प्रत्यंचा

समाज के घिनौने वायरस
देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई ……
प्राण वायु चोर से लेकर कफ़न चोर में तक बदल गया इंसान

अनुभव अवस्थी

कोरोना महामारी में जहां कुछ लोग दवाई,आक्सीजन ,खाने के सामान व अन्य वस्तुओं की कालाबाजारी में लगे है तो वहीं उत्तर प्रदेश में एक गैंग ऐसा भी है,जो कि शमशान घाट व कब्रिस्तान से अंतिम संस्कार के लिए आए मृतकों के शवों से कफन व अन्य वस्त्र चोरी कर बाजार में दोबारा बेचने का घिनौना धंधा कर रहा था। रविवार को बड़ौत पुलिस ने इस गिरोह के सात लोगों को गिरफ्तार कर मृतकों से चोरी किए कफन व अन्य वस्त्र बरामद किए।

कोविड संक्रमण काल में एक ओर जहां पूरा देश आफत में गुजर रहा है। हर देश के ऊपर संकट है वहीं, बागपत में पुलिस ने ऐसे सात लोगों को गिरफ्तार किया है जो श्मशान घाट से मुर्दों के कफन चोरी कर बाजार में बेच देते थे। पुलिस ने इनके पास से सैकड़ों कफन बरामद किया है। मानवता को शर्मशार कर देने वाली इस घटना का घिनौना सच यह है । शमशान घाट व कब्रिस्तान से मृतक लोगों के कफन व अन्य कपड़े चोरी कर उन्हें धोकर दोबारा बाजार में बेचेन का काम किया जा रहा है।

बड़ौत पुलिस ने मास्टरमाइंड समेत सात लोगों को दबोचा है। ये लोग श्मशान से शव के ऊपर रहने वाले कफन के कपड़ों को चोरी करते थे। इसके बाद चोरी के कपड़ों को प्रेस कर दोबारा पैकिंग कर उन पर ग्वालियर कंपनी का मार्क लगाकर महंगे रेट में बेचते थे। पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर छापा मारकर गैंग को पकड़ लिया। मौके से भारी मात्रा में चोरी किए गए कफन के कपड़े बरामद किए हैं।

आरोपित शवों से उतारे गए वस्त्रों और कफन की धुलाई करके उस पर प्रेस करते थे। इसके बाद इन कपड़ों पर ग्वालियर की ब्रांडेड कंपनी का स्टीकर लगा दिया जाता था और इन कपड़ों को महँगे दामों पर बेच दिया जाता था। आरोपितों के अनुसार एक कफन की कीमत 400 रुपए तक होती थी। इस मामले में यह भी सामने आया है कि कई कपड़े कोरोना संक्रमित मरीजों के शवों के भी होते थे। सभी आरोपितों के खिलाफ धारा 144 के उल्लंघन और महामारी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।

गिरफ्तार किए गए आरोपितों के पास से पास से 520 कफन, 127 कुर्ते, 140 कमीज, 34 धोती, 12 गर्म शॉल, 52 साड़ी, तीन रिबन के पैकेट, 1 टेप कटर और 158 ग्वालियर की कंपनी के स्टीकर बरामद हुए हैं। आरोपितों में शाहरुख खान, बबलू, राजू शर्मा, श्रवण कुमार शर्मा, प्रवीण कुमार जैन, आशीष जैन और ऋषभ जैन शामिल हैं। सभी आरोपित बागपत के बड़ौत के ही रहने वाले हैं। आरोपितों ने स्वीकार किया है कि वो कई सालों से यह काम करते आ रहे हैं।

बता दें कि जिस तरह रेमडेसिविर की डिमांड बढ़ी हुई है, उसी प्रकार इसकी जमकर कालाबाजारी भी हो रही है। दवा माफिया इस इंजेक्शन पर मोटी कमाई करने से नहीं चूक रहे हैं। लोगों से बड़ी रकम वसूलकर ये इंजेक्शन दिया जा रहा है। वहीं इस बात की भी गारंटी नहीं है, कि ये इंजेक्शन असली दे रहे हैं या नकली। क्योंकिि राजधानी दिल्ली में पुलिस ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले गैंग का भी बीते दिनों खुलासा किया था।

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में आम जनता ने जिस तरह दिक्कतों का सामना किया वह किसी से छिपा नहीं है।अस्पतालों में आइसीयू, आक्सीजन और बेड की कमी झेल रहे कोरोना मरीजों की मुसीबत संक्रमण से लड़ने के लिए जरूरी साधन की किल्लत से और बढ़ गई थी। अस्पतालों में जगह नहीं मिलने से बड़ी संख्या में कोरोना मरीज होम आइसोलेट हैं, लेकिन घर पर रहते हुए जांच व उपचार के लिए आवश्यक पल्स आक्सीमीटर, आक्सीजन कंसेंट्रेटर जैसे उपकरण बाजार में ढूंढे नहीं मिल रहे थे। कुछ दवाइयों की किल्लत भी सिरदर्द बन गई है। आक्सीजन के लिए लोग इधर-उधर भाग रहे थे। चिकित्सकीय सामग्री की कालाबाजारी भी जमकर हो रही है। होम आइसोलेट मरीजों की खाना-पानी जैसी समस्या पर भी प्रशासन की ओर से कोई सुध नहीं ली जा रही थी। हालांकि अब जरुर कम्यूनिटी किचन सेंटर की व्यवस्था की गई है। संक्रमण की पहली लहर के समय स्थापित और मानक बनी प्रशासनिक व्यवस्थाएं दूसरी लहर में ध्वस्त हो गई हैं। इससे आइसोलेट संक्रमित परिवारों के लिए कोरोना से लड़ाई और कठिन हो गई थी। एंटीबायोटिक मिलने में हो रही मुश्किलें: कोरोना संक्रमण काल में आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं व उपकरणों की किल्लत हो गई है। मेडिकल स्टोर व एजेंसियों पर खरीदी हेतु लोगों की लंबी कतारें देखने को मिल रही थी।

pratyancha web desk

प्रत्यंचा दैनिक सांध्यकालीन समाचार पत्र हैं इसका प्रकाशन जबलपुर मध्य प्रदेश से होता हैं. समाचार पत्र 6 वर्षो से प्रकाशित हो रहा हैं , इसके कार्यकारी संपादक अमित द्विवेदी हैं .

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