पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त जी की 133वीं जयंति पर नमन्


भारत के अमिट सितारों में जाने वाले पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और वरिष्ठ भारतीय राजनेता थे। वे उत्तर प्रदेश राज्य के प्रथम मुख्य मन्त्री और भारत के चौथे गृहमंत्री थे। सन 1957 में उन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया गया । आज उन्ही पं गोविन्द बल्लभ पन्त जी की 133वीं जयतिं पर समूचा राष्ट्र उनके योगदान को याद करते हुए नमन् कर रहा है।
इनका जन्म 10 सितम्बर 1887 को अल्मोड़ा जिले के श्यामली पर्वतीय क्षेत्र स्थित गाँव खूंट में महाराष्ट्रीय मूल के एक ब्राह्मण कुटुंब में हुआ। इनकी माँ का नाम गोविन्दी बाई और पिता का नाम मनोरथ पन्त था। बचपन में ही पिता की मृत्यु हो जाने के कारण उनकी परवरिश उनके नाना श्री बद्री दत्त जोशी ने की। सन् 1905 में उन्होंने अल्मोड़ा छोड़ दिया और इलाहाबाद चले गये। म्योर सेन्ट्रल कॉलेज में वे गणित, साहित्य और राजनीति विषयों के श्रेष्ठतम विद्यार्थियों में सबसे आगे थे। अध्ययन के साथ-साथ वे देश की कांग्रेस के स्वयंसेवक का कार्य भी करते थे। 1907 में बी०ए० और 1909 में कानून की डिग्री सर्वोच्च अंकों के साथ हासिल की । इसके उपलक्ष्य में उन्हें कॉलेज की ओर से “लैम्सडेन अवार्ड” दिया गया।
दिसम्बर 1921 में वे गांधी जी के आह्वान पर असहयोग आन्दोलन के साथ राजनीति में उतर आये।

9 अगस्त 1925 को काकोरी काण्ड करके उत्तर प्रदेश के स्वतंत्रता की चिनगारी जलाए नवयुवकों ने सरकारी खजाना लूट लिया तो उनके मुकदमें की पैरवी के लिये अन्य वकीलों के साथ पन्त जी ने जी-जान से सहयोग किया। 1927 में राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ व उनके तीन अन्य साथियों को फाँसी के फन्दे से बचाने के लिये उन्होंने पण्डित मदन मोहन मालवीय के साथ वायसराय को पत्र भी लिखा किन्तु कुछ लोगों का समर्थन न मिल पाने से वे उस मिशन में कामयाब न हो सके।
जब भारतवर्ष का अपना संविधान बन गया और संयुक्त प्रान्त का नाम बदल कर उत्तर प्रदेश रखा गया तो फिर उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के लिये सर्व सम्मति से उपयुक्त पाया गया। इस प्रकार स्वतन्त्र भारत के नवनामित राज्य के भी वे 26 जनवरी 1950 से लेकर 27 दिसम्बर 1954 तक मुख्यमंत्री रहे। स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले ही 17 जुलाई 1937 से लेकर 2 नवम्बर 1939 तक वे ब्रिटिश भारत में संयुक्त प्रान्त अथवा उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने। इसके बाद दोबारा उन्हें यही दायित्व फिर सौंपा गया और वे 1 अप्रैल 1946 से 15 अगस्त 1947 तक संयुक्त प्रान्त या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
देश के पहले गृहमंत्री रहे सरदार पटेल की मृत्यु के बाद उन्हें गृह मंत्रालय, भारत सरकार के प्रमुख का दायित्व दिया गया।
भारत के गृह मंत्री रूप में उनका कार्यकाल सन् 1955 से लेकर 1961 में उनकी मृत्यु होने तक रहा। 7 मार्च 1961 को हृदयाघात से जूझते हुए उनकी मृत्यु हो गयी। उस समय वे भारत सरकार में केन्द्रीय गृह मन्त्री थे।
पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त जी के योगदान को देखते हुए उनके नाम पर प्रमुख संस्थान को खोला गया
गोविंद बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान प्रयागराज उत्तर प्रदेश
गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर, उत्तराखण्ड
गोविन्द बल्लभ पन्त अभियान्त्रिकी महाविद्यालय, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड
गोविन्द बल्लभ पंत सागर, सोनभद्र, उत्तर प्रदेश
पं गोविन्द गोविन्द बल्लभ पंत इण्टर कॉलेज काशीपुर ऊधमसिंह नगर (उत्तराखंड)