मंदसौर जिले की सिल्वर गार्लिक दमेकेगी, कृषकों की किस्मत समृद्ध होती चमकेगी

एक जिला-एक उत्पाद में मंदसौर में लहसून का चयन
चंदन गौड़
मन्दसौर –
मालवांचल के पश्चिमी भाग में स्थित मंदसौर जिला अन्य उपजों में प्रमुख लहसुन उपज के मामले में सर्वश्रेष्ठ है। जिस प्रकार काला सोना के नाम से यहाँ अफीम की उपज प्रसिद्ध है वैसे ही सफेद चाँदी के नाम से लहसुन (गार्लिक) प्रसिद्ध है। यहाँ के कृषकों के आर्थिक विकास में लहसुन का बहुत बड़ा योगदान है। एक जिला एक-एक उत्पाद में मंदसौर में लहसून का चयन किया गया है।
मंदसौर जिले में निम्न प्रकार की लहसुन को बोया जाता है :- 1- ऊटी लहसुन 2-जी2 3 अमरेटा 4- देशी 5- महादेव 6-रीयावन 7- तुलसी। किसान की जैसी क्षमता वैसा बीज क्रय व उसका रोपण। ऊटी की लहसुन अच्छी मानी जाती है , इसका बीज भी महंगा आता है किसान इसे बाहर से मंगवाते हैं व रोपते हैं।
लहसुन की पैदावार में मट्टी की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मंदसौर जिला 90% डेक्कन ट्रेप्स पर बसा होने के कारण यहाँ काली मिट्टी अधिक पायी जाती है। जिले की अन्य मिट्टियों में लाल मिट्टी, लेटराइट मिट्टी,जलोढ़ मिट्टी तथा पथरीली मिट्टी उल्लेखनीय है। लहसुन के बोने के लिए पहले खेत तैयार किया जाता है। दो बार जुताई की जाती, पाटा लगाया जाता है ,मिट्टी भुरभुरी हो जाने पर खेत में सुविधानुसार क्यारियाँ बना ली जाती है। बीजों को उपचारित करके 6-7 इंच की दूरी रख रोपण कर दिया जाता है। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून को छोड़कर सूखा मॉनसून रहता है वर्षा के समाप्त होते होते इसका रोपण कर दिया जाता है। सितंबर-अक्टूबर माह में इसका रोपण सम्पन्न कर लिया जाता है। लगभग 7 से 15 दिवस के अंतराल में क्यारियों की सिंचाई अनिवार्य होती है। फरवरी माह में इसे निकाल लिया जाता है। बोने का समय आगे-पीछे होने पर निकालने का समय घट- बढ़ जाता है। कृषि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार किसान खाद व दवाई का उपयोग करते हैं। लहसुन की फसल अकेली होती है दूसरी फसल के साथ इसको नहीं लगाया जाता। कई किसान इसके लिए खेत खाली छोड़ देते हैं ताकि फसल अच्छी हो।
एक किसान का कहना है कि एक स्थान पर इसे एक बार लगा देते हैं तो दूसरी बार उसी स्थान पर नहीं लगाते क्योंकि वह उतनी मात्रा नहीं दे पाती। लहसुन का रकबा लगभग 1 लाख 82 हजार 110 मिट्रिक टन उत्पादन होना पाया जाता है।मंदसौर जिले की लहसुन की यह विशेषता है कि यह लंबे समय तक चलती है। इसकी कली मजबूत रहती है। 2 से 60 किलो की पैकिंग में यह बाहर भेजी जाती है।
आत्मविश्वास निर्भर मध्यप्रदेश के तहत एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत मंदसौर जिले में लहसुन को चुना गया है और अब इसकी ब्रांडिंग की जा रही है। विगत माह कलेक्टर मनोज पुष्प ने विशेष रूचि लेकर एक जिला एक उत्पाद के संबंध में बैठक की थी जिसमें बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के प्रतिनिधि भी सम्मिलित हुए थे।
मंदसौर की कृषि उपज मंडी में मंदसौर जिले ही नहीं बल्कि अन्य जिलों के कृषक भी अपनी लहसुन बेचने आते हैं। महू नीमच मार्ग पर लहसुन को लेकर,मंडी में लहसुन बेचने के लिए 2- 3 कि मी लंबी लाइन लहसुन उत्पादन में इसकी रूचि को प्रमाणित करती है। मंदसौर, पिपलिया मंडी , लहसुन की प्रसिद्ध मंडियां हैं। मंदसौर जिले की लहसुन देश के सभी राज्यों में ट्रांसपोर्ट होती है।
मंदसौर की मसाला निर्माण की औद्योगिक इकाइयों में लहसुन का भरपूर उपयोग किया जाता है। उद्योग में प्लेक्स, लहसुन पावडर, आयुर्वैदिक औषधि निर्माण के लिए इसका उपयोग किया जाता है। इसका ब्लेक गार्लिक का रूप अधिक महंगा होता है।
दक्षिण यूरोप की मूल लहसुन (गार्लिक) की मंदसौर जिले में लहसुन की ब्रांडिंग कर लहसुन कृषकों को कृषक उद्यमी बनाकर प्रोसेसिंग यूनिट व लहसुन आधारित उद्योगों व यूनिटों से जोड़ने की पर्याप्त क्षमताएँ परिलक्षित होती हैं। इस जिले के दो छोरों पर बेहतर रेल परिवहन है। चंबल के पानी की सुविधा है। दिल्ली से मुंबई एक्सप्रेस वे भी जिले के मध्य से गुजर रहा है। जलवायु की अनुकूलता है। लहसुन मंदसौर जिले की पहचान बन जाएगी तो निश्चित है – मंदसौर जिले की सिल्वर गार्लिक दमेकेगी, कृषकों की किस्मत समृद्ध होती चमकेगी।