2020 की चुनौतियों का सामना कर, विश्व की सशक्त छवि बनाया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने

हम होंगे कामयाब
साल 2020 अब समाप्ति की ओर अग्रसर है। यूं तो साल बीतते हैं और नये साल आते हैं, पर इस जाते हुए साल ने देश की जनता को जो कुछ भी दिया है वह आगे आने वाले कई सालों तक भुलाया नहीं जा सकता है। कोविड-19 महामारी और वैश्विक अर्थव्यवस्था को हिला देने के लिए हमेशा इतिहास में याद रखा जाएगा। अब इस साल के समाप्त होने में महज कुछ दिन और शेष रह गए हैं और लोग नए साल में वैक्सीन आने के साथ कई चीजों को लेकर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं। आइये जानते हैं वो कब-कब कौन से मौके आए जब पीएम मोदी ने देश के सामने आकर लोगों को संबोधित किया और जनता के हित की बात की।
कोरोनावायरस आगमन पर सतर्कता, जनता कर्फ्यू

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह संबोधन उस वक्त हुआ जब दुनिया में कोरोना महामारी पूरी तरह से पैर फैला चुकी थी और भारत में भी यह तेजी के साथ फैल रही थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 19 मार्च को 28 मिनट 54 सेकेंड तक लोगों को संबोधित करते हुए लोगों से 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाने और भविष्य में लॉकडाउन के लिए तैयार रहने के संकेत दिए थे। एक दिन के जनता कर्फ्यू में आम नागरिकों से सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक घर के अंदर ही रहने को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से कहा गया था। इसके साथ ही, लोगों से सोशल डिस्टेसिंग का पालन करने अपील की गई थी । 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आवाहन पर पांच बजने के साथ ही देशभर में लोग ताली, घंटी और शंख बजाने लगे। देशभर में हर कोने से कोरोना के खिलाफ जंग की आवाज बुलंद हो रही है। जनता कर्फ्यू की वजह से घरों में कैद लोग जैसे 5 बजने का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही 5 बजे लोग उन लोगों के प्रति आभार व्यक्त करने लगे, जो अपनी जान की परवाह किए बगैर सेवा में लगे हुए हैं।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना

देश में आपदा की स्थिति में अब तक की सबसे बड़ी योजना में शामिल प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना रही है। कोरोना महामारी के कारण कई लोगों को खाने-पीने की दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। इसे लेकर केंद्र सरकार ने 26 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत देश के करीब 80 करोड़ राशन कार्डधारकों को मुफ्त में अनाज उपलब्ध कराने का एलान किया गया था। इस योजना के तहत एक परिवार के प्रति सदस्य को 5 किलो गेहूं या चावल और 1 किलो चने की दाल देने का प्रावधान किया गया था। यह अनाज के मौजूदा कोटे से अतिरिक्त दिया जाना था। हालांकि यह योजना 30 नवंबर तक के लिए ही लाया गया था।
एक देश, एक राशन कार्ड योजना

एक देश, एक राशन कार्ड का मतलब एक ही राशन कार्ड का इस्तेमाल देश के किसी भी हिस्से में किया जा सकता है। इस योजना को लागू करने का मूल उद्देश्य यह है कि देश का कोई भी गरीब व्यक्ति सब्सिडी आधारित खाद्य पदार्थों से वंचित ना रहे। यह योजना देश के 77% राशन की दुकानों पर लागू की जा सकती हैं। योजना वहीं लागू होगी जहां पहले से PoS मशीन उपलब्ध है। इस योजना को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत लागू किया जा रहा है। इस योजना के तहत पीडीएस की 83 फीसदी आबादी वाले 23 राज्यों में 67 करोड़ लाभार्थियों को अगस्त 2020 तक राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी द्वारा कवर किया जाएगा। हालांकि मार्च 2021 तक शत-प्रतिशत राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी प्राप्त की जाएगी।
महिलाओं के जन-धन खाते में 500 रुपये जमा

मोदी सरकार ने गरीब से गरीब लोगों को भी बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ने के लिए व आर्थिक सहयोग के उद्देश्य से जन धन खाते की शुरुआत की थी। इस साल कोरोना महामारी के दौर में जब लोगों को आर्थिक रूप से समस्याओं का सामना करना पड़ा व वित्तिय समस्याएं उत्पन्न होने लगी। तब इस कोरोना महामारी के दौरान केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 26 मार्च 2020 को घोषणा की कि अगले तीन महीने तक हर महिला के जन धन खाते में 500 रुपये भेजे जाएंगे ।
प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि

केंद्र सरकार ने जून 2020 में पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना लांच किया। यह योजना कोरोना के कारण प्रभावित हुए रेहड़ी-पटरी पर सामान बेचकर दुकानदारों की मदद के लिए शुरू किया था। इस योजना के तहत सस्ती दरों पर बिना गारंटी 10 हजार तक का लोन मिलता है। इस योजना के तहत ठेले वाले दुकानदार, नाई की दुकान, मोची, पान की दुकान, सब्जी वाले, फल वाले इत्यादि लाभ उठा सकते हैं।
NRA, राष्ट्रीय नियुक्ति एजेंसी का गठन

इस साल बजट में एक राष्ट्रीय रिक्रटमेंट एजेंसी (एनआरए) के गठन की घोषणा की गई थी । 19 अगस्त 2020 को इसका गठन किया गया। एनआरए का कार्य केंद्र सरकार की सभी नौकरियों के ग्रुप बी और ग्रुप सी पदों के लिए एक परीक्षा का आयोजन करना है। इसमें आरआरबी, आईबीपीएस और एसएससी का विलय कर दिया जाएगा. योग्यता के मुताबिक विभिन्न स्तरों पर 10वीं, 12वीं और स्नातक पास लोगों के लिए अलग-अलग कॉमन एंट्रेस टेस्ट (सीईटी) लिया जाएगा। यह हर साल दो बार आयोजित होगी। इससे रोजगार खोज रहे लोगों को बहुत फायदा हुआ क्योंकि अब अलग-अलग फॉर्म भरने की जरूरत खत्म हुई और कई एग्जाम देने की भी जरूरत खत्म हुई। इससे न सिर्फ प्रतियोगी का समय बचेगा बल्कि उनका खर्च भी कम होगा. इसका स्कोर कार्ड तीन साल के लिए वैध रहेगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

जुलाई 2020 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के ढांचे को मंजूरी दी। नई शिक्षा नीति में 10+2 के फॉर्मेट को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। अभी तक भारत में शिक्षा, स्कूली पाठ्यक्रम 10+2 के हिसाब से चलता है लेकिन अब ये 5+ 3+ 3+ 4 के हिसाब से होगा।
इसका अभिप्राय है कि, प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक एक हिस्सा, फिर तीसरी से पांचवीं तक दूसरा हिस्सा, छठी से आठवीं तक तीसरा हिस्सा और नौंवी से 12 तक आखिरी हिस्सा होगा। पॉलिसी में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि कम से कम कक्षा 5 तक सिखाने का माध्यम मातृभाषा या स्थानीय/क्षेत्रीय भाषा हो। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत उच्च शिक्षा के लिए भी बड़े सुधार शामिल किए गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2020

देश के लोकतंत्र में गुजरते हुए समय के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मजबूती से स्थापित होते जा रहे हैं। लोकप्रिय नेता भी और संगठनकर्ता भी, सख्त प्रशासक भी और कुशल संवादकर्ता भी । यही कारण है कि विशेषकर पिछले कुछ साल में उनके आलोचक अवसरों पर घेरते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि और सशक्त ही होती चली गई। कोरोना, चीन और अर्थव्यवस्था के तीन अहम मोर्चो पर मोदी को बांधने की हर कोशिश हुई , उनके आलोचकों ने उन पर प्रतिक्रिया की और उन्हें घेरने की पूरी कोशिश की ,
लेकिन वह इस बेहद चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना करते हुए सभी चक्रव्यूह से लगभग बाहर आकर खड़े हो गए हैं। दरअसल ये तीन ऐसे मोर्चे हैं जिन पर न सिर्फ घरेलू छवि बल्कि अंतरराष्ट्रीय छवि भी निर्भर करती है। गुजरते हुए 2020 में आयी महामारी कोरोनावायरस से मझे हुए योद्धा की तरह सामना किया जिसमें देश की जनता ने उन्हें अपना समर्थन दिया । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल इस महामारी से खुला मोर्चा लिया बल्कि संसार में महाशक्ति के रूप उभर कर चीन के दबाव और अर्थव्यवस्था पर मंडरा रही महामंदी की आशंकाओं को भी घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।