क्या रत्नों को पहना जाना चाहिए ?या नहीं। क्या रत्न सभी के लिए लाभकारी हैं ? आईये जानिए ज्योतिषाचार्य नेहा श्री से

ज्योतिष में रत्नों व कीमती पत्थरों को उपाय के तौर पर हम बहुत बार पहनते हैं। कई बार यह रत्न और कीमती पत्थर हमारी सामाजिक व आर्थिक स्थिति को दर्शाने मात्र का साधन बन जाते हैं। बहुत बार किसी ज्योतिषी या पंडित जी द्वारा बताए जाने पर भी ये रत्न हमें अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाते और हम रत्नों को कोसना शुरू कर देते हैं। क्या यह सही है ?क्या रत्नों को पहना जाना चाहिए ?या नहीं। क्या रत्न सभी के लिए लाभकारी हैं ? यह ऐसे कुछ प्रश्न है जिनको जान लेना सभी के लिए आवश्यक है। रत्न आपके लिए तभी सकारात्मक परिणाम देंगे जब आप उनके लिए अच्छी सोच रखेंगे। कुछ ऐसी बातें हैं जिनके कारण या जिनके होते हुए रत्न अपेक्षित परिणाम व लाभ नहीं देते और हमें समाधान तक नहीं पहुंचाते ।आइए उन कारणों पर ध्यान दें व सुधारने का प्रयास करें।
1 यदि आप रत्नों के परिणामों के प्रति सकारात्मक नहीं है। बहुत सी ऐसी स्थितियां हो जाती हैं कि जब आप अपने परिस्थितियों में परिवर्तन तो चाहते हैं,परंतु उसका खुले दिल से स्वागत करना नहीं जानते । आप स्वयं में निश्चित नहीं है कि वाकई में क्या परिणाम होने वाला है।जब आप स्वयं ही मानसिक दुविधा में हैं, तो रत्न जो भी परिणाम देंगे वह दुविधा पूर्ण ही देंगे इसमें कोई संशय नहीं है।
2 यदि आप रत्नों को कोई दवाई समझें। रत्न कोई दवाई नहीं है, जिसे कुछ दिन खाने के बाद तुरंत परिणाम दिखाई देने लगे। रत्न मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाने में सहायक है। रत्न हमारे औरा को और हमारे चुंबकीय क्षेत्र को सकारात्मक करने का साधन है।यह शारिरिक या मानसिक दुर्बलता को एक निश्चित सीमा तक ही दूर कर सकते हैं।
3 धैर्यहीनता यदि आप रत्न पहनने के तुरंत बाद ही किसी परिणाम की अपेक्षा करते हैं तो यह संभव नहीं है। जैसे भोजन करने के लगभग 18 घंटे बाद ही उसके पौष्टिक तत्व शरीर में अवशोषित होते हैं, इसी प्रकार बाह्य रूप से रत्न यदि हमारे शरीर पर धारण किए गए हैं ,तो उनकी किरणें हमारे शरीर द्वारा अवशोषित होने में समय लगेगा। और इसी प्रकार जो परिणाम है उनको प्राप्त करने में समय लगेगा।
4 रत्न तब भी आपको परिणाम देने में कोई सहायता नहीं करते जब आप तुरंत किसी चीज की अपेक्षा करते हैं। 2 मिनट मैगी वाले समय में हम रत्नों से भी यही अपेक्षा करें तो यह उचित नहीं। रत्न अपने परिणाम देने में समय लगाते हैं।ये हमारे मार्ग की कठिनाइयों को दूर कर सकते हैं परंतु मार्ग का निर्माण नहीं कर सकते।
5 यदि किसी बड़े, सुंदर व महंगे पत्थर को आप अपनी आर्थिक स्थिति प्रदर्शित करने का साधन मानते हैं, तो वह सिर्फ साधन मात्र बनकर रहता है। आपके लिए कोई धनात्मक परिणाम नहीं लेकर आता।
6 यदि आप अपने रत्नों की व कीमती पत्थरों की निरंतर सफाई नहीं करते तो उनसे शोषित होने वाली किरणें शरीर को लाभ नहीं पहुंचाती। व उपाय के तौर पर भी निष्क्रिय रहती हैं।
7 यदि आप किसी शारीरिक बीमारी का इलाज केवल रत्न या कीमती पत्थर पहन कर करने में विश्वास करते हैं।बजाए मेडिकल सहायता लेने के।तो यह आपकी कोई मदद नहीं करता। रत्न मेडिकल सहायता के साथ सहायक सिद्ध हो सकता है, परंतु इस विषय में अकेला कोई काम नहीं कर सकता।
8 रत्न या कीमती पत्थर आपके औरा को पॉजिटिव करने के साथ ही विभिन्न शारीरिक व मानसिक शक्तियों से भी आपका परिचय कराते हैं। परंतु यह तभी संभव है जब आप स्वयं मानसिक रूप से स्थिर रहें। इसके लिए प्रयास स्वयं को करना होगा रत्न यहां पर भी मात्र सहायक सिद्ध होंगे ।
9 यदि आप कुछ चाहते तो हैं, परंतु आपको यह नहीं पता कि क्या? इस स्थिति में भी रत्न आपकी कोई सहायता नहीं करेंगे। अपनी इच्छाओं के विषय में आपको पता होना चाहिए। अपने काम के प्रति ईमानदार रहना इसके बाद ही रत्न पहनना सहायक होगा।
10 रत्न उस स्थिति में ही आपके सहायक सिद्ध होंगे जब आप उनकी उनका उचित रखरखाव व उचित सम्मान करेंगे। केवल यही कुछ स्थितियां है जब रत्नों से आप कुछ प्राप्त कर सकेंगे।
आपके संचित कर्मों के फल प्राप्त करने में रत्न मात्र सहायक हैं। रत्न साधन हैं। जो प्रारब्ध में लिखा है आप वही प्राप्त कर सकते हैं ।यदि प्रारब्ध में नहीं लिखा तो रत्नों के द्वारा यह प्राप्त नहीं किया जा सकता।
ईश्वर की आराधना , प्रभु की कृपा व आपका विश्वास ही सर्वोपरि है।
