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विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजन के फैसले से अध्ययनरत गर्भवती महिलाओं के सामने आ सकती है समस्याएं

सुप्रीम कोर्ट परीक्षा आयोजन की याचिका पर कल फैसला देगा

  • जननी सुरक्षा भी प्राथमिकता हो।

अनुभव अवस्थी

आज सम्पूर्ण भारत कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए संर्घष कर रहा । इस वायरस संक्रमण युक्त महामारी बहुत से जीवन को काल की गर्त में ढकेल दिया है।

देश की सरकार के साथ सभी प्रदेशों की सरकार इस महामारी से निपटने के लिए व जनमानस के जीवन को सुरक्षित करने हेतु हर एक प्रभावी कदम को लेकर प्रयास कर रही हैं। जांहें स्वास्थ्य मंत्रालय हो विश्व स्वास्थ्य संगठन सभी इस गंभीर वायरस संचारी बीमारी से बचने व इससे सुरक्षित रहने के लिए समय-समय पर अपने दिशा-निर्देश जारी कर रहे हैं। भारत में अब तक लगभग तीस लाख से ज्यादा लोग कोविड 19, के चपेट में आ चुके हैं।
ऐसे समय में जब देश में सभी भीड़ भाड़ वाले स्थान को बंद कर दिया है जिससे कि इस वायरस के संक्रमण को कम किया जा सके ।
बच्चे, वृद्ध व गर्भवती महिलाओं को घर पर ही रहने के लिए समय-समय पर सूचित किया जा रहा है, क्योंकि इस बीमारी का असर इन लोगों पर आसानी से पहुंच जाता है।
ज्यादातर घरों में रहने वाली गृहणी महिला भी इस बीमारी की चपेट में आ गई है। बहुत से केश ऐसे सामने आए हैं जिनमें घर पर रहने वाली गर्भवती महिलाओं को अपने संक्रमण के जाल में फंसा दिया है।
आज जब एक ओर देश इस गंभीर वायरस संक्रमण के कारण विषम परिस्थितियों के दौर से गुजर रहा है उस हालात में शिक्षा के क्षेत्र में अंतिम वर्ष की परीक्षा का आयोजन देश की गर्भवती महिलाओं के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। जननी सुरक्षा की बात करने वाले देश में इस असुरक्षित माहौल में आने के लिए मजबूर कर है ।
शिक्षा की ललक जगाए गर्भवती के सामने संकट की घड़ी आ रही।
देश में लगातार कोरोना संक्रमण के चलते बहुत से संगठन इस फैसले से नाखुश हैं । बहुत से छात्र

संगठन परीक्षा आयोजन न कराए जाने की मांग कर चुके।
परंतु उनके प्रयासों को पूरी तरह से सफलता हासिल नही हुई।
जिससे नाखुश होकर कुछ छात्रों ने कोर्ट की शरण ली है ।

इस फैसले से सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं को प्रभावित होना पड़ सकता है। कोरोना संक्रमण की बढ़ती संख्या को देखते हुए व उसके प्रभाव से गर्भवती महिलाओं में संक्रमण का असर जल्दी हो जाता है। जिससे जननी सुरक्षा की बात पर सवाल खड़ा हो सकता है।
आज के समय में देश के बहुत से ऐसे विश्वविद्यालय हैं जहां पर विवाहित महिलाएं अपने शैक्षिक स्तर को बढ़ाने के लिए शिक्षा ग्रहण कर रही हैं , और परिवारिक जिम्मेदारी का निर्वहन भी कर रही हैं । बहुत सी गर्भवती महिला भी अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए अध्ययनरत हैं। पर जिस तरह की विषय परिस्थितियों से आज पूरा देश सामना कर रहा है, तथा कोविड-19 के खिलाफ सभी आवश्यक दिशा-निर्देश का पालन करते हुए जंग लड़ रहा है,
ऐसे में विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षा के आयोजन की तैयारी इन गर्भवती महिलाओं को प्रभावित कर सकती हैं ।
विशेष कर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली गर्भवती महिलाओं के सामने समस्या है कि वे अपने परीक्षा केंद्र पर सुरक्षित पहुंचे ।
इसके लिए उन्हें अनेकों पहलूओं पर विचार करना होगा। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली गर्भवती महिलाओं के सामने परीवाहन एक बड़ी समस्या बन रहा है । कि आखिर कैसे स्वंय को सुरक्षित कर परिवहन से यात्रा कर अपनी शैक्षिक सत्र को बचा सकें , क्योंकि यदि परिक्षा छूटती है तो अगले सत्र की परिक्षा में ही बैठने का मौका मिलेगा। और यदि किसी कारणवश परिवारिक जिम्मेदारी आ गई तो पूरा स्नातक सत्र प्रभावित हो सकता है।
और स्नातक कहलाने की बात से वंचित होना पड़ सकता है । अतः इस जो भी हो पर जननी सुरक्षा भी प्राथमिकता है ।

pratyancha web desk

प्रत्यंचा दैनिक सांध्यकालीन समाचार पत्र हैं इसका प्रकाशन जबलपुर मध्य प्रदेश से होता हैं. समाचार पत्र 6 वर्षो से प्रकाशित हो रहा हैं , इसके कार्यकारी संपादक अमित द्विवेदी हैं .

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