प्रत्यंचा

“जीवन की मति और गति के निर्धारक गुरु : माता-पिता”

जीवन के व्यवहारिक गुरु को करते हम प्रणाम।
जो देते जीवन में उन्नति के नित-नवीन आयाम॥

जिंदगी की कसौटी हमें हल पल अनेक तराजू पर तौलती है। शैशव अवस्था से लेकर प्रौढ़ अवस्था तक जीवन में कई सुखद- दु:खद और अकस्मात उतार-चढ़ाव आते है, वैचारिक स्तर और मानसिक पटल पर हमारे विचार जब शून्य हो जाते है, वहाँ पर जीवन के व्यवहारिक गुरु से प्राप्त ज्ञान हमें तूफानों के भँवर से निकलने का मार्ग सुझाते है। ईश्वर ने स्वयं के अंश को इस धरा पर बच्चों के सुरक्षा कवच के रूप में परिवर्तित कर माता-पिता के रूप में प्रत्यक्ष रूप प्रदान किया है। जीवनयात्रा में हमारे समक्ष अनेक लोग भिन्न-भिन्न आवरण और मुखौटे में प्रत्यक्ष होते है। जब हम विपत्ति में घुटने टेकने लगते है, तो पीछे से माता-पिता की थपथपाहट नया हौसला, जुनून और अदम्य साहस का संचार करती है। इस कठोर और क्रूर दुनिया के मुखौटो से हमें परिचित करवाते है माता-पिता। हमारे गर्भ में प्रविष्ट होते ही हमारी खुशियों के स्वप्न को साकार करने का भरसक प्रयास करते है। माता-पिता बनना ही त्याग से सरोकार करना है जो प्रत्येक क्षण अपने चक्षुओं को बच्चों की देख-रेख में केन्द्रित करते है। स्वयं की इच्छाओं और अभिलाषाओं को बच्चे के अनुरूप बदलना ही माता-पिता की नियति है। सैद्धान्तिक ज्ञान की व्यवहारिक रूप में परिणीति करने का श्रेय माता-पिता को है। ईश्वर ने सृष्टि चक्र में सत्य से साक्षात्कार के लिए माता-पिता की छत्रछाया प्रदान की है।

हर परिस्थिति में साहस देती उनकी उपस्थिती।
उनका आशीर्वाद देता हमारे जीवन को गति॥
त्याग का पर्याय है जीवन के सच्चे गुरु।
जिनके साथ होती हमारी जीवन यात्रा शुरू॥इस नश्वर शरीर के लालन-पालन और इसको उत्कृष्ट बनाने में अपने जीवन के जो अमूल्य क्षण समर्पित करते है, वह है माता-पिता। ईश्वर प्रदत्त सुरक्षा कवच का स्नेहिल स्वरूप है माता-पिता। हमारी आँखों के खुलने से लेकर, बंद होने तक जो दिन-रात के कालचक्र में अविराम श्रम करते है, वह है माता-पिता। जीवन की परिभाषा को जो हर क्षण जीना और अनुभव करना सिखाते है, वह है माता-पिता। हर समय बच्चों की भविष्य योजना के प्रबंधन और क्रियान्वयन का समर्पित रूप है माता-पिता। बच्चों के खर्चो और स्वप्न के समायोजन में जो स्वयं खर्च हो जाते है, वह है माता-पिता। जीवनपर्यंत नैनो की गागर में बच्चों की खुशियों के लिए अनवरत प्रार्थना और उनके मन-मस्तिष्क में सदैव बच्चों की खुशियों को सजाने का अंतर्द्वंद चलता रहता है। जीवन यज्ञ में अपनी इच्छाओं की आहुती देकर व्यवहारिक ज्ञान के तथ्यों को सिखाकर हमारे जीवन में हर्ष-उल्लास को बिखेरते है, वह है माता-पिता। माता-पिता की दी हुई सीख कभी-कभी एक बड़े उपदेश का काम करती है और स्थितियों की विषमता को त्वरित सुलझा देती है। माता-पिता हमारी कठिनाइयों में सहारा बन सदैव चट्टान की तरह खड़े होते है। हमारी मति और जीवन की गति का निर्धारण करने में माता-पिता की निर्णायक भूमिका होती है। इस काँटों भरी दुनिया में जो हमारे लिए फूलो की बागबानी करते है, वह है माता-पिता। ईश्वर प्रदत्त एक अनुपम, अतुलनीय एहसास और उपहार है माता-पिता। पग-पग ठोकर से बचाकर मुस्कान की कली को खिलाना, अपने आप को स्वअनुशासन में बाँधकर एक सुंदर और खुशहाल दुनिया निर्मित करते है माता-पिता। माता-पिता बनना तो कठिन साधना का ही स्वरूप है। अपनी अभिलाषाओं पर विराम लगाकर अनवरत और अविराम अपने बच्चों के लिए प्रयासरत रहना,यहीं उनके जीवन का एकमात्र ध्येय होता है।

माता-पिता तो है ईश्वर प्रदत्त सुरक्षा-कवच और वरदान।
डॉ. रीना करती ऐसे माता-पिता की साधना का गुणगान॥

pratyancha web desk

प्रत्यंचा दैनिक सांध्यकालीन समाचार पत्र हैं इसका प्रकाशन जबलपुर मध्य प्रदेश से होता हैं. समाचार पत्र 6 वर्षो से प्रकाशित हो रहा हैं , इसके कार्यकारी संपादक अमित द्विवेदी हैं .

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