कहो तो कह दूँप्रत्यंचा

कहो तो कह दूँ – पानी में रहकर “मगर” से बैर नहीं लेते “जांगिड़ साहेब”


चैतन्य भट्ट

इतने बड़े आईएएस अफसर होने के बाद भी बड़वानी के अपर कलेक्टर “लोकेश कुमार जांगिड़” जी को इतनी भी समझ नहीं आई कि यदि पानी में रहना है तो मगर से बैर नहीं लिया करते l ये कहावत तो देश का बच्चा बच्चा जानता और समझता है फिर आप ये बात क्यों नहीं समझ पाए? किसने सलाह दी थी आपको कि आप “भगत सिंह” बन जाओ “राणा प्रताप|” की आत्मा अपने अंदर घुसेड़ लो, अब वो जमाना नहीं रहा जब भगत सिंह को “राजगुरु” और “सुखदेव” जैसे साथी मिल गए थे और न वो जमाना रहा जब घास की रोटी खा रहे राणा प्रताप के लिए “भामाशाह” ने अपना पूरा खजान खोल दिया था l देखा नहीं कैसे “आईएएस असोसिएशन” ने आपसे अपना पल्ला झाड़ लिया इतना ही नहीं वाट्सअप ग्रुप्स भी आपको रिमूव कर दिया, अब आप भी न ऐसे ऐसे स्टेट्स डाले पड़े थे कि “ईमानदारी तेरा किरदार है तो ख़ुदकुशी कर ले सियासी दौर को तो जी हुजूरी की जरूरत है” या फिर “मुझमें दस खामियां हों पर अपने आइने भी भी तो साफ़ कर लीजिये” अब बताओ ऐसे ऐसे खतरनाक टाइप के स्टेट्स आप अपने वाट्सअप पर डालोगे और सोचोगे कि नेता और अफसर आपकी मदद करेंगे ? अरे भैया ये दौर ही जी हुजूरी का है आप किसी भी सेगमेंट में चले जाओ बिना चमचा गिरी के कुछ हासिल नहीं होता l चाहे राजनीति हो, नौकरशाही हो, व्यापार हो या फिर और कोई सेगमेंट, जो जी हुजूरी करेगा वो ही आगे बढ़ पायेगा योग्यता, ईमानदारी, शुचिता, सिद्धांत ये सारे शब्द गए तेल लेने l आप कितने बड़े जोधा क्यों न हो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता आप कितनी जी हुजूरी कर सकते हो वोही आपकी सफलता का पैमाना बन जाता है अब यदि बड़वानी के कलेक्टर ने ऑक्सीजन कस्ट्क्टर खरीद भी लिए थे तो आपको उसमें पंगा लेने की क्या जरूरत थी, सवालिया निशान लगा दिया कि कलेक्टर साहेब ने पैसा खा लिया ये तो सोचो उस वक्त जान बचाने की पड़ी थी हजारो लोग अस्पताल में भर्ती थे ऑक्सीजन की जरूरत थी यदि कलेक्टर साहेब ने चार पैसे ज्यादा दे भी दिए तो ऐसा कौन सा गुनाह कर दिया जो आपने बबंडर मचा दिया ये सब तो नौकरशाही में चलता है जंहा करोड़ों का घपला हो रहा हो, बिना काम के ठेकेदारों को भुगतान हो रहा हो, एक ही ट्रांसपोर्टर को करोडो के अनाज की सप्लाई का ठेका दे दिया जाता हो वहां यदि हजार दो हजार ज्यादा देकर थोड़ा बहुत प्रसाद उन्होंने पा भी लिया तो कौन सा गुनाह कर दिया कि आपने पूरी नौकरशाही में आग लगा दी l जांगिड़ साहेब आपको तो नौकरशाही में छ साल से भी ज्यादा हो गया है यदि अब भी उनकी कार्यप्रणाली और काम करने का तरीका आप नहीं सीख पाए और अपनी ईमानदारी का ढोल पीटते रहे तो धिक्कार है आप पर और आपकी आईएएस गिरि पर, अब पड़ गए न अकेले, सबने मुंह फेर लिया, उलटे जान से मारने की धमकी अलग से मिल गई l दूसरी बात यदि चार साल में आठ तबादले हो ही गये तो ऐसा क्या हो गया, अरे भाई नौकरी करने आये हो तो तबादले तो होंगे ही और फिर ऐसे तेवर लेकर नौकरी करोगे तो सकार और बड़े अफसर तबादला नहीं करेंगे तो क्या थाल लेकर आपकी आरती उतारेंगे ?सब कुछ करना था लेकिन सरकार और नौकरशाही की उस दुखती रग को नहीं छेड़ना था सारा शासन प्रशासन अब हुक्का पानी लेकर आप पर टूट पड़ा है अब अपने आप को बचाओ और हम भी देखेंगे कि अपने आप को आप कैसे बचाते हो l

अहंकार तो अपने आप आ जाता है हुजूरे आला

अपने मामाजी यानि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने हाल ही में भोपाल के पास सीहोर में अपने मंत्रियों की एक बैठक लेकर उन्हें उपदेश का काढ़ा पिलाया कि अपना अहंकार छोड़ दो , ये मत सोचो कि मैं मंत्री हूँ, मेरे पास पॉवर है l मुख्यमंत्री जी ने दो कहानियां भी अपने मंत्रियों को सुना दीं ये भी कहा विनम्र बनो, लोगों की सेवा करने आये हो तो सेवा करो l मुख्यमंत्री जी बड़े भोले हैं ऐसी ऐसी बाते कर रहे हैं जो न किसी को पसंद आएंगी और न ही उन पर कोई अमल ही करेगा ये तो दुनिया कि रीत हैं कि जब किसी को पावर मिल जाता है तो उसकी भीतर का अहंकार एकदम से जाग जाता है मंत्रियों में अहंकार नहीं होगा तो क्या “घसियारे” को अहंकार होगा ? गाडी, बंगला, नौकर, चाकर, दरवांजे पर लगी लोगों की भीड़, आवेदन लेकर टकटकी लगाए आपका इन्तजार करता आवेदन देने वाला गरीब, जय जय कार करते कार्यकर्ता, सर झुकाये सामने खड़े ऑल इंडिया की परीक्षा पास करके आये आईएएस और आईपीएस अफसर, एक झटके में करोडो के काम देने वाले हस्ताक्षर , अब ऐसे में अहंकार आएगा नहीं तो क्या आएगा, और फिर करोड़ों रुपया खर्चा के बाद जो कुर्सी मिली हो उसमें बैठकर पहले तो अपना इंवेस्टमेंटो वापस लाना पहला कर्तव्य बनता हैं कि नहीं, यदि ऐसे ही जनता की सेवा करने लगे फ्री फ़ोकट में तो हो गया बंटाधार l अपना घर बार लुटा कर किसी को जनता की सेवा करने का शौक नहीं चर्राया है मामाजी , और फिर ये जो कुर्सी हैं बड़ी ही बेवफा होती है न जाने कब नीचे से खिसक जाए कहना मुश्किल है, वैसे भी अपनी ही पार्टी के दूसरे नेता अदृश्य आरी लेकर कुर्सी की टाँगे टागें काटने के चकार में लगे रहते है इसलिए ऐसी बातें मत करो मामाजी कि जनता की सेवा करो और अहंकार छोड़ दो ये तो ऐसा रोग है जो कुर्सी जाने के बाद ही पीछा छोड़ेगा l

सुपर हिट ऑफ़ द वीक

“अगर तुमने मुझसे शादी करना मंजूर नहीं किया तो मैं आने वाली ट्रैन से कट कर अपनी जान दे दूंगा” श्रीमान जी ने अपनी प्रेमिका से कहा

प्रेमिका ने उत्तर दिया “मुझे सोचने तो, तो इतनी जल्दी क्या है ट्रैन तो हर आधे घंटे बाद आती ही रहती है”

pratyancha web desk

प्रत्यंचा दैनिक सांध्यकालीन समाचार पत्र हैं इसका प्रकाशन जबलपुर मध्य प्रदेश से होता हैं. समाचार पत्र 6 वर्षो से प्रकाशित हो रहा हैं , इसके कार्यकारी संपादक अमित द्विवेदी हैं .

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