मीडिया माफियाओं पर लगाम लगाने के लिए इंदौर प्रेस क्लब ने उठाया प्रभावी कदम, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखा पत्र

अनुभव अवस्थी
आज के सोशल मीडिया के दौर में जब हम एक स्थान से इस जगत में होने वाली अधिकांश सूचनाओं को प्राप्त कर सकते हैं, इसी का परिणाम है कि आज के ऐसी सोशल मीडिया पर खबरों की सूचना प्रदान करने वाले पोर्टल नजर आ रहे हैं। जो कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से कोई आर एन आई जैसी पंजीकृत व्यवस्था नहीं है नही है ,
जिसका विरोध करते हुए मध्य प्रदेश के इंदौर प्रेस क्लब ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने बताया, आज के समय में मीडिया भी माफिया की दखलअंदाजी से अछूता नहीं है। सरकार को ऐसे समाचार पत्रों, चैनल, यूट्यूब और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शिकंजा कसना चाहिए जो पत्रकारिता की आड़ में लोगों को ब्लैकमेल करते हैं। इंदौर प्रेस क्लब ने शिवराज सरकार से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय माफियाओं पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। इंदौर प्रेस क्लब ने एक पत्र के जरिए सरकार के सामने अपनी मांग रखी है। उनका कहना है कि इंदौर प्रेस क्लब की वहीं मीडिया संगठनों की आड़ में धंधेबाजी कर रहे लोगों पर भी अंकुश लगाना जरूरी है।
आज अगर देखा जाए तो अधिकतर सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर आपको कई ऐसे मामले नजर आएंगे जो लोगों को पत्रकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं। इंदौर क्लब ने एक नई पहल करते हुए मीडिया संगठनों की आड़ में धंधेबाजी कर रहे लोगों पर रोक लगाने की मांग की है। इसके लिए प्रेस क्लब ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है जिसमें मीडिया माफिया पर भी कार्रवाई करने की मांग की है। प्रेस क्लब का कहना है कि समाचार पत्र, चैनल, यूट्यूब एवं फर्जी पत्रकार संगठन इन दिनों जोर-शोर से सक्रिय हैं। पत्रकारिता के नाम पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का भी जमकर उपयोग कर ब्लैक मेलिंग की जा रही है। इतना ही नहीं विभिन्न शासकीय विभागों, व्यापारिक क्षेत्रों और पुलिस थानों तक इन फर्जी पत्रकारों को की दखलअंदाजी देखी जाती है। जबकि इनको राज्य सरकार के सूचना प्रसारण विभाग की कोई मान्यता है, ना ही इनका किसी प्रकार का कोई पंजीयन होता है। बावजूद इसके फर्जी संगठन सिर्फ पत्रकारों के कार्ड बनाकर धन उगाही कर रहे हैं।
इंदौर प्रेस क्लब ने अपने पत्र में लिखा कई फर्जी पत्रकार संगठन के नाम पर यह लोग सिर्फ आईडी कार्ड बेचने का धंधा कर रहे हैं। उसी कार्ड के सहारे लोगों को डराने धमकाने और पैसा वसूलने का काम करते हैं। इस तरह की गलत भूमिका निभाने वाले यह तत्व सरकारी दफ्तरों में भी अपने पत्रकार होने का तमगा बताकर अधिकारियों पर अपने काम करवाने के लिए दबाव बनाते हैं। इतना ही नहीं कई बार तो ऐसे फर्जी पत्रकार सरकारी सुविधा का भी लाभ उठाते है। ऐसे में अच्छे और इमानदार पत्रकारों की छवि भी धूमिल होती है। इसलिए ऐसे मीडिया माफियाओं को खत्म करने की भी कोशिश करनी चाहिए।
