यातायात नियमों के पालन के लिए आम जनता को तैयार करना मेरा गांधीवादी लक्ष्य : झाबर सिंह धायल

शिक्षाविद डॉ भावना शर्मा से परिवहन निरीक्षक झाबर सिंह धायल की विशेष बातचीत
परिवहन निरीक्षक झुंझुनूं श्री झाबर सिंह पीलियो का ढहर गुंगारा सीकर के निवासी को सड़क के मसीहा के रूप में जाना जाता है क्योंकि इन्होंने सात सड़क दुर्घटना में कई लोगों की जान बचाई है और अपने खर्चे पर हास्पिटल ले जाने तक की व्यवस्था की है। साथ ही सड़क सुरक्षा सप्ताह ही नहीं वरन जब भी मौका मिला और जहां भी मौका मिला इन्होंने बाल वाहिनियों के साथ हो या अन्यत्र कहीं भी सड़क सुरक्षा जागरूकता का कोई मौका नही छोड़ा। आज इनके साथ विशेष बातचीत में भी यही दृष्टिगोचर होता है कि सड़क दुर्घटना को भी गांधीवादी तरीके से रोका जा सकता है। तेज रफ्तार के बेहतर नियोजन के संदर्भ में इन्होंने बताया कि आज कल जितनी भी सड़क दुर्घटना हमे सुनने या देखने को मिलती है वह ज्यादा तेज रफ़्तार से गाड़ी को चलाने से होती है। यदि आप वाहन चलाते वक्त गति नियंत्रण का ख्याल रखते है तो आप सड़क दुर्घटना से बचे रह सकते है। सड़क दुर्घटना का दूसरा सबसे बडा कारण नशे में गाड़ी चलाना है। हमे इससे बचना चाहिए। वाहन चलाते समय हमे कभी भी मोबाइल पर बात नहीं करना चाहिए, यदि किसी वाहन को ओवर टेक कर रहे हैं तो पास मिलने का इन्तजार करना चाहिए । यदि हम इन सब बातो को ध्यान में रख कर वाहन चलाते है तो हम सड़क दुर्घटना से बच सकते है।
कभी कभी मौसम भी सड़क दुर्घटना का कारण बन जाता है। यदि वाहन चलाते वक्त मौसम खराब हो जाए तो सुरक्षित जगह देख कर गाड़ी को साइड कर मौसम के सही होने का इंतजार करना चाहिए। साथ ही हमे यातायात सिग्नलों का ज्ञान होना चाहिए। ट्रैफिक सिग्नल में इन तीन रंगों का मतलब भी सभी को पता होना चाहिए।
सिग्नल में लाल रंग की गति अन्य रंगों के मुकाबले सबसे तेज होती है। इसलिए सिग्नल में लाल रंग का प्रयोग न केवल आपको रोकने के लिए किया जाता है बल्कि यह इस बात का भी संकेत देता है कि आपके आगे खतरा है।
पीला रंग आपको निर्देशित करता है आप अपनी उर्जा को समेट कर तैयार हो जायें। ट्रैफिक सिग्नल पर जब पीले रंग की लाईट जलती है तो उसका मतलब यही होता है कि आप अपने वाहन के इंजन को स्टार्ट रखें और आप धीमे -धीमे आगे बढ़ सकते हैं। पीले रंग में आपको रुकना नहीं होता है लेकिन आप धीरे धीरे आगे बढ़ सकते हैं।
इसी तरह हरा रंग खतरे के बिल्कुल विपरीत होता है। जैसा कि लाल रंग का प्रयोग वाहनों को रोकने के लिए किया जाता है उसी प्रकार हरे रंग का प्रयोग वाहनों को आगे बढ़ने के लिए किया जाता है। हरे रंग का मतलब है कि रास्ता आपके लिए खाली है। आपके दिमाग में प्रतिस्पर्धा नहीं सन्तुलन होना चाहिए और अगर संभव हो तो ऐसी गाड़ी ले जिसमें सभी सुरक्षा उपाय हों। एयर बैग, एबीएस, ecs, फ्रेम की सरंचना आदि। और इन सबसे ऊपर आपका आत्मविश्वास। सीट बैल्ट पहने और ठंडे दिमाग से ड्राइविंग करें। बाइक पर चल रहे है तो हैलमेट और उचित कपड़े जैसे कि ग्लोवेज़, जैकेट , कनी गॉर्ड, पांवो के गिट्टे की सुरक्षा के लिए जूतें आदि इनका उपयोग जरूर करें। स्पीड भी उतनी रखे उतनी जितनी कंट्रोल कर सकें।
बच्चों को सीट बेल्ट से बांधे
यदि आप छोटे बच्चों के साथ यात्रा पर जा रहे है तो बच्चों को सीट बेल्ट के साथ बांधना न भूले। बच्चों की आदत होती है कि वो बार बार खिड़की की तरफ ही जाते है और इस दौरान वे अपने शरीर को भी खिड़की से बाहर निकाल देते है। बच्चो की इन उटपटांग हरकतों की वजह से आपका ध्यान सड़क से हट सकता है। ड्राईविंग एक बहुत ही संवेदनशील गुण है और इसे बहुत ही केंद्रित होकर करना चाहिए। वाहन चलाने के दौरान किसी भी चीज के खाने पीने से भी बचना चाहिए। यदि आपको कुछ खाना है वाहन को रोक कर ही कुछ खाएं। कई बार वाहन को चलाते समय पानी प्रयोग करते समय अचानक वो उपर गिर जाता है और इसी दौरान चालक उनसे बचने के लिए अपना ध्यान सड़क से हटा देता है जो कि हादसों की वजह बनते है।
पिछली सीट पर से कुछ भी उठाने का प्रयास ना करे
वाहन चलाते समय ही पिछली सीट पर पड़ी हुयी किसी वस्तु आदि को उठाने की कोशिश न करे इससे आपका ध्यान सड़क से हट सकता है और हादसों के होने का खतरा रहता है।
यातायात नियमों को पालन करे
किसी भी प्रकार की स्थिति में यातायात के नियमों को ना तोड़े। यातायात के नियमों को पूरी तरह से पालन करें। स्पीड लिमट का पालन करते हुए गाड़ी चलाए। स्कूल और हॉस्पिटल के नजदीक तेज हाउर्न ना बजाए।
पैदल चलने के नियम के विषय में झाबर सिंह धायल ने बताया कि चलते व़क्त हमेशा फुटपाथ का उपयोग करें,जहां फुटपाथ न हों, वहां सड़क के एकदम बाईं ओर ही चलें, कभी भी धैर्य खोकर जल्दबाज़ी न दिखाएं, सिग्नल तोड़कर या सामने से गाड़ी को आता देख भागकर रोड क्रॉस कभी न करें, सड़क पार करते समय बाए दाए बाए नियम का पालन करते हुए यानी पहले बाए देखे फिर दाए देखे और फिर बाए देख कर ही सड़क पार करे, रात्रि के वक्त बरसात के समय चमक वाले कपड़े जैसे पीले या नारंगी रंग पहन कर ही सड़क पर चले। क्योंकि वो वाहन कि लाईट में दूर से नजर आते है।
सड़क कर चलते समय मोबाइल, हेडफोन आदि के प्रयोग से बचे। अगर बच्चे साथ है तो उनका हाथ पकड़ का रखे उन्हें अकेले ना चलने दें।
फोर व्हीलर चलाते समय भी सावधानी अपनानी चाहिए।
सीट बेल्ट्स हमेशा बांधें. अगर साथ में कोई है, तो उसे भी कहें बेल्ट बांधने को, 4 साल तक के बच्चों के लिए चाइल्ड सीट का ही प्रयोग करें, एमर्जेंसी गाड़ियां, जैसे- एंबुलेंस या फायर ब्रिगेड को पहले जाने दें, लेन बदलते व़क्त हमेशा इंडिकेटर्स और रियर व्यू मिरर्स का प्रयोग करें, चौराहे पर हमेशा गाड़ी की रफ़्तार कम कर दें, आगे वाली गाड़ी से हमेशा सुरक्षित दूरी बनाकर रखें, हमेशा अपनी लेन में ही गाड़ी चलाएं. ओवरटेक के चक्कर में लेन तोड़ने की कोशिश न करें,
मोबाइल का उपयोग न करें, ट्रैफिक सिग्नल्स को कभी भी अनदेखा न करें, वाहन की रफ़्तार से संबंधित नियमों को कभी न तोड़ें, पैदल चलनेवालों को पहले रोड क्रॉस करने दे।
झाबर सिंह धायल ने यह भी बताया कि क्या नहीं करना चाहिए।
सिग्नल न तोड़ें, 18 से कम उम्रवाले ड्राइव न करें, व्यस्त सड़कों पर गाड़ी पार्क न करें, ड्रंक-ड्राइव से बचें यानी शराब पीकर गाड़ी न चलाएं,शहर में 60 कि.मी. प्रति घंटे की रफ़्तार से अधिक पर गाड़ी न चलाए।
झाबर सिंह का मानना है कि सड़क सुरक्षा हो या जीवन की कोई अन्य समस्याओं का मसला… ह्रदय परिवर्तन से सब सही किया जा सकता है। इनका मानना है कि गांधी जी की शैली पर चल कर ही सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है।

डॉ भावना शर्मा
झुंझुनूं राजस्थान