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हिंदू धर्म के मूल में है देश भक्ति: संघ प्रमुख मोहन भागवत

अनुभव अवस्थी

जे के बजाज और एम डी श्रीनिवास लिखित पुस्तक मेकिंग ऑफ ए हिंदू पेट्रियॉट- बैकग्राउंड ऑफ गांधीजीज हिंद स्वराज’ नाम की अंग्रेजी पुस्तक का विमोचन करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि जब तक मन में यह डर रहेगा कि आपके होने से मेरे अस्तित्व को खतरा है और आपको मेरे होने से अपने अस्तित्व पर खतरा लगेगा तब तक सौदे तो हो सकते हैं लेकिन आत्मीयता नहीं। स्वधर्म और देशभक्ति का जिक्र करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि हिंदू है तो उसे देशभक्त होना ही होगा क्योंकि उसके मूल में यह है। वह सोया हो सकता है जिसे खड़ा करना होगा लेकिन कोई हिंदू भारत विरोधी नहीं हो सकता। सरसंघचालक मोहन भागवत ने गांधी जी को सबसे बड़ा हिंदू देशभक्त बताया। उन्होंने कहा कि गांधी जी मानते थे कि अगर कोई स्वधर्म को नहीं समझता तो वो स्वराज को भी नहीं समझ सकता। अगर कोई हिंदू है तो वो देशभक्त होगा ही, वो राष्ट्रविरोधी नहीं हो सकता ।

मेकिंग आफ ए हिन्दू पैट्रियट: बैकग्राउंड आफ गांधी जी हिन्द स्वराज’

जेके बजाज और एम डी श्रीनिवास द्वारा लिखी गई ‘मेकिंग आफ ए हिन्दू पैट्रियट: बैकग्राउंड आफ गांधीजी हिन्द स्वराज’ व्यापक शोध पर आधारित पुस्तक के विमोचन समारोह में,
सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि इस किताब के नाम और मेरे द्वारा इसके विमोचन करने से कुछ लोग ये अटकलें लगा सकते हैं कि इसमें गांधी जी को अपने हिसाब से परिभाषित करने की कोशिश की गई होगी। लेकिन मैं उन लोगों को बताना चाहता हूं कि ‘महापुरुषों को कोई अपने हिसाब से परिभाषित नहीं कर सकता।’ जिनका इससे विभिन्न मत है,वह भी शोध कर लिख सकते हैं।

एकता में अनेकता, अनेकता में एकता यही भारत की मूल सोच’

भागवत ने कहा कि यह एक प्रामाणिक शोध है। जिसको शोधकर्ताओं ने परिश्रमपूर्वक खोजबीन करके तैयार किया है। सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि गांधी जी ने कहा था, ‘मेरी देशभक्ति मेरे धर्म से निकलती है। एक बात साफ है कि हिन्दू है तो उसके मूल में देशभक्त होना ही पड़ेगा। स्वराज्य तब तक आप नहीं समझ सकते जब तक आप स्वधर्म को नहीं समझते। गांधी जी कहते है कि मेरा धर्म पंथ धर्म नहीं बल्कि मेरा धर्म तो सर्व धर्म का धर्म है। सरसंघचालक ने कहा, मतभेदों का अर्थ अलगाववाद नहीं होता है। एकता में अनेकता, अनेकता में एकता यहीं भारत की मूल सोच है। सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि अगर कोई हिन्दू है तब वह देशभक्त होगा और यह उसका बुनियादी चरित्र एवं प्रकृति है । संघ प्रमुख ने महात्मा गांधी की उस टिप्पणी को उद्धृत करते हुए यह बात कही जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी देशभक्ति की उत्पत्ति उनके धर्म से हुई है ।

हिंदू को देश भक्त होना होगा

स्वधर्म और देशभक्ति का जिक्र करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि हिन्दू है तो उसे देशभक्त होना ही होगा क्योंकि उसके मूल में यह है। वह सोया हो सकता है जिसे जगाना होगा, लेकिन कोई हिन्दू भारत विरोधी नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि जब तक मन में यह डर रहेगा कि आपके होने से मेरे अस्तित्व को खतरा है और आपको मेरे होने से अपने अस्तित्व पर खतरा लगेगा तब तक सौदे तो हो सकते ,हैं लेकिन आत्मीयता नहीं। भागवत ने कहा कि अलग होने का मतलब यह नहीं है कि हम एक समाज, एक धरती के पुत्र बनकर नहीं रह सकते। उन्होंने कहा कि एकता में अनेकता, अनेकता में एकता यहीं भारत की मूल सोच है ।

pratyancha web desk

प्रत्यंचा दैनिक सांध्यकालीन समाचार पत्र हैं इसका प्रकाशन जबलपुर मध्य प्रदेश से होता हैं. समाचार पत्र 6 वर्षो से प्रकाशित हो रहा हैं , इसके कार्यकारी संपादक अमित द्विवेदी हैं .

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