देश में शिक्षा के विकास व आधुनिकता को बढ़ावा देने वाली नयी शिक्षा नीति-2020
इससे पहले वर्ष 1986मे तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी जी ने पहली बार बदलाव कर आधुनिक भारत के लिए शिक्षा को बढ़ावा दिया
वर्ष 1992 में इस नीति में संशोधन कर पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी.नरसिम्हाराव की सरकार ने लागू किया ।
अनुभव अवस्थी सब एडिटर प्रत्यंचा ————नई शिक्षा निति पर विशेष समीक्षा
भारत में वर्ष 1986 में शिक्षा नीति लागू की गई थी 1992 में इस नीति में कुछ संशोधन किए गए थे । जैसा कि विदित है कि, इतिहास के प्राचीनकाल से शिक्षा का विकास एवं प्रसार होता रहा है। प्रत्येक देश अपनी सामाजिक-सांस्कृतिक को अभिव्यक्ति देने और बढ़ाने के लिए और साथ ही अपनी विशिष्ट शिक्षा प्रणाली विकसित करता है, लेकिन देश के इतिहास के पन्नों पर कभी-कभी ऐसा समय आता है, जब वर्षों से चले आ रहे उस क्रम को एक नई दिशा देने की जरूरत हो जाती है। देश के लिए आज वही समय है।
हमारा देश आर्थिक और तकनीकी के क्षेत्र से उस स्तर, पर पहुंच गया है जहाँ से हम अब तक के संचित किए साधनों का उपयोग करते हुए समाज के हर वर्ण को पारस्परिक लाभ पहुंचाने का निरंतर प्रबल प्रयास करें। शिक्षा उस उद्देश्य तक पहुंचने का प्रमुख साधन है। यानी 34 साल बाद देश में एक नई शिक्षा नीति लागू की जा रही है । इस नयी शिक्षा नीति को पूर्व इसरो प्रमुख के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति ने इसका प्रारुप तैयार किया है, जिसे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक ने को मंज़ूरी दी ।
नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई अहम परिवर्तन किए गए हैं ।
भारत की नयी शिक्षा नीति-2020 —-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है । भारत सरकार के केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय जोकि अब शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जायेगा, मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बुधवार को प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी ।
वर्ष 1986 की शिक्षा नीति-
आचार्य राममूर्ति की अध्यक्षता में 7 मर्इ 1990 को भारत सरकार ने नर्इ शिक्षा नीति को संशोधित करने के लिए एक समिति गठित की। इस समिति ने निम्न बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया–
मातृ भाषा को स्थान,शिक्षा के उद्देश्य,स्कूली विश्व व कार्य स्थल में सम्बन्ध स्थापित करना,सामान्य स्कूल प्रणाली,स्त्रियों की शिक्षा,विद्यालय प्रशासन का विकेन्द्रीकरण,परीक्षा सुधार, व्यक्तियों का कार्य हेतु सशक्तीकरण,धार्मिक अन्तर कम करना (शैक्षणिक संस्थानों में)
नई शिक्षा नीति-2020 की मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं–
नई शिक्षा नीति में कक्षा पांच तक मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का माध्यम रखने की बात कही गई है । इसे कक्षा आठ या उससे आगे भी जरुरत पर विस्तृत किया जा सकता है । नई शिक्षा नीति में यह भी कहा गया है कि किसी भी भाषा को थोपा नहीं जाएगा ।
अभी स्कूल से दूर रह रहे दो करोड़ बच्चों को दोबारा शिक्षा की मुख्य धारा में लाया जाएगा । इसके लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास और नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापनी की जाएगी ।
स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 पाठ्यक्रम की जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठृयक्रम संरचना लागू किया जाएगा जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र के बच्चों के लिए है । इसमें अब तक दूर रखे गए 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है, जिसे वैश्विक स्तर पर बच्चों के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है । अब छठी कक्षा से बच्चों को प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा दी जाएगी। स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी। चौथा स्टेज (कक्षा 9 से 12वीं तक का) 4 वर्ष का होगा। इसमें छात्र अपने पसंदीदा विषय चुनने की आजादी रहेगी। विज्ञान या गणित के साथ फैशन डिजाइनिंग भी पढ़ने की आजादी होगी।
नई व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास पर जोर दिया जाएगा। नई शिक्षा नीति बेरोजगारी की समस्या दूर करेगी। स्कूल में ही बच्चों को नौकरी के जरूरी प्रोफेशनल शिक्षा दी जाएगी।
10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा पहले की तरह जारी रहेगी । लेकिन बच्चों के समग्र विकास करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इन्हें बदला स्वरूप दिया जाएगा,
बच्चों को पढ़ने-लिखने और जोड़-घटाव (संख्यात्मक ज्ञान) की बुनियादी योग्यता पर ज़ोर दिया जाएगा ।
एनसीईआरटी 8 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा ।
शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय प्रोफ़ेशनल मानक (एनपीएसटी) राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2022 तक विकसित किया जाएगा, जिसके लिए एनसीईआरटी, एससीईआरटी, शिक्षकों और सभी स्तरों एवं क्षेत्रों के विशेषज्ञ संगठनों के साथ विचार विमर्श किया जाएगा ।
नयी शिक्षा नीति में बदलाव के साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. इसका मतलब है कि रमेश पोखरियाल निशंक अब देश के शिक्षा मंत्री कहलाएंगे ।
नई शिक्षा का लक्ष्य 2030 तक 3-18 आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का है।
इसके अलावा संगीत और कला को बढ़ावा दिया जाएगा । इन्हें पाठ्यक्रम में लागू किया जाएगा ।
लॉ और मेडिकल शिक्षा को छोड़कर समस्त उच्च शिक्षा के लिए एक एकल अति महत्वपूर्ण व्यापक निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग का गठन किया जाएगा ।
पहली बार मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम लागू किया गया है । आप इसे ऐसे समझे ,अगर चार साल का पाठ्यक्रम पढ़ने या कुछ सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे अध्ययन नहीं कर पाते हैं, तो आपके पास कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में एक साल के बाद सर्टिफ़िकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल के बाद डिग्री मिल जाएगी । इससे उन छात्रों को बहुत फ़ायदा होगा जिनका अध्ययन बीच में किसी कारण से छूट जाती है ।
नई शिक्षा नीति में छात्रों को ये स्वत्रंता रहेगी कि अगर वो कोई कोर्स बीच में छोड़कर दूसरे कोर्स में प्रवेश लेना चाहें तो वो पहले कोर्स से एक निश्चित समय तक ब्रेक ले सकते हैं और दूसरा कोर्स प्रवेश कर सकते हैं ।
उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए गए हैं । जो छात्र रिसर्च करना चाहते हैं उनके लिए चार साल का डिग्री प्रोग्राम होगा। जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे । लेकिन जो रिसर्च में जाना चाहते हैं वो एक साल के एम.ए के साथ चार साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद सीधे पी.एच.डी कर सकते हैं । उन्हें एम.फिल की ज़रूरत नहीं होगी