वर्तमान में भूतकाल के खिलौना को पुनः स्थापित कर भविष्य संवारने की तैयारी में सरकार

आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत खिलौना उद्योगों को बढ़ावा देने पर विचार कर रही है।
पहले जब बाजार में चीनी खिलौने नहीं थे , तब भारत में हाथ से बने सुंदर व आकर्षक खिलौने मिलते थे । जिन्हें खरीद कर बच्चों के चहरे पर मुस्कान आ जाती थी । तथा खिलौने बनाने वालों की आमदनी होती थी । यह देखा गया है कि बच्चे अपने प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत खिलौने के साथ करते हैं वर्तमान युग में शिक्षा के सरलीकरण के लिए बच्चों के मानसिक विकास में अधिकांश स्कूलों में खिलौने की सहायता से उनको शिक्षा प्रदान की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अब देश में खिलौना उद्योगों को बढ़ावा देने पर विचार कर रहे हैं । आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भारत खिलौनों व विनिर्माण को बढ़ावा देगा। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अपनी सरकार के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की जिसमें खिलौनों को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया।घरेलू खिलौना कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार खास रणनीति पर काम कर रही है। इसी पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को वरिष्ठ मंत्रियों के साथ देश के खिलौना निर्माण सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए खास बैठक की। प्रधानमंत्री के मुताबिक भारत में खिलौना निर्माण करने वाले कई समूह और कारीगर हैं जो ऐसे स्वदेशी खिलौना का निर्माण कर रहे हैं, जिनका न केवल देश की संस्कृति से सीधा संबध है साथ ही वो बच्चों की क्षमताओं के विकास में काफी मददगार भी हैं। प्रधानमंत्री के मुताबिक ऐसे समूहों और कारीगरों को प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत हैं और इसके लिए रचनात्मक प्रयास किए जाने चाहिए।
सरकार दो अहम वजहों से खिलौना उद्योग पर जोर बढ़ा रही है। खिलौना उद्योग में बड़ी संख्या में छोटे उद्योग और कारीगर जुड़े हैं। ये कारीगर भारतीय संस्कृति से जुड़े ऐसे खिलौनों का निर्माण भी कर रहे हैं जिनकी कला के रूप में विदेशों में मांग है। अगर इनकी पहचान स्थापित हो गई तो देश और विदेशों से बड़े पैमाने पर मांग बढ़ेगी, जिससे आय और रोजगार बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। वहीं दूसरी तरफ भारत के खिलौना उद्योग पर चीन के सस्ते माल का कब्जा है। सरकार भारतीय खिलौना बाजार को चीन के प्रभाव से बाहर भी निकलना चाहती है।
खिलौनों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति और लोकाचार से जुड़े खिलौनों का उपयोग बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सभी आंगनवाड़ी केंद्रों और स्कूलों में शैक्षणिक उपकरणों के रूप में किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि युवाओं को नए डिजाइन और खिलौनों के साथ आने के लिए तैयार किया जाना चाहिए जो राष्ट्रीय लक्ष्यों और उपलब्धियों के प्रति गर्व की भावना पैदा कर सकते हैं।