प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मन की बात


अनुभव अवस्थी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री का मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात जो हर महीने के आखिरी रविवार को प्रसारित किया जाता है। ने मन की बात कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि, ‘4 दिन बाद ही 2021 की शुरुआत होने जा रही है, यह 2020 की अंतिम मन की बात है’ चार दिन बाद नया साल शुरू होने वाला है। अब अगली मन की बात 2021 में होगी। उन्होने कहा कि देश में नया सामर्थ्य पैदा हुआ है। इस नई सामर्थ्य का नाम आत्मनिर्भरता है।
गुरु गोविंद सिंह जी के परिवार को किया नमन
आज के ही दिन गुरु गोविंद जी को नमन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, गुरु गोविंद सिंह जी के पुत्रों, साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था। अत्याचारी चाहते थे कि साहिबजादे अपनी आस्था छोड़ दें, महान गुरु परंपरा की सीख छोड़ दें, लेकिन हमारे साहिबजादों ने इतनी कम उम्र में भी गजब का साहस दिखाया, इच्छाशक्ति दिखाई। दीवार में चुने जाते समय, पत्थर लगते रहे, दीवार ऊँची होती रही, मौत सामने मंडरा रही थी, लेकिन, फिर भी वो टस-से-मस नहीं हुए।
आज ही के दिन गुरु गोविंद सिंह जी की माता जी – माता गुजरी ने भी शहादत दी थी। लोग, श्री गुरु गोविंद सिंह जी के परिवार के लोगों के द्वारा दी गयी शहादत को बड़ी भावपूर्ण अवस्था में याद करते हैं। इस शहादत ने संपूर्ण मानवता को, देश को, नई सीख दी।
वोकल फॉर लोकल
मैं देश के manufacturers और industry leaders से आग्रह करता हूँ: देश के लोगों ने मजबूत कदम उठाया है, मजबूत कदम आगे बढ़ाया है । #Vocal4Local ये आज घर-घर में गूँज रहा है ।ऐसे में, अब, यह सुनिश्चित करने का समय है, कि, हमारे उत्पाद विश्वस्तरीय हों । जो भी ग्लोबल बेस्ट है, वो हम भारत में बनाकर दिखाएं। इसके लिए हमारे उद्यामी साथियों को आगे आना है। स्टार्टअप को भी आगे आना है।
कश्मीरी केसर वैश्विक स्तर पर एक ऐसे मसाले के रूप में प्रसिद्ध है, जिसके कई प्रकार के औषधीय गुण हैं। यह अत्यंत सुगन्धित होता है, इसका रंग गाढ़ा होता है और इसके धागे लंबे व मोटे होते हैं। जो इसकी औषधीय मूल्य को बढ़ाता है।
आप हर साल नए साल पर रिज़्योल्यूशन लेते हैं, इस बार एक रिज़्योल्यूशन अपने देश के लिए भी जरूर लेना है । हम दिन भर जो चीजें काम में लेते हैं उन सभी चीजों की विवेचना करें और ये देखें कि अनजाने में कौन-सी विदेश में बनी चीजों ने हमारे जीवन में प्रवेश कर लिया है। इनके भारत में बने विकल्पों का पता करें और ये तय करें कि हम आगे से भारत में बने उत्पादों का इस्तेमाल करेंगे।
तेंदुओं की संख्या बढ़ने की बात कही
मेरे प्यारे देशवासियो, अब मैं एक ऐसी बात बताने जा रहा हूँ, जिससे आपको आनंद भी आएगा और गर्व भी होगा।
भारत में तेंदुओं की संख्या में, 2014 से 2018 के बीच, 60 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। देश के अधिकतर राज्यों में, विशेषकर मध्य भारत में, तेंदुओं की संख्या बढ़ी है। तेंदुए की सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में, मध्यप्रदेश, कर्नाटका और महाराष्ट्र सबसे ऊपर हैं। यह एक बड़ी उपलब्धि है। पिछले कुछ सालों में, भारत में शेरों की आबादी बढ़ी है, बाघों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, साथ ही, भारतीय वनक्षेत्र में भी इजाफा हुआ है। इसकी वजह ये है कि सरकार ही नहीं बल्कि बहुत से लोग, सामाजिक संगठन, कई संस्थाएँ भी, हमारे पेड़-पौधों और वन्यजीवों के संरक्षण में जुटी हुई हैं।
भागवत गीता का ज्ञान
गीता की ही तरह, हमारी संस्कृति में जितना भी ज्ञान है, सब, जिज्ञासा से ही शुरू होता है।
वेदांत का तो पहला मंत्र ही है – ‘अथातो ब्रह्म जिज्ञासा’ अर्थात, आओ हम ब्रह्म की जिज्ञासा करें।
गीता, हमें, हमारे जीवन के हर सन्दर्भ में प्रेरणा देती है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, गीता इतनी अद्भुत ग्रन्थ क्यों है ? वो इसलिए क्योंकि ये स्वयं भगवान श्रीकृष्ण की ही वाणी है।
लेकिन गीता की विशिष्टता ये भी है कि ये जानने की जिज्ञासा से शुरू होती है। प्रश्न से शुरू होती है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में कहा
देश के सम्मान में सामान्य मानवी ने इस बदलाव को महसूस किया है। मैंने देश में आशा का एक अद्भुत प्रवाह भी देखा है। चुनौतियां खूब आई, संकट भी अनेक आए। कोरोना के कारण दुनिया में सप्लाई चेन को लेकर अनेक बाधाएं भी आई, लेकिन हमने हर संकट से नए सबक लिए। कोरोना के कारण, आपूर्ति श्रृंखला दुनिया भर में बाधित हो गई, लेकिन हमने प्रत्येक संकट से नए सबक सीखे। राष्ट्र ने नई क्षमताओं को भी विकसित किया है। इस क्षमता को हम आत्मनिर्भरता कह सकते हैं।
अधिकतर पत्रों में लोगों ने देश के सामर्थ्य, देशवासियों की सामूहिक शक्ति की भरपूर प्रशंसा की है। जब जनता कर्फ्यू जैसा अभिनव प्रयोग, पूरे विश्व के लिए प्रेरणा बना, जब ताली-थाली बजाकर देश ने हमारे कोरोना वॉरियर्स का सम्मान किया था, एकजुटता दिखाई थी उसे भी कई लोगों ने याद किया है ।
कोरोना के कारण, आपूर्ति श्रृंखला दुनिया भर में बाधित हो गई, लेकिन हमने प्रत्येक संकट से नए सबक सीखे। राष्ट्र ने नई क्षमताओं को भी विकसित किया है। इस क्षमता को हम आत्मनिर्भरता कह सकते हैं ।