अंतिम समय का साथी जबलपुर की “मोक्ष” संस्था


मोक्ष का काम जीवन के साथ भी जीवन के बाद भी
मोक्ष का संकल्प सबको जीवन सबको सम्मान ।
मध्य प्रदेश के जबलपुर की मोक्ष संस्था, जबलपुर में झुग्गियों में रहने वाले लोगों का घर है। इनमें विभिन्न पड़ोसी राज्यों के शरणार्थी शामिल हैं। इसलिए, मोक्ष शेष दुनिया में, उनके समर्थन के लिए, और भारत, और दुनिया को और हर उस लाचार गरीब हो सहारा देने के लिए तत्पर है जिनका कोई नहीं है, या जिन्हें अपनों ने छोड़ दिए है को मदद करने के प्रयासों में आगे आया है। मोक्ष लगभग 2 दशकों से असहाय, निराश्रित और परित्यक्त बुजुर्गों के लिए काम करने वाला एक प्रमुख गैर सरकारी संगठन है।

संसारिक मोह-माया में लिप्त जीवन जब अपने अंतिम चरण पर आता है, इस समाज में रहने वाले कुछ ऐसे भी मानव है जो जब मृत्यु को प्राप्त होते हैं, तब उस समय परिवार वाले हाथ खड़ा कर देते हैं । ऐसे लोगों का उनके धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार कर मोक्ष दिलाने का पुण्य कार्य करती है मोक्ष संस्था । संस्थापक आशीष ठाकुर ऐसे लोगो का सहारा बनते है जिसका कोई नहीं । अभी तक न जाने कितने लावारिश मृत्य शरीरो को कन्धा दे चुके है , न जाने कितने लोगो का अंतिम संस्कार कर चुके है। बिना किसी सरकारी मदद के, अपने ही खर्चों से। कुछ अभी समाज के कुछ लोगो में मानवता बची है जो उनका इस काम में निःस्वार्थ भाव से सहयोग भी कर देते है जिससे लगातार पिछले 20 वर्षो से आप व आपकी ये संस्था मानव उत्थान व जन कल्याण का कार्य कर रही है।
मोक्ष संस्था का मूल उद्देश्य, जीवन के साथ भी जीवन के बाद भी यही सोच, आज के समाज में पीड़ित मानवता की सेवा में सदैव तत्पर संकल्पित लोग, निरन्तर प्रयास में जुटे हुए है की कोई भी लावारिस न दुनिया से जाये। आशीष ठाकुर की यह संस्था जरूरतमंदों को चिकित्सा सुविधा प्राथमिक उपचार और पूर्ण स्वास्थ्य जांच सहित रक्त परीक्षण और पूर्ण शरीर की जाँच करके तत्काल राहत प्रदान का कार्य भी करती है । आशीष ठाकुर जिन्होंने अपना सब कुछ मानव समाज की सेवा को समर्पित कर दिया। सेवा-भाव की मिसाल कायम करने वाली मोक्ष संस्था को कोई निराश्रित, अनाथ,असहाय मिलता है, बच्चे हो या बुजुर्ग सबका सहारा बनकर सामने खड़े हो जाते है।

जबलपुर की मोक्ष संस्था के संस्थापक आशीष ठाकुर का एक ही लक्ष्य है निराश्रितों को आश्रय, भूखे निर्धनों को भोजन व आवश्यक सामग्री , जरुरतमंदों को चिकित्सा सुविधा इलाज और ज्ञात -अज्ञात शवों को जीवन के अंतिम पड़ाव में उनके धर्मानुसार अंतिम संस्कार। संस्था द्वारा शहर की कई बस्तियों में जरूरतमंदों तक भोजन व अनाज की व्यवस्था की जा रही है। आधा दर्जन से अधिक वाहनों में भोजन के पैकेट व अनाज लेकर मोक्ष के सेवाधारी सुबह से देर रात तक शहर में भ्रमण करते रहते हैं ।
आशीष ठाकुर का मानना है इस संसार में सबको प्यार और सम्मान से जीने का अधिकार है, और उसे उसका यह अधिकार दिलाने के लिए सःह्रदय समर्पण भाव से हर पल खड़े है।
वर्ष 2007 में मोक्ष को रजिस्टर्ड किया गया जहाँ इसका पूरा नाम “मोक्ष मानव सेवा एवं जन उत्थान समिति जबलपुर” के नाम से रजिस्टर्ड है ।

देश व दुनिया में जिस समय कोरोनावायरस संक्रमण ने अपना प्रकोप दिखाया, लोगों के अंदर इस वायरस को लेकर अनेक प्रकार की बातें उठती थी, जब लोगों ने एक-दूसरे से मिलना तक बंद कर दिया, न जाने कितने ही परिवार इस वायरस की चपेट में आकर आर्थिक रूप से कमजोर हो गय थे, स्थिति खराब हो गई।उस समय आशीष ठाकुर की, ‘कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे व लॉक डाउन के बीच’ मोक्ष संस्था जरूरतमंदों का सहारा बन गई है। संस्था द्वारा पीड़ित मानवता की सेवा का जो अभियान चलाया जा रहा है उसमें सेवा कार्य के लिए महिलाएं सेवा करते हुए भी सामने आई हैं। मोक्ष द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर पर भी जरूरतमंद संपर्क करते थे जिनकी सहायता के लिए संस्था के सेवाधारी पहुंच जाते थे। इस दौरान सड़कों के किनारे व सार्वजनिक स्थल पर जहां कहीं भी, बेसहारा लोगों को भी मोक्ष के सेवाधारी रैन बसेरा पहुंचाकर उनके भोजन का प्रबंध कर रहे थे।
कोरोनावायरस संक्रमण से यदि किसी की मृत्यु होती है तो ऐसे में उसके शव का अंतिम संस्कार करने न तो मेडिकल कर्मी तैयार थे और न ही निगम के कर्मचारी। ऐसे में विकट समस्या खड़ी हो गई थी जिस पर मोक्ष मानव सेवा सामने आई और उसने कहा कि हम इस संकट की घड़ी में पीछे नहीं हटेंगे चाहे जो हो। इसे देखते हुए जबलपुर की नगर निगम ने तत्काल ही मोक्ष संस्था को 4 वाहन प्रदान करने की सहमति प्रदान की और दाह संस्कार के लिए चौहानी श्मशानघाट तय किया गया, जबकि शवों को दफनाने के लिए सूपाताल कब्रिस्तान तय किया गया है।

मृत्यु चाहे कोरोना से हुई हो या फिर कोरोना संदिग्ध हो उसका अंतिम संस्कार मोक्ष संस्था द्वारा ही किया जाएगा। ऐसी स्थिति में इस संस्था ने अपने इस कार्य को पूरी तत्परता से निभाया, यहाँ पर यह लोग खुद आपस में एक-दूसरे की मदद करते है, प्रतिदिन लोगों को भोजन कराना, जहाँ लोग स्वयं स्वेक्षा से भोजन बनाते है बांटते है जिससे यह कार्य चल रहा है मोक्ष संस्था का बस एक ही लक्ष्य है इस दुनिया में कोई भी बेसहारा , असहाय और भूखा न रहे और प्रेम से जो भी कुछ देता है रख लेते है। दुनिया में बहुत ही कम ऐसे लोग है जो मानव उत्थान में निःस्वार्थ भाव से कार्यशील है इसलिए इनके इस मानव सेवा के कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें जिससे यह मानव सेवा एवं जन उत्थान संस्था और भी व्यापक रूप से सामाजिक कार्य करने में सक्षम हो सकें । हमारा सहयोग इनके हौसले को और भी दृढ़ संकल्प बनाएगा ।