कालाबाजारी आपदा पर भारी

अनुभव अवस्थी
कोरोना वायरस महामारी में जहां लोग और सामाजिक संस्थाएं कंधे से कंधा मिलाकर जरूरतमंदों की मदद कर रहीं है। वहीं मानवता के दुश्मन जीवन रक्षक दवाओं और ऑक्सीजन की कालाबाजारी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसे में पुलिस प्रशासन सख्त कार्रवाई कर रहा है।कोरोना वायरस महामारी के खतरे के बीच देश के कई अस्पताल मेडिकल ऑक्सीजन की कमी का सामना कर रहे हैं। वहीं मानवता के दुश्मन इस मुश्किल घड़ी यानी आपदा में कमाई का मौका देख रहे हैं। हालात ये हैं कि ऑक्सीजन, रेमडेसिविर और अन्य जरूरी दवाइयों की कालाबाजारी धड़ल्ले से जारी है।
जहां एक ओर काल बनकर कोरोना हर किसी के आस-पास मंडरा रहा है। कोई दिन ऐसा नहीं गुजरता, जब कोई बुरी खबर सुनने को न मिले। हर तरफ मौत का तांडव हो रहा है। हर कोई परेशान है। कोई आंख ऐसी नहीं, जिसमें आंसू न हों, सिवाय कालाबाजारी करने वालों के…वे इतना गिर गए कि रेमडेसिविर और ऑक्सीजन की ब्लैक मार्केटिंग करने लगे। जिंदगी-मौत की सौदेबाजी पर उतर आए। शायद उन्हें यह नहीं पता कि ये कोरोना किसी पर रहम नहीं करता। ये महामारी अमीर-गरीब को नहीं देखती। किसी को अपनी चपेट में लेने से पहले उसका नाम-पता और रसूख भी नहीं पूछती। फिर भी लोग अपनी फितरत से बाज नहीं आ रहे…आखिर कितना गिरेगा इंसान…।
दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को अनिल कुमार नाम के शख्स के घर पर छापेमारी के दौरान ऑक्सीजन के 48 सिलेंडर जब्त किए गए। आरोपी अनिल बड़े सिलेंडर से ऑक्सीजन छोटे सिलेंडर में भरकर बेचता था। अब पुलिस ने आरोपी अनिल को गिरफ्तार कर लिया है। शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक याचिका कोर्ट के सामने आई, जिसमें कहा गया कि ऑक्सीजन सिलेंडर की जमाखोरी और कालाबाजारी हो रही है। याचिका में जमाखोरी का आरोप दिल्ली सरकार में मंत्री इमरान हुसैन के ऊपर लगाया गया। जिसके बाद कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारे सामने ऐसे सभी लोगों की लिस्ट लाइए जो ऐसा करते हुए पाए गए हैं, खासतौर पर 2 मई को दिए गए आदेश के बाद भी। हम उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना के तहत कार्रवाई शुरू करेंगे।
32 हजार रुपये की एमआरपी वाले ऑक्सिजन कंसंट्रेटर को 1 लाख 20 हजार रुपये में बेचने के आरोप में एक शख्स को गिरफ्तार किया गया है। उसके पास से दो कंसंट्रेटर जब्त किए गए हैं। आरोपी ने एमबीए किया है। शिकायत मिलने पर इसे शाहीन बाग थाना पुलिस ने पकड़ा। साउथ-ईस्ट दिल्ली के डीसीपी आर पी मीणा ने बताया कि आरोपी का नाम सैयद फैज है। 34 साल का सैयद ग्रेटर नोएडा का रहने वाला है। वह नोएडा में हल्दीराम स्वीट शॉप पर काम करता था। अधिक पैसा कमाने की चाह में लोगों को महंगे दामों पर ऑक्सिजन कंसंट्रेटर बेचने लगा। पहले भी धोखाधड़ी के एक मामले में शामिल रहा है। इसके पास से दो ऑक्सिजन कंसंट्रेटर और कार जब्त की गई है।
मध्य प्रदेश में कोरोना महामारी के दौरान भी रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सरकार ने बड़ी कार्रवाई की। मध्य प्रदेश के गृह विभाग ने राज्य के अलग-अलग जिलों में रेमडिसिविर और ऑक्सीजन की कालाबाज़ारी में पकड़े गए आरोपियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) की कार्रवाई को मंजूरी दे दी है। देश में ऑक्सीजन की किल्लत है। सिर्फ मध्यप्रदेश में ही अब तक 25 लोगों की सांसों का साथ ऑक्सीजन की कमी के चलते छूट गया, लेकिन इसका असर कालाबाजारी करने वालों पर बिल्कुल भी नहीं पड़ा। उन्होंने 208 लीटर के ऑक्सीजन सिलिंडर की कीमत 15 हजार रुपये तक कर दी, जो पहले महज 4200 में मिल जाता था। सरकारी टेंडर पर काम करने वाले वेंडर भी मनमाने पैसे वसूल रहे हैं। 14 रुपये क्यूबिक मीटर की जगह 70 से 75 रुपये क्यूबिक मीटर चार्ज भी लिया जा रहा है।
कर्नाटक के मैसूर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की शीशी में पानी भरकर बेचने का मामला सामने आया है। यह शर्मनाक हरकत अस्पताल में मरीजों की देखभाल करने वाला मेल नर्स अंजाम देता था। वह अस्पताल से इस जीवनदायक दवा की खाली शीशियां उठा लेता था और उनमें एंटीबायोटिक्स व सलाइन भरकर ऊंचे दाम पर बेच देता था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
उत्तर प्रदेश भी इस तरह की शर्मसार करने वाली हरकतों से अछूता नहीं रहा है वहां भी एबीपी न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक 28 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण के प्रकोप के बीच जीवन रक्षक दवाओं और ऑक्सीजन सिलिंडर की कालाबाजारी के विभिन्न मामलों में अब तक 62 लोगों को गिरफ्तार कर बड़ी संख्या में इंजेक्शन और सिलिंडर बरामद किए गए हैं। अपर पुलिस महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने मंगलवार को यहां बताया “शासन के निर्देशानुसार जीवन रक्षक औषधियों और ऑक्सीजन सिलिंडर की कालाबाजारी करने वाले लोगों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। अब तक 62 ऐसे व्यक्तियों को गिरफ्तार कर 987 जीवन रक्षक इंजेक्शन, 385 ऑक्सीजन सिलिंडर और 11 लाख 39 हजार 440 रुपये नकद बरामद किए गए थे।”
वहीं मानवता के दुश्मन इस आपदा में कमाई का मौका देख रहे थे। देश के कई राज्यों से ऑक्सीजन, रेमडेसिविर और अन्य जरूरी दवाइयों की कालाबाजारी की खबरें सामने आई थी। इस बीमारी से बचाव में रेमडेसिविर इंजेक्शन को सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसीलिए पूरे देश में इस इंजेक्शन की कमी हो गई थी। इसी बात का फायदा उठाकर कुछ लोग इसकी कालाबाजारी में लगे हुए थे। अब ये देखना है कि देश के विभिन्न राज्यों में पकड़े गए प्राणवायु और रेमीडिसीवर की कालाबाजारी करने वाले अपराधियों पर सरकार किस तरह की कठोर कार्यवाही करती है । देश की जनता के साथ ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में खिलवाड़ करने इन आरोपियों पर सरकार और कोर्ट को सख्ती से पेश आते हुए कठोर दंडात्मक कार्यवाही के तहत मामला दर्ज करना चाहिए तथा जनता के बीच ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए कि भविष्य में हकीकत में दूर सपने में भी कोई आवश्यक चिकित्सा सामग्री की कालाबाजारी न कर सके।