
बेटी हमेशा बेटी रहती है, बेटे के बराबर पिता की संपत्ति की है हकदार : सुप्रीम कोर्ट
अनुभव अवस्थी
सुप्रीम कोर्ट ने पिता की पैतृक संपत्ति पर बेटियों के हक को लेकर बड़ा फैसला दिया है
- अब पिता की मृत्यु संशोधित उत्तराधिकार कानून के लागू होने से पहले हो गई हो तो भी बेटी को संपत्ति में हक मिलेगा
- हिंदू अविभाजित परिवार की पैतृक संपत्ति में बेटियों के लिए हक कानून बिल्कुल बेटे जैसा
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि एक बेटी को अपने पिता की संपत्ति में बराबरी का अधिकार है। अदालत ने कहा कि संशोधित हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत यह बेटियों का अधिकार है और बेटी हमेशा बेटी रहती है। कोर्ट ने कहा कि हिंदू महिला को अपने पिता की संपत्ति में भाई के समान ही हिस्सा मिलेगा।इस मामले में मंगलवार को न्यायाधीश अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने फैसला सुनाया कि यह कानून हर परिस्थिति में लागू होगा। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि यह कानून बनने से पहले अर्थात साल 2005 से पहले भी अगर पिता की मृत्यु हो गई है तो भी पिता की संपत्ति पर बेटी को बेटे के बराबर का अधिकार मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के हक में एक बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि पिता के पैतृक की संपत्ति में बेटी का बेटे के बराबर हक है, थोड़ा सा भी कम नहीं। उसने कहा कि बेटी जन्म के साथ ही पिता की संपत्ति में बराबर का हकददार हो जाती है। देश की सर्वोच्च अदालत की तीन जजों की पीठ ने आज स्पष्ट कर दिया कि भले ही पिता की मृत्यु हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005 लागू होने से पहले हो गई हो, फिर भी बेटियों को माता-पिता की संपत्ति पर अधिकार होगा।
बेटी की मृत्यु हुई तो उसके बच्चे हकदारसुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि पिता की पैतृक संपत्ति में बेटी को अपने भाई से थोड़ा भी कम हक नहीं है। उसने कहा कि अगर बेटी मृत्यु भी 9 सितंबर, 2005 से पहले हो जाए तो भी पिता की पैतृक संपत्ति में उसका हक बना रहता है। इसका तात्पर्य यह है कि अगर बेटी की संतान चाहें कि वो अपनी मां के पिता की पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी लें तो वो इसका दावा कर सकते हैं, उन्हें अपनी मां के अधिकार के तौर पर नाना की पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी मिलेगी।
बता दें कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1965 में साल 2005 में संशोधन किया गया था। इसके तहत पैतृक संपत्ति में बेटियों को बराबरी का हिस्सा देने का प्रावधान है। इसके अनुसार कानूनी वारिस होने के चाने पिता की संपत्ति पर बेटी का भी उतना ही अधिकार है जितना कि बेटे का।