वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को अपने बयान पर विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 24 अगस्त तक का समय दिया


अनुभव अवस्थी प्रत्यंचा
सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक ट्वीट के लिये क्षमा याचना से इंकार करने संबंधी अपने बयान पर पुनर्विचार करने और बिना शर्त माफी मांगने के लिये गुरुवार को 24 अगस्त तक का समय दिया।
न्यायालय ने अवमानना के लिये दोषी ठहराये गये वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की सजा के मामले पर दूसरी पीठ द्वारा सुनवाई के उनके अनुरोध खारिज कर दिया है। इस पर प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा कि मुझे समय देना कोर्ट के समय की बर्बादी होगी, क्योंकि यह मुश्किल है कि मैं अपने बयान को बदल लूं। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि अगर भूषण बिना शर्त माफीनामा दाखिल करते हैं तो वह 25 अगस्त को इस पर सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वकील प्रशांत भूषण की इस याचिका को खारिज कर दिया कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही में सजा तय करने संबंधी दलीलों की सुनवाई शीर्ष अदालत की दूसरी पीठ द्वारा की जाए। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने भूषण को विश्वास दिलाया कि जब तक उन्हें अवमानना मामले में दोषी करार देने के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर निर्णय नहीं आ जाता, सजा संबंधी कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।प्रशांत भूषण ने सुनवाई के दौरान कहा कि उन्हें अवमानना मामले में कोर्ट की तरफ से खुद को दोषी ठहराए जाने पर चोट पहुंची है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में खुली आलोचना संवैधानिक अनुशासन को स्थापित करने के लिए है। मेरे ट्वीट सिर्फ नागरिक के तौर पर अपनी सबसे बड़ी जिम्मेदारी को निभाने की छोटी कोशिश थे। प्रशांत भूषण ने अपने बयानों को लेकर कोर्ट से माफी मांगने से इनकार कर दिया।
भूषण ने कहा कि उनके ट्वीट हमारे लोकतंत्र के इतिहास के इस मुकाम पर उनके सर्वोच्च कर्तव्य वहन करने में एक छोटे से प्रयास के अलावा कुछ नहीं थे। भूषण ने अपने बयान में कहा, ‘मैंने किसी आवेश में असावधान तरीके से ये ट्वीट नहीं किए।
इसलिए मैं विनम्रता के साथ इस बात की संक्षिप्त व्याख्या कर सकता हूं, जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने मुकदमे की सुनवाई में कही थी, ‘मैं दया के लिए नहीं कहूंगा, मैं उदारता दिखाने की भी अपील नहीं करूंगा ।बयान में आगे कहा गया, ‘मैं, इसलिए, अदालत द्वारा दी जा सकने वाली किसी भी उस सजा को सहर्ष स्वीकार करने के लिए यहां हूं, जो अदालत ने एक अपराध के लिए विधि सम्मत तरीके से निर्धारित की है और मुझे लगता है कि एक नागरिक का सर्वोच्च कर्तव्य है।’ भूषण ने पीठ से कहा कि उन्होंने न्यायालय के 14 अगस्त के फैसले का अध्ययन किया और उन्हें पीड़ा है कि उन्हें न्यायालय की अवमानना करने का दोषी ठहराया गया है जिसके गौरव को बनाए रखने के लिए उन्होंने तीन दशकों से भी ज्यादा समय से प्रयास किया -एक दरबारी या वाह-वाह करने वाले की तरह नहीं बल्कि अपनी व्यक्तिगत और पेशेगत कीमत पर एक विनम्र रक्षक की तरह।
उन्होंने कहा, ‘मुझे तकलीफ है, इसलिए नहीं कि मुझे दंडित किया जा सकता है बल्कि इसलिए कि मुझे बहुत ही ज्यादा गलत समझा गया।’ भूषण ने कहा, ‘मैं हतप्रभ हूं कि न्यायालय ने मुझे न्याय के प्रशासन की संस्था पर ‘द्वेषपूर्ण, अभद्र और सुनियोजित हमला करने का दोषी पाया है। मैं निराश हूं कि न्यायालय इस तरह का हमला करने की किसी मंशा के बारे में कोई साक्ष्य दिखाये बगैर ही इस नतीजे पर पहुंचा है।’