
ज्योतिषाचार्य नेहा श्री
जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की विधि-विधान से पूजा की जाती है। हर साल जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। लेकिन इस साल जन्माष्टमी की तारीख को लेकर दो मत हैं। पंचांगों में 11 और 12 अगस्त को जन्माष्टमी बताई गई है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, 12 अगस्त को जन्माष्टमी मानना श्रेष्ठ है। मथुरा और द्वारिका में 12 अगस्त को जन्मोत्सव मनाया जाएगा। जबकि जगन्नाथ पुरी, काशी और उज्जैन में 11 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
जानिए क्यों आ रहा तारीखों में भेद-
पुराणों के अनुसार, जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है। कई बार ग्रहों की चाल के चलते यह तिथि और रोहिणी नक्षत्र एक नहीं हो पाते।
पूजा का शुभ समय
जन्माष्टमी के दिन कृतिका नक्षत्र रहेगा। इसके अलावा इस दिन चंद्रमा मेष राशि में और सूर्य कर्क राशि में रहेगा। जिसके कारण वृद्धि योग भी होगा। 12 अगस्त को पूजा का शुभ समय रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है। पूजा की अवधि 43 मिनट तक रहेगी।
जानिए कैसे करें पूजा
- चौकी में लाल वस्त्र बिछाएं और भगवान कृष्ण के बालस्वरूप को पात्र में रखें।
- फिर लड्डू गोपाल को पंचामृत और गंगाजल से स्नान करवाएं।
- भगवान को नए वस्त्र पहनाएं।
- अब भगवान को रोली और अक्षत से तिलक करें।
- अब लड्डू गोपाल को माखन मिश्री का भोग लगाएं। श्रीकृष्ण को तुलसी का पत्ता भी अर्पित करें।
- भोग के बाद श्रीकृष्ण को गंगाजल भी अर्पित करें।
- अब हाथ जोड़कर अपने अराध्य देव का ध्यान लगाएं।