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हड़प्पा युग के एक नियोजित शहर होने का सुबूत दे रही खोज.

राखीगढ़ी में एएसआई को खुदाई में मिली 5000 साल पुरानी आभूषण फैक्ट्री बहु मंज़िला घर, पक्की दीवारें व ड्रेनेज सिस्टम.

हड़प्पा युग के एक नियोजित शहर होने का सुबूत दे रही खोज.

कहां है राखीगढ़ी ..?
राखीगढ़ी हरियाणा स्थित हिसार ज़िले का गांव है, जो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से 150 किलोमीटर की दूरी पर है. 2020 में अपने बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे देश के 5 प्रतिष्ठित स्थलों में से एक घोषित किया था.

आभूषण फैक्ट्री…
पिछले 32 वर्षों से हरियाणा के राखीगढ़ी में काम कर रहे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को यहां पर खुदाई में 5000 साल पुरानी आभूषण बनाने वाली फैक्ट्री के अवशेष मिले हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार इससे पता चलता है कि यह स्थल एक महत्वपूर्ण व्यापार केंद्र रहा होगा.



2 मनवा कंकल...
एएसआई की खुदाई में टीला संख्या 7 में महिलाओं के 2 कंकाल भी मिले हैं, जो मिट्टी के बर्तनों और आभूषणों (जेस्पर, चूड़ियां के साथ दफन किए गए थे. कंकालों के डीएनए नमूने विश्लेषण के लिए भेजे गए हैं. पिछली खुदाई में इस टीले से लगभग 60 कब्रें मिली थीं.




राष्ट्रीय महत्व
राखीगढ़ी हड़प्पा सभ्यता से संबंधित सबसे पुराने पुरातात्विक स्थलों में से एक है. इस साइट पर 7 टीले हैं. इन दिनों भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) •टीला नंबर 1, 3 व 7 पर खुदाई कर रहा है. 6 और 7 टीले को एएसआई ने राष्ट्रीय महत्व के स्थलों के रूप में अधिसूचित किया है.


बनेगा संग्रहालय…
एएसआई और हरियाणा सरकार ने इस महत्वाकांक्षी उत्खनन परियोजना को शुरू किया है और इस गांव को क्षेत्र के सांस्कृतिक इतिहास को बढ़ावा देने के लिए एक प्रतिष्ठित स्थल के रूप में विकसित करेंगे. राज्य सरकार, यहां एक संग्रहालय भी बना रही है, जो 2024 तक परिपक्च हड़प्पा सभ्यता के सुबूत

खुदाई में बहु मंजिला घरों, पक्की दीवारों, गलियों और • जल निकासी व्यवस्था की संरचना भी पाई गई है. एएसआई के एक शोधार्थी के अनुसार सड़कों और गलियों को बनाने से लेकर एक सुनियोजित सिस्टम (जल निकासी व्यवस्था) में उन्नत इंजीनियरिंग का इस्तेमाल हुआ है, जो कई जगहों पर आज भी देखने को नहीं मिलता है. खुदाई में तांबे- सोने के गहने, खिलौने, हज़ारों मिट्टी के बर्तन और मुहरें भी मिली हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि ये सब परिपक्व हड़प्पा सभ्यता के उदाहरण है बनकर तैयार होगा.



मिलेंगे कई सवालों के जवाब!
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों के अनुसार कंकालों के डीएनए जांच के नतीजे इस प्राचीन शहर में रहने वाले लोगों के पूर्वजों के बारे में बताने में मदद करेंगे, इनसे यह जानने में मदद मिलेगी क्या वे यहां के मूल निवासी थे या कहीं बाहर से आए थे. इसके अलावा दांत से लिए गए नमूने उनके भोजन की आदतों के बारे में बताएंगे कि वे किस तरह का भोजन करते थे.

ज़मीन में दफन सभ्यता
राखीगढ़ी में खुदाई 40 पुरातत्वविदों और शोधार्थियों की एक टीम कर रही है. खुदाई इस महीने के अंत तक पूरा होने की संभावना है और नई खुदाई सितंबर 2022 शुरू होगी. एएसआई द्वारा पहली बार 1998-2001 में इस स्थल की खुदाई की गई थी. बाद में डेक्कन कॉलेज पुणे ने 2013 से 2016 तक खुदाई की.

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