-रजवाड़ों को संविधान के जरिए एक बंधन में बांधा गया। मकसद था कि ऐसा करके देश को आगे बढ़ाया जाए। अगर ये आज करना होता तो शायद हम संविधान का एक पेज भी पूरा न लिख पाते, क्योंकि राजनीति के चलते नेशन फर्स्ट पीछे छूटता जा रहा है।
योग्यता के आधार पर एक परिवार से एक से अधिक लोग जाएं, इससे पार्टी परिवारवादी नहीं बन जाती है।
— PMO India (@PMOIndia) November 26, 2021
लेकिन एक पार्टी पीढ़ी दर पीढ़ी राजनीति में है: PM @narendramodi
देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक जाइए। भारत एक संकट की तरफ बढ़ रहा है और वो है पारिवारिक पार्टियां। पार्टी फॉर द फैमिली, पार्टी बाई द फैमिली… और अब आगे कहने की जरूरत नहीं लगती है। ये लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है। संविधान हमें जो कहता है, यह उसके विपरीत है। जब मैं कहता हूं कि पारिवारिक पार्टियां, तो मैं ये नहीं कहता कि परिवार के एक से ज्यादा लोग राजनीति में न आएं। योग्यता के आधार पर और जनता के आशीर्वाद से आएं। जो पार्टी पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही परिवार चलाता रहे, वो लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा संकट होता है।
संविधान की भावना को भी चोट पहुंची है, संविधान की एक-एक धारा को भी चोट पहुंची है, जब राजनीतिक दल अपने आप में अपना लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो देते हैं।
— PMO India (@PMOIndia) November 26, 2021
जो दल स्वयं लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो चुके हों, वो लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकते हैं: PM @narendramodi
समस्या तब शुरू होती है जब भ्रष्टाचार के लिए किसी को न्यायपालिका ने सजा दे दी हो और राजनीति के कारण उनका महिमामंडन चलता रहे। जब राजनीतिक लाभ के लिए लोकलाज छोड़कर, मर्यादा छोड़कर, उनका साथ दिया जाता है, तो लोगों को लगता है कि भ्रष्टाचार की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है। फिर उन्हें भी लगता है कि भ्रष्टाचार में चलना गलत नहीं है। गुनाह सिद्ध हुआ तो सुधरने का मौका दिया जाए, पर सार्वजनिक जीवन में प्रतिष्ठा देने की प्रतिस्पर्धा चल रही है। यह नए लोगों को लूटने के रास्ते पर जाने के लिए प्रेरित करती है। संविधान की भावना को भी चोट पहुंची है, संविधान की एक-एक धारा को भी चोट पहुंची है, जब राजनीतिक दल अपने आप में अपना लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो देते हैं। जो दल स्वयं लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो चुके हों, वो लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकते हैं।