कहो तो कह दूँ = कौन दुःख झेले, आजमाए कौन ?

चैतन्य भट्ट
मशहूर गीतकार ‘जावेद अख्तर’ की लिखी गजलों का एक एल्बम है ‘सिलसिले’ जिन्हे मरहूम गायक ‘जगजीत सिंह’ ने अपनी आवाज दी है, उसकी एक गजल का एक शेर अपने मामाजी यानि शिवराज सिंह जी पर पूरी तरह फिट बैठ रहा है शेर इस तरह है ‘वो जो अपने हैं क्या वो अपने हैं, कौन दुःख झेले आजमाए कौन’l सचमुच अभी तक तो मामाजी अपने विरोधियों यानि कांग्रेस के आक्रमणों से व्यथित थे, अब उनके अपने ही उन पर निशाना साध रहे हैं l अब देखो न मामाजी और उनके गृह मंत्री सोच रहे थे कि बार बार बाहर से करजा लेकर प्रदेश चलाने से अच्छा है कि शराब की और दुकाने खुलवा दी जाएं, घर घर शराब ‘ऑन लाइन’ बिक्री के माध्यम से पंहुचा दें ताकि सरकार की कंगाली दूर हो सके पर एकाएक पूर्व मुख्यमंत्री ‘उमा भारती’ ने सारी स्कीम पर पानी फेर दिया, साफ़ साफ़ बयान दे दिया कि मध्य प्रदेश में शराब बंदी होनी चाहिए और वे इसके लिए मार्च से जन जागरण अभियान शुरू करने वाली हैं l उमा भारती कोई छोटी मोटी नेता तो है नहीं, पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री, महिला उस पर साध्वी अब उनकी बात कोई कैसे टाल सकता है सो मामाजी को भी कहना पड़ा कि अभी और दुकाने खोलने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है और वे खुद भी नशा मुक्ति का अभियान पूरे प्रदेश में चलाएंगे, इधर महाकोशल के विधायक ‘अजय विश्नोई’ जब चाहे ट्वीट के माध्यम से मामाजी पर निशाना साधते रहते हैं एक मैहर के विधायक ‘नारायण त्रिपाठी’ है वे अलग विंध्य प्रदेश की की मांग को लेकर मामाजी पर प्रेशर क्रिएट कर रहे हैं, ऐसा नहीं है कि त्रिपाठी जी को समझाया या डांटा फटकारा न गया हो पर त्रिपाठी जी ने तो जैसे कसम ही खाली है कि जैसे ‘बिगड़ैल बच्चे’ पर माँ बाप की डांट का कोई असर नहीं होता वैसा ही त्रिपाठी जी व्यवहार कर रहे हैं उन्होंने तो बड़ी रैली तक निकाल दी अलग विंध्य की मांग को लेकर, अब मामाजी करें तो कया करें ? उधर एक और बड़े नेता जो ‘आरएसएस’ के ख़ास माने जाते है ‘रघुननदन शर्मा जी’ उन्होंने तो अपनी पार्टी और पार्टी के वर्तमान के प्रमुख चेहरे ‘नरेंद्र सिंह तोमर’ पर ही हमला बोल दिया, तोमर जी मामाजी के करीबी नेता माने जाते हैं , शर्मा जी ने कह दिया सत्ता का अहंकार सर पर चढ़ गया है ये इशारा तोमर जी और मामाजी दोनों पर हो सकता है, यानि मामाजी हो गए है ‘अभिमन्यु’ और अपने ही उन्हें चारों तरफ से घेरने में लगे हैं l वैसे जो लोग उन्हें घेर रहे हैं उनका भी अपना दर्द है, अपनी पीड़ा है l उमा भारती के पास आजकल कोई काम है नहीं, मुख्य धारा से अलग हैं, अजय विश्नोई जी को मंत्री न बन पाने की पीड़ा है, नारायण त्रिपाठी भी उसी दर्द से कराह रहे हैं रघुनन्दन शर्मा जी को पार्टी ने ‘इग्नोर’ कर दिया है अब ऐसे में अपना वजूद तो बताना ही पड़ेगा क्योकि राजनीति में तो आप पिछड़े तो समझ लो गए, कोई याद करने वाला भी नहीं रहता, लेकिन अपने को मामाजी पर पूरा भरोसा है ‘अभिमन्यु’ तो अपनों के ‘चक्रव्यूह’ को तोड़ नहीं पाया था पर मामाजी सबको ठिकाने लगा देंगे उसमें कोई शक नहीं है

पेंतीस से पांच पर कैसे आ गयी कांग्रेस
मध्य प्रदेश में जब सिंधिया जी के समर्थक कांग्रेस छोड़कर बीजेपी के खेमे में गए थे तब कांग्रेस के अंदर खाने से बस एक ही आवाज आती थी की इन तमाम असंतुष्ट विधायकों को बीजेपी ने खरीद लिया है और हर एक को पेंतीस पेंतीस करोड़ रूपये दिए गए हैं हालाँकि कभी कोई प्रूफ नंही दिया कांग्रेस नेl अरे भैया पेंतीस करोड़ की रकम कोई जेब में तो आ नहीं सकती, जाहिर है इसके लिए कई ‘सूटकेसों’ की जरूरत पडी होगी, किसी बैंक से पैसा निकला होगा किसी बैंक में जमा हुआ होगा, नोटों के नंबर भी बेंको के पास होंगे पर इन सबसे कोई मतलब नहीं था कांग्रेस को, वो तो बस एक ही राग अलापे जा रही थी कि हर एक विधायक को बीजेपी ने पेंतीस करोड़ रुपया देकर खरीद लिया था पर अब खुद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने वो राशि घटाकर ‘पांच करोड़’ कर दी है l प्रेस के सामने भोपाल में कमलनाथ जी ने कहा कि जब खरीद फरोख्त हो रही थी तब एक विधायक ने उन्हें फोन किया था कि हमें ‘पांच करोड़’ मिल रहे है आप बताओ आप कितना दे सकते हो? तब मैंने मना कर दिया कि मैं खरीद फरोख्त में भरोसा नहीं करता यानि अब ये राशि दस ग्यारह महीने में घट कर पेंतीस करोड से पाँच करोड़ पर आ गयी है अपने को तो लगता है कि जैसे जैसे समय व्यतीत होता जाएगा ये राशि कम और कम होती जाएगी कंही ऐसा न हो कि जब तक अगले चुनाव आए तब तक विधायकों को दी जाने वाली ये राशि ‘एक सौ एक रूपये’ के ‘शगुन’ पर आ कर टिक जाये l
सुपर हिट ऑफ़ द वीक
‘क्या आप शादी शुदा हैं’ किसी ने श्रीमान जी से पूछा
‘जी नहीं दुखी रहना मेरी आदत है’ श्रीमान जी ने उत्तर दिया