

अनुभव अवस्थी
किसानों के आंदोलन को सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का भी साथ मिल गया है। अन्ना ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग की है। सिफारिशों को लागू न करने पर एक बार फिर से अनशन करने की चेतावनी दी है। पिछले कुछ महीनों में मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि हाल के दिनों में संसद में पारित किए गए तीनों कानूनों को रद्द किया जाए। किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया था। 12 दिसंबर को हाईवे बंद करने का आह्वान किया था। 14 दिसंबर को जिला मुख्यालयों पर धरना और किसान नेताओं ने एक दिन की भूख हड़ताल की।
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे इससे पहले 8 दिसंबर को केन्द्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में एक दिन के अनशन पर थे। अन्ना हजारे ने अपने पत्र में लिखा है कि अगर किसानों की मांगें पूरी नहीं हुईं तो वह एक ‘जन आंदोलन‘ करेंगे। अन्ना हजारे ने पत्र में कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार को ‘लोकपाल आंदोलन’ के दौरान हिला दिया गया था। उन्होंने कहा, ‘मैं इन किसानों के विरोध को भी उसी तरह देख रहा हूं। किसानों के बुलाए भारत बंद के दिन मैंने रालेगण-सिद्धि में अपने गांव में एक दिन का उपवास किया था और किसानों की मांगों को मेरा पूरा समर्थन है।’
हजारे की अन्य मांगों में कृषि लागत एवं दाम आयोग को स्वायत्ता प्रदान करना शामिल है। हजारे ने कहा है कि कब और कहां आंदोलन होगा, इसके बारे में जल्द जानकारी दी जाएगी।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले हजारे फरवरी 2019 में महाराष्ट्र के अहमदनगर में अपने गांव रालेगण सिद्धि में उपवास पर बैठ गए थे। तत्कालीन केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने हजारे लिखित आश्वासन दिया था कि केंद्र सरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों तथा अन्य कृषि संबंधी मांगों पर चर्चा के लिए उच्चस्तरीय समिति का गठन करेगी, जिसके बाद उन्होंने अपना उपवास खत्म कर दिया था।
80 वर्षीय अन्ना हजारे ने कहा कि जल्द ही केन्द्र सरकार को उनके अनशन की तिथि और स्थान के बारे में बता दिया जाएगा। अन्ना हजारे ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर आठ दिसंबर को किसान संगठनों के भारत बंद के दौरान उपवास रखा था।
