कविताप्रत्यंचाभोपालमध्य प्रदेश

ढ़ाबे बने मैख़ाने, छलक रहे पैमाने

भारत भूषण विश्वकर्मा

वैसे तो भोपाल शहर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू है और सभी प्रकार के अपराधों पर लगाम कसने के लिए निरंतर नए उपाय भी अमल में लाए जा रहे हैं। लेकिन अवैध रूप से गैर अनुमति ढाबों और भोजनालयों में शराब खोरी आज भी बदस्तूर जारी है। ना सिर्फ शहरी सीमा में बल्कि भोपाल के ग्रामीण क्षेत्रों में भी ढाबों में अवैध रूप से जमकर शराब पिलाई जा रही है। पटीएबाजों के हिसाब से भोपाल के ढाबे सुरा प्रेमियों के लिए जन्नत बन गए हैं। एक तरफ ढाबों की आड़ में शराब पिलाकर संचालक खासी कमाई कर रहे हैं, तो दूसरी ओर जल्दी और ज्यादा पैसा कमाने की होड़ में अवैध रूप से शराब पिलाने का अपराध भी कर रहे हैं। हालांकि पुलिस और आबकारी विभाग द्वारा समय समय पर कार्यवाही की जाती है, लेकिन ऐसी कार्यवाही इन अवैध अहातों पर लगाम लगाने के लिए नाकाफ़ी है। ऐसी स्थिति में पटीएबाजों के बीच ये चर्चा आम हो चली है कि यदि ढाबों पर शराबखोरी बन्द नहीं कि जा सकती तो अहातों की तरह ही इनको भी वैध कर देना चाहिए, इससे कम से कम अवैध सुरापान अवैध तो नहीं कहलायेगा।

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