प्रत्यंचासवाल

देश का भविष्य , युवा वर्ग अपने ही भविष्य की तलाश में दर-दर भटकता

आज के समय में युवाओं को रोजगार की जरूरत।

आखिर अब नहीं तो कब रोजगार मिलेगा – बेरोजगार युवा

अनुभव अवस्थी सब एडिटर

हमें बेरोजगारी भत्ता नहीं , भविष्य सुरक्षित करने हेतु रोजगार सृजित करें सरकार

बेरोजगारी किसी भी देश के विकास में प्रमुख बाधाओं में से एक है। भारत में बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा है। शिक्षा का अभाव, रोजगार के अवसरों की कमी और प्रदर्शन संबंधी समस्याएं कुछ ऐसे कारक हैं जो बेरोज़गारी का कारण बनती हैं। इस समस्या को खत्म करने के लिए भारत सरकार को प्रभावी कदम उठाने की ज़रूरत है। विकासशील देशों के सामने आने वाली मुख्य समस्याओं में से एक बेरोजगारी हैजीतने से कम नहीं है। देश में हर युवाओं के लिए आज नौकरी पाना किसी जंग साल सैंकड़ो छात्र कॉलेज से डिग्री लेकर निकल रहे हैं, लेकिन हाथ में डिग्री होने के बावजूद वह बेरोजगार हैं। अगर हम आंकड़ों की बात करें तो ये काफी डरा देने वाला है, क्योंकि भारत दुनिया के सबसे ज्यादा बेरोजगारों का देश बन गया है।

सरकारी क्षेत्र में रोजगार हासिल करने के लिए बेरोजगार युवाओं को आज कितनी मशक्कत करनी पड़ रही है, यह बात किसी से छिपी नहीं है। लाखों बेरोजगार युवाओं को आवेदन करने के एवज में आवश्यकता से अधिक आवेदन राशि देनी पड़ रही है। आर्थिक रूप से कमजोर युवाओं के लिए इस बेरोजगार युग में रुपए जुटाना कोई आसान काम नहीं है। सरकार द्वारा की जाने वाली भर्तियों में पदों की संख्या बेरोजगारों की भीड़ को देखते हुए ऊंट के मुंह में जीरे के समान होती है। इसके बावजूद लाखों युवाओं द्वारा दिया गया आवेदन शुल्क सरकार के खजाने में जमा हो जाता है।

देश में बेरोजगारी के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। पढ़े-लिखे लोगों मे बेरोजगारी के हालात ये हैं कि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी के पद के लिए प्रबंधन की पढ़ाई करने वाले और इंजीनियरिंग के डिग्रीधारी भी आवेदन करते हैं। रोजगार के मोर्चे पर हालात विस्फोटक होते जा रहे हैं। सरकार को चाहिए कि इस मसले पर वह गंभीरता से विचार करे। घोषित तौर पर सरकारी योजनाएं बहुत हैं, मगर क्या उन पर ईमानदारी से अमल हो पाता है? इसकी जांच करने वाला कोई नहीं। करोड़ों-अरबों रुपए खर्च करने से कुछ नहीं होगा, जब तक जमीनी स्तर पर कोई ठोस नतीजा नहीं सामने आता।

देश में बेरोजगारी की दर कम किए बिना विकास का दावा करना कभी भी न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता। देश का शिक्षित बेरोजगार युवा आज स्थायी रोजगार की तलाश में है। ऐसे में बमुश्किल किसी निजी संस्थान में अस्थायी नौकरी मिलना भविष्य में नौकरी की सुरक्षा के लिए लिहाज से एक बड़ा खतरा है। सरकार को देश के सेवा क्षेत्र में नए प्रयोग करने के साथ-साथ उसमें विस्तार करने की जरूरत है, ताकि नए पद सृजित किए जा सकें। नए सरकारी पद सृजित होंगे तो युवाओं को रोजगार मिलेगा। इससे देश की विकास दर रफ्तार पकड़ेगी। आज कृषि, प्रशासन, बैंक, बीमा, चिकित्सा, शिक्षा, रक्षा, साइबर सुरक्षा, तकनीकी और अनुसंधान क्षेत्रों में नए पदों पर भर्तियों की आवश्यकता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों को यह समझ बखूबी है और इसी का फायदा उठाते हुए वे कर्मचारियों का शोषण कर रही हैं। कम तनख्वाह में व्यक्ति काम करने के लिए तभी तैयार होता है, जब उसको कहीं और काम मिलने में दिक्कत हो। इसी का फायदा आज निजी कंपनियां उठा रही हैं और लोगों की तनख्वाह लगातार कम होती जा रही है।

बेरोजगार युवाओं के तेजी से बढ़ती तादाद देश के लिए खतरे की घंटी है। नरेंद्र मोदी की सरकार को तुरंत इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार, केंद्र व राज्य सरकारें भारी तादाद में रोजगार देने वाले उद्योग नयी नौकरियां पैदा करने में नाकाम रही हैं। इस समस्या के समाधान के लिए कौशल विकास और लघु उद्योग को बढ़ावा देना जरूरी है।सवाल यह भी है कि इन हालातों में आखिर देश के युवा कहां जाएं, क्या करें, जब उनके पास रोजगार के लिए मौके नहीं हैं, समुचित संसाधन नहीं हैं, योजनाएं सिर्फ कागजों में सीमित हैं। पहले ही नौकरियों में खाली पदों पर भर्ती पर लगभग रोक लगी हुई है, उस पर बढ़ती बेरोजगारी आग में घी का काम कर रही है। पढ़े-लिखे लोगों की डिग्रियां आज रद्दी हो गई हैं, क्योंकि उन्हें रोजगार नहीं मिलता। सरकार को इस मसले को गंभीरता से लेना चाहिए। नए रोजगारों का सृजन करना जरूरी है। युवा देश का भविष्य है तो वह भविष्य क्यों अधर में लटका रहे?

pratyancha web desk

प्रत्यंचा दैनिक सांध्यकालीन समाचार पत्र हैं इसका प्रकाशन जबलपुर मध्य प्रदेश से होता हैं. समाचार पत्र 6 वर्षो से प्रकाशित हो रहा हैं , इसके कार्यकारी संपादक अमित द्विवेदी हैं .

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close
%d bloggers like this: