प्रदेश ने लिया थर्ड जेंडर के हक का फैसला , माना जाएगा परिवार का सदस्य
पारिवारिक संपत्ति में भी बराबर के हिस्सेदार

अनुभव अवस्थी सब एडिटर
सरकार ने प्रदेश में थर्ड जेंडर के व्यक्तियों को भूमि के स्वामित्व का अधिकार और उत्तराधिकार देने का फैसला किया है। इसके लिए थर्ड जेंडर के व्यक्ति को भू-खातेदार के परिवार के सदस्य के रूप में शामिल करने का निर्णय किया गया है। मंशा है कि थर्ड जेंडर के व्यक्तियों को भी अन्य लोगों के समान अधिकार और सामाजिक मान्यता मिल सके। इस मकसद से सरकार ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक-2020 को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी है। सरकार विधानमंडल के मानसून सत्र में यह विधेयक पेश करेगी। उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक-2020 के माध्यम से औद्योगिक और अवस्थापना परियोजनाओं के लिए सहजता से भूमि सुलभ कराने, कृषि भूमि को गैर कृषिक कार्यों के लिए उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भू-उपयोग परिवर्तन की प्रक्रिया को सरल बनाने व निजी उद्योगों के लिए जमीन के विनिमय की प्रक्रिया को सहज बनाने की खातिर उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता में संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं। थर्ड जेंडर के व्यक्ति को भू-खातेदार के परिवार के सदस्य के रूप में शामिल किए जाने और उसे भौमिक अधिकार व उत्तराधिकार देने के मकसद से राजस्व संहिता की धारा-4(10), 108(2) 109 और 110 में संशोधन प्रस्तावित हैं। राजस्व संहिता संशोधन विधेयक के प्रारूप में संपत्ति में अधिकार की परिभाषा को स्पष्ट कर दिया गया है. इसके मुताबिक माता-पिता, विवाहित पुत्री व भाई, अविवाहित बहन, थर्ड जेंडर संतान को संपत्तियों में अधिकार होगा. थर्ड जेंडर को भू-खातेदार के परिवारिक सदस्य के रूप में शामिल किया गया है । इससे थर्ड जेंडर को भौमिक अधिकार और उत्तराधिकार प्रदान किया जा सकेगा । इसके अलावा संहिता की धारा- 80 में संशोधन किया जा रहा है। इसमें धारा-80 (1) जोड़ी जा रही है। इससे कृषि भूमि के औद्योगिक, वाणिज्यिक व आवासीय आवश्यकताओं के लिए भू-उपयोग परिवर्तन की प्रक्रिया आसान हो सकेगी। इस व्यवस्था से गैर कृषक भूमि की घोषणा 45 दिन में हो सकेगी जिससे औद्योगीकरण को गति मिलेगी।