मरीज को लेकर 5 घंटे अस्पताल के लिये भटकते रहे परिजन ओर मरीज का हुआ निधन


दुनिया में डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया है। लेकिन इस भगवान की मानवता को तार-तार करने वाले आजकल के डॉक्टर हैं।
लाख दावा करते हो मेडिकल कॉलेज के अध्यापक कि हम अपने छात्र-छात्राओं को मानवता का पाठ पढ़ा रहे है। लेकिन कुछ ऐसे नही होता है जो मानवीय मूल्यों को किनारे करके गरीब व बेसहरों को परेशान करने में नहीं चूकते हैं। ऐसा ही मामला सोमवार को प्रकाश में आया।
बतादें कि जबलपुर जिले के महाराजपुर निवासी दिलीप दुबे को उनके परिजन अस्पतालों में भटकते रहे, दिलीप दुबे का ऑक्सीजन लेवल कम हो गया था जब इनके परिजन मरीज को लेकर विभिन्न अस्पतालों के चक्कर काट रहे थे तो अस्पताल प्रबंधन का कहना था इनका ऑक्सिजन लेवल 90 के ऊपर रहेगा तभी एडमिट करेंगे, अब ये सोचनीय विषय है अगर ऑक्सिजन लेबल 90 के ऊपर रहेगा तो क्या जरूरत रहेगी मरीज को भर्ती करने की । (घटना का विवरण परिजनों द्वारा प्रत्यंचा को दिया गया)
5 घण्टे भटकने के बाद दिलीप दुबे का निधन हो गया, कहने के लिए ये सही होगा, इनकी जान इस लचर मेडिकल सिस्टम ने ले ली, सरकार वादे कितने भी कर ले, सरकार वेबसाइट में बिस्तरों की उपलब्धता कितनी बताये, लेकिन जब परिवारजन मरीजो को लेकर अस्पताल जाते है तो उनको दरवाजे से ही लौटा दिया जाता है ।
अगर सरकार जनमानस के प्रति सरोकार है तो कड़ाई से निजी और सरकारी अस्पतालो को नियमों का पालन करवाये । जिससे आगे जनमानस की जान बचाई जा सके ।