भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस का अपना 136 वां स्थापना दिवस आईये जाने कैसे शुरुआत हुई भारतीय कांग्रेस की


अनुभव अवस्थी
भारतीय राजनीति की पृष्ठभूमि में सबसे प्राचीन और प्रमुख दल में से एक भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस कल अपना 136वां स्थापना दिवस है। भारतीय पृष्ठभूमि में अगर इस दल के इतिहास को तराशा जाए तो पता चलता है कि, भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना 72 प्रतिनिधियों की उपस्थिति के साथ 28 दिसम्बर 1885 को बॉम्बे के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में हुई थी। इसकी स्थापना में, ए ओ ह्यूम (एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी), दादा भाई नौरोजी और दिनशा वाचा ने अहम भूमिका निभाई। इसके संस्थापक महासचिव (जनरल सेक्रेटरी) ए ओ ह्यूम थे जिन्होंने कलकत्ते के व्योमेश चन्द्र बनर्जी को अध्यक्ष नियुक्त किया था। अपने शुरुआती दिनों में काँग्रेस का दृष्टिकोण एक कुलीन वर्ग की संस्था का था। इसके शुरुआती सदस्य मुख्य रूप से बॉम्बे और मद्रास प्रेसीडेंसी से लिये गये थे। काँग्रेस में स्वराज का लक्ष्य सबसे पहले बाल गंगाधर तिलक ने अपनाया था ।

प्रारंभिक परिचय
राजनीतिक चेतना के साथ कांग्रेस का उदय तब हुआ जब नरम दल और गरम दल नाम से इसके दो फाड़ हो गए थे। 1907 में काँग्रेस में दो दल बन चुके थे – गरम दल एवं नरम दल। गरम दल का नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय एवं बिपिन चंद्र पाल कर रहे थे। नरम दल का नेतृत्व गोपाल कृष्ण गोखले, फिरोजशाह मेहता एवं दादा भाई नौरोजी कर रहे थे। गरम दल का कहना था कि हमें अंग्रेजों से आजादी चाहिए जबकि नरम दल अंग्रेजी राज के अंतर्गत ही स्वशासन की मांग करता था। प्रथम विश्व युद्ध के छिड़ने के बाद सन् 1916 की लखनऊ बैठक में दोनों दल फिर एक हो गये और होम रूल आंदोलन की शुरुआत हुई।
कॉग्रेस एक जन आंदोलक के रूप में सदस्यता शुल्क 4 आना
परन्तु 1915 में गाँधी जी के भारत आगमन के साथ काँग्रेस में बहुत बड़ा बदलाव आया। चम्पारन एवं खेड़ा में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को जन समर्थन से अपनी पहली सफलता मिली। 1919 में जालियाँवाला बाग हत्याकांड के पश्चात गान्धी काँग्रेस के महासचिव बने। तत्पश्चात् राष्ट्रीय नेताओं की एक नयी पीढ़ी आयी जिसमें सरदार वल्लभभाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू, डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद, महादेव देसाई एवं सुभाष चंद्र बोस आदि शामिल थे। गाँधी के नेतृत्व में प्रदेश काँग्रेस कमेटियों का निर्माण हुआ, काँग्रेस में सभी पदों के लिये चुनाव की शुरुआत हुई । राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने के लिए काँग्रेस को धन की कमी का सामना करना पड़ता था। गाँधी जी ने एक करोड़ रुपये से अधिक का धन जमा किया और इसे बाल गंगाधर तिलक के स्मरणार्थ तिलक स्वराज कोष का नाम दिया। ४ (चार) आना का नाम मात्र सदस्यता शुल्क भी शुरू किया गया था।
स्वतंत्रता के बाद काँग्रेस
1947 में भारत की स्वतन्त्रता के बाद से भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस भारत के मुख्य राजनैतिक दलों में से एक रही है । इस दल के कई प्रमुख नेता भारत के प्रधानमन्त्री रह चुके हैं। पं जवाहरलाल नेहरू,
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने । उनके उपरांत लाल बहादुर शास्त्री, फिर पं जवाहरलाल नेहरू की पुत्री इन्दिरा गांधी ने भी देश की बागडोर संभाली और प्रथम भारतीय महिला प्रधानमंत्री बनी, एवं उनके पुत्र संजय गांधी व राजीव गांधी इसी दल से थे।

संजय गांधी अपने समय के देश के युवाओं में एक लोकप्रिय और पसंद किए जाने वाले नेता रहे।
इंदिरा जी मृत्यु के बाद राजीव गांधी सत्ता में आए । परंतु एक दुखद हादसे में मृत्यु हो गई।
सीताराम केसरी काँग्रेस के अध्यक्ष बने उनके बाद इस दल में सोनिया गांधी की ताजपोशी की, राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी काँग्रेस की अध्यक्ष तथा यूपीए की चेयरपर्सन भी रह चुकी हैं। कपिल सिब्बल,मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ,काँग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह, राशिद अल्वी, राज बब्बर, ,मनीष तिवारी आदि काँग्रेस के वरिष्ठ व कुशल राजनेता हैं। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह भी काँग्रेस से ताल्लुक रखते हैं। । श्रीमती सोनिया गांधी कांग्रेस के 136 वर्षो के इतिहास में सर्वाधिक लंबे समय तक रहने वाली अध्यक्ष हैं ।
काँग्रेस के प्रधानमंत्री
- जवाहरलाल नेहरू 1947–64( 17 वर्ष)
- गुलज़ारीलाल नन्दा 1964, 1966 2 वर्ष
- लाल बहादुर शास्त्री 1964–66 2 वर्ष
- इन्दिरा गांधी 1966–77, 1980–84 16 वर्ष
- राजीव गांधी 1984–89 5 वर्ष
- पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव 1991–96 5 वर्ष
- मनमोहन सिंह 2004–14 10 वर्ष
वर्तमान में भी श्रीमती सोनिया गांधी पार्टी के अध्यक्ष पद पर कार्यरत है, इससे पूर्व इस दल की कमान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और सोनिया गांधी के पुत्र राहुल गांधी के पास थी । गांधी परिवार का इस दल में महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।

वहीं कल देश के इस प्रमुख दल के स्थापना दिवस पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में केरल के वायनाड लोकसभा क्षेत्र से सांसद राहुल उपस्थित नहीं हो पायेंगे, राहुल गांधी विदेश यात्रा पर हैं। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि राहुल व्यक्तिगत कारणों से कुछ समय के लिए विदेश गए हैं।