प्रत्यंचा

मेरे रंग दे बसंती चोला

इतिहास का सुनहरा पन्ना , वास्तविक गीत जो भारत मां के तीन वीर सपूतों ने बनाया और गाया और बाद में फिल्म के गीतकारों ने और नये शब्दों में पिरोया, जो हर हिन्दुस्तानी के होंठों पर सजता है

भारत की आजादी के तीन नायक जिन्होंने हर एक भारतीय के दिल में अपने गीत से आजादी की अलख जगाने का काम किया।
और हर एक भारतीय आज तक उस गीत को अपने होंठों पर सजाकर उन वीर सपूतों के अमर बलिदान को शत-शत नमन करता है।मेरा रंग दे बसंती चोला” गीत की तुकबंदी 1927 में मुख्य रूप से भारत मां के तीन वीर सपूत भगतसिंह,रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां ने जेल में की थी। ये सभी काकोरी-कांड के कारण कारागार में थे। बसंत का मौसम था। उसी समय एक क्रांतिकारी साथी ने बिस्मिल से ‘बसंत’ पर कुछ लिखने को कहा और बिस्मिल ने इस रचना को जन्म दिया। इसके संशोधन में अन्य साथियों ने भी साथ दिया।

  • वास्तविक रचना का रूप जो इन वीरों के होंठों पर सजता था , निम्नलिखित रचना के रूप में सामने आता है, वह 1927 में इन क्रांतिकारियों द्वारा रचा गया था

रंग दे बसंती चोला
‘मेरा रंग दे बसंती चोला।
इसी रंग में गांधी जी ने, नमक पर धावा बोला।
मेरा रंग दे बसंती चोला।

इसी रंग में वीर शिवा ने, मां का बन्धन खोला।
मेरा रंग दे बसन्ती चोला।

इसी रंग में भगत दत्त ने छोड़ा बम का गोला।
मेरा रंग दे बसन्ती चोला।

इसी रंग में पेशावर में, पठानों ने सीना खोला।
मेरा रंग दे बसन्ती चोला।

इसी रंग में बिस्मिल अशफाक ने सरकारी खजाना खोला।
मेरा रंग दे बसन्ती चोला।

इसी रंग में वीर मदन ने गवर्नमेंट पर धावा बोला।
मेरा रंग दे बसन्ती चोला।

इसी रंग में पद्मकान्त ने मार्डन पर धावा बोला।
मेरा रंग दे बसन्ती चोला।’

देश भक्ति की भावना से प्रेरित यह गीत, ‘भगत सिंह का अंतिम गान’ शीर्षक के रूप में ‘साप्ताहिक अभ्युदय’ के 1931 के अंक में प्रकाशित हुआ था।
भगत सिंह ने अंतिम समय में यह गीत गाया कि नहीं? इसके साक्ष्य उपलब्ध नहीं किंतु निःसंदेह यह गीत भगत सिंह को पसंद था और वे जेल में किताबें पढ़ते-पढ़ते कई बार इस गीत को गाने लगते और उनके साथ काकोरी काण्ड में लिप्त साथी व आसपास के अन्य बंदी क्रांतिकारी भी इस गीत को गाते थे।

देश भक्ति की भावना से प्रेरित यह गीत आज भी भारत के युवाओं में व देश की रक्षा में तैनात वीर जवानों को नयी उत्साह व देशप्रेम की भावना से प्रेरित करता है।

जय हिन्द,जय भारत।

pratyancha web desk

प्रत्यंचा दैनिक सांध्यकालीन समाचार पत्र हैं इसका प्रकाशन जबलपुर मध्य प्रदेश से होता हैं. समाचार पत्र 6 वर्षो से प्रकाशित हो रहा हैं , इसके कार्यकारी संपादक अमित द्विवेदी हैं .

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button
Close
%d bloggers like this: