प्रकृति माँ की तरह हमारा पालन भी करती है और हमारी दुनिया में नए-नए रंग भी भरती है – पीएम मोदी, मन की बात


मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। आज हम एक बार फिर ‘मन की बात’ के लिए एक साथ जुड़ रहे हैं। दो दिन बाद दिसम्बर का महीना भी शुरू हो रहा है और दिसम्बर आते ही psychologically हमें ऐसा ही लगता है कि चलिए भई साल पूरा हो गया। ये साल का आखिरी महीना है और नए साल के लिए ताने-बाने बुनना शुरू कर देते हैं। इसी महीने Navy Day और Armed Forces Flag Day भी देश मनाता है। हम सबको मालूम है 16 दिसम्बर को 1971 के युद्ध का स्वर्णिम जयन्ती वर्ष भी देश मना रहा है। मैं इन सभी अवसरों पर देश के सुरक्षा बलों का स्मरण करता हूँ, हमारे वीरों का स्मरण करता हूँ। और विशेष रूप से ऐसे वीरों को जन्म देने वाली वीर माताओं का स्मरण करता हूँ।
साथियो, अमृत महोत्सव, सीखने के साथ ही हमें देश के लिए कुछ करने की भी प्रेरणा देता है और अब तो देश-भर में आम लोग हों या सरकारें, पंचायत से लेकर parliament तक, अमृत महोत्सव की गूँज है और लगातार इस महोत्सव से जुड़े कार्यक्रमों का सिलसिला चल रहा है। ऐसा ही एक रोचक प्रोग्राम पिछले दिनों दिल्ली में हुआ। “आजादी की कहानी-बच्चों की जुबानी’ कार्यक्रम में बच्चों ने स्वाधीनता संग्राम से जुड़ी गाथाओं को पूरे मनोभाव से प्रस्तुत किया। खास बात ये भी रही कि इसमें भारत के साथ ही नेपाल, मौरिशस, तंजानिया, न्यूजीलैंड और फीजी के students भी शामिल हुए। हमारे देश का महारत्न ONGC. ONGC भी कुछ अलग तरीके से अमृत महोत्सव मना रहा है। ONGC इन दिनों, Oil Fields में अपने students के लिए study tour का आयोजन कर रहा है।

साथियो, आजादी में अपने जनजातीय समुदाय के योगदान को देखते हुए देश ने जनजातीय गौरव सप्ताह भी मनाया है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इससे जुड़े कार्यक्रम भी हुए। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में जारवा और ओंगे, ऐसे जनजातीय समुदायों के लोगों ने अपनी संस्कृति का जीवंत प्रदर्शन किया। एक कमाल का काम हिमाचल प्रदेश में ऊना के Miniature Writer राम कुमार जोशी जी ने भी किया है, उन्होनें, Postage Stamps पर ही यानी इतने छोटे postage stamp पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के अनोखे sketch बनाए हैं। हिन्दी में लिखे ‘राम’ शब्द पर उन्होनें sketch तैयार किए, जिसमें संक्षेप में दोनों महापुरुषों की जीवनी को भी उकेरा गया है।मध्य प्रदेश के कटनी से भी कुछ साथियों ने एक यादगार दास्तानगोई कार्यक्रम की जानकारी दी है। इसमें रानी दुर्गावती के अदम्य साहस और बलिदान की यादें ताजा की गई हैं। ऐसा ही एक कार्यक्रम काशी में हुआ। गोस्वामी तुलसीदास, संत कबीर, संत रैदास, भारतेन्दु हरिश्चंद्र, मुंशी प्रेमचंद और जयशंकर प्रसाद जैसी महान विभूतियों के सम्मान में तीन दिनों के महोत्सव का आयोजन किया गया।

मेरे प्यारे देशवासियो, इस चर्चा से अब मैं आपको सीधे वृन्दावन लेकर चलता हूँ। वृन्दावन के बारे में कहा जाता है कि ये भगवान के प्रेम का प्रत्यक्ष स्वरूप है। हमारे संतों ने भी कहा है –
यह आसा धरि चित्त में, यह आसा धरि चित्त में,
कहत जथा मति मोर।
वृंदावन सुख रंग कौ, वृंदावन सुख रंग कौ,
काहु न पायौ और।
यानि, वृंदावन की महिमा, हम सब, अपने-अपने सामर्थ्य के हिसाब से कहते जरूर हैं, लेकिन वृंदावन का जो सुख है, यहाँ का जो रस है, उसका अंत, कोई नहीं पा सकता, वो तो असीम है। तभी तो वृंदावन दुनिया भर के लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता रहा है। इसकी छाप आपको दुनिया के कोने-कोने में मिल जाएगी।ऑस्ट्रेलिया की एक निवासी जगत तारिणी दासी जी के प्रयासों का नतीजा है। जगत तारिणी जी वैसे तो हैं ऑस्ट्रेलिया की, जन्म भी वहीं हुआ, लालन-पालन भी वहीँ हुआ, लेकिन 13 साल से भी अधिक समय, वृन्दावन में आकर के उन्होंने बिताया। उनका कहना है, कि वे ऑस्ट्रेलिया लौट तो गई, अपने देश वापिस तो गयी, लेकिन, वो कभी भी वृन्दावन को भूल नहीं पाईं। इसलिए उन्होने वृंदावन और उसका आध्यात्मिक भाव से जुडने के लिए ऑस्ट्रेलिया में ही वृन्दावन खड़ा कर दिया। अपनी कला को ही एक माध्यम बना करके एक अद्भुत वृन्दावन उन्होंने बना लिया। यहाँ आने वाले लोगों को कई तरह की कलाकृतियों को देखने का अवसर मिलता है।

साथियो, प्रकृति से हमारे लिये खतरा तभी पैदा होता है जब हम उसके संतुलन को बिगाड़ते हैं या उसकी पवित्रता नष्ट करते हैं। प्रकृति माँ की तरह हमारा पालन भी करती है और हमारी दुनिया में नए-नए रंग भी भरती है।

अभी मैं social media पर देख रहा था, मेघालय में एक flying boat की तस्वीर खूब viral हो रही है। पहली ही नज़र ये तस्वीर हमें आकर्षित करती है। आपमें से भी ज्यादातर लोगों ने इसे online जरुर देखा होगा। हवा में तैरती इस नाव को जब हम करीब से देखते है तब हमें पता चलता है कि ये तो नदी के पानी में चल रही है। नदी का पानी इतना साफ़ है कि हमें उसकी तलहटी दिखती है और नाव हवा में तैरती सी लगने लग जाती है। हमारे देश में अनेक राज्य हैं, अनेक क्षेत्र है जहाँ के लोगों ने अपनी प्राकृतिक विरासत के रंगों को सँजोकर रखा है। इन लोगों ने प्रकृति के साथ मिलकर रहने की जीवनशैली आज भी जीवित रखी है। ये हम सबके लिए भी प्रेरणा है। हमारे आस-पास जो भी प्राकृतिक संसाधन है, हम उन्हें बचाएं, उन्हें फिर से उनका असली रूप लौटाएँ। इसी में हम सबका हित है, जग का हित है। मेरे प्यारे देशवासियो, सरकार जब योजनाएँ बनाती है, बजट खर्च करती है, समय पर परियोजनाओं को पूरा करती है तो लोगों को लगता है कि वो काम कर रही है। लेकिन सरकार के अनेक कार्यों में विकास के अनेक योजनाओं के बीच मानवीय संवेदनाओं से जुड़ी बातें हमेशा एक अलग सुख देती है। सरकार के प्रयासों से, सरकार की योजनाओं से कैसे कोई जीवन बदला उस बदले हुए जीवन का अनुभव क्या है ? जब ये सुनते हैं तो हम भी संवेदनाओं से भर जाते हैं। यह मन को संतोष भी देता है और उस योजना को लोगों तक पहुँचाने की प्रेरणा भी देता है। एक प्रकार से यह ‘स्वान्त: सुखाय’ ही तो है

साथियो अब हम दिसम्बर महीने में प्रवेश कर रहे हैं, स्वाभाविक है अगली ‘मन की बात’ 2021 की इस वर्ष की आखिरी ‘मन की बात’ होगी। 2022 में फिर से यात्रा शुरू करेंगे और मैं हाँ आपसे ढ़ेर सारे सुझावों की अपेक्षा करता ही रहता हूँ, करता रहूँगा। आप इस साल को कैसे विदा कर रहे हैं, नए साल में क्या कुछ करने वाले हैं, ये भी जरुर बताइये और हाँ ये कभी मत भूलना कोरोना अभी गया नहीं है। सावधानी बरतना हम सब की जिम्मेवारी है।