बेटी दिवस पर विशेष

पापा की परी हैं उनकी बेटियां

अनुभव अवस्थी
इस बात से देश भर के अधिकतर लोग सहमत होंगे कि बेटियां, बेटों से ज्यादा ख्याल रखने वाली होती हैं। विशेष कर अपने से छोटों का ख्याल रखना उनके स्वभाव में होता है। सिर्फ छोटे ही नहीं, बेटियां माता-पिता का भी हमेशा बेटों से ज्यादा परवाह रखती हैं।
जो घर भगवान को पसंद होता है,
उसी घर में होती हैं बेटियां,
रोशनी हरपल रहती है वहां,
जिस घर में मुस्कान बिखेरती हैं बेटियां ।
जरूरी नहीं रोशनी चिरागों से ही हो,
घर में उजाला भी करती हैं बेटियां ,
बिना पंखों के भी एक दिन उड़ जाती हैं बेटियां,
अपने पिता के लिए परी का रूप होती हैं बेटियां ।
घर में जन्मी बेटी माता-पिता के जीवन में रंग भरती है और घर को अपनी शरारतों से गुलजार करती है। उसके होने से मन को सुकून मिलता है। गहरी चिंतन में वह हौसला बंधाती है तो उसकी खिलखिलाहटें दर्द में भी हंसने का बहाना दे देती हैं। जिंदगी जीने का सफर सिखाती हैं बेटियां, घर को सचमुच घर बनाती हैं बेटियां।
बोर्ड परीक्षाओं के नतीजे हों या प्रतियोगी परीक्षाएं, खेल का मैदान हो या बोर्ड रूम, लडकियों का ग्राफ तेजी से हर क्षेत्र में बढ रहा है। वे भी बडी-बडी उपलब्धियां ले रही हैं और देश-विदेश में अपनी अलग पहचान बना रही हैं। इसी रफ्तार से उन्होंने बढती जिम्मेदारियों को भी संभाला है ।
हर घर में बेटियां पिता की चहेती होती हैं। वैसे भी अक्सर यही कहा जाता है कि बेटे मां के करीब होते हैं तो बेटियां अपने पापा के कभी नरम तो कभी गरम अंदाज में बच्चों को अनुशासन और व्यावहारिकता का पाठ पढ़ाने वाला पिता ही नई पीढ़ी के सपनों को पंख फैलाने का आसमान देते हैं। इसी खुले आकाश में आज बेटियां बिना किसी हिचक के उड़ान भर रही हैं। इस बदलाव के दौर में एक पिता उनकी मजबूत ढाल बन रहे हैं।
हर घर में बेटियां पिता की लाडली होती हैं। अक्सर देखा जाता है कि बेटियां अपने पिता के ज्यादा करीब होती हैं। पापा की परी और घर में सबसे प्यारी, बड़ा गहरा चाव और लगाव होता है पापा-बेटी का, तभी तो उम्र के हर पड़ाव पर एक पिता उनके लिए खास भूमिका निभा रहे होते हैं। बेटी के मासूम बचपन में हर खेल में जीत दिलाने वाले हीरो के रूप में होते हैं तो कभी बिटिया की विदाई के समय बच्चों की तरह फूट-फूटकर रोते हैं। पढ़ाई या नौकरी के लिए घर से दूर जा रही बेटी अपने लिए सबसे ज्यादा विश्वास और उम्मीद पिता की आंखों में ही देखती है। ऐसा ही होता है एक पिता का मन, जो प्रेम दिखाता तो नहीं पर निभाता जरूर है। इसी निभाव के लिए पिता बेटियों की उम्र के मुताबिक ढलते और साथ चलते रहते हैं, ताकि जीवन के हर पड़ाव पर बने रहें अपनी बिटिया का संबल। और शायद यही वजह है कि आज बेटियां अपने पिता के ज्यादा नजदीक हैं। वे पिता को अपना गुरु, अपना मार्गदर्शक मानती हैं और अपना सबसे अच्छा दोस्त भी। यही वजह है कि वे उनकी अंगुली हमेशा पकड़े रहती हैं ।
एक पिता सब कुछ समझता हैं। बेटियों के मन की बात बिन उनके बोले ही जान लेते हैं। तभी तो बेटियों के सबसे प्रिय होते हैं पिता। जीवन में हर चुनौती से जूझते समय हाथ थामे रहने वाला दृढ़ सहारा होते हैं। हां, भावनाओं को अभिव्यक्त करने में पिता का हृदय थोड़ा संकोच जरूर करता है पर मन के भीतर अथाह प्रेम भरा होता है।
बेटी के लिए पिता का साथ जिंदगी के हर पहलू पर असर डालता है। यह साथ जीवन का हर हिस्सा संवारता है। तभी तो बदलते समय के साथ यह भूमिका और बड़ी हो रही है। पिता के साथ, समझ और स्नेह भरे व्यवहार तले बड़ी होने वाली बेटियां अपने अस्तित्व को लेकर जागरूक हैं। जो बेटियां पिता की देख-रेख में पलती हैं व अच्छा संस्कार पाती हैं, उनमें आत्मसम्मान का भाव बहुत गहरा होता है। पिता से सुरक्षा का जो वादा मिलता है, वह कभी किसी और रिश्ते से नहीं मिल सकता। आज के समय में जब, लड़कियों की भूमिका केवल घर तक ही सीमित नहीं रह गई है, इस रिश्ते में आए बदलावों ने बिटिया और पापा को मानवीय आधार पर भी जोड़ दिया है।