सोयाबीन किसान भाईयों के लिए समसामयिक सलाह

चंदन गौड़
मंदसौर | कृषि विज्ञान केन्द्र के डा. जी.एस. चुण्डावत वरिष्ठ वैज्ञानिक (पौध संरक्षण) के द्वारा मन्दसौर जिलें के चिरमोलिया, खेरखेडा, धलपट, गुराडिया प्रताप, मोतिपुरा, पायाखेडी, रिस्थल, रेवासदेवड़, धाकड़ी, बालागुढ़ा, बही, नारायणगढ़, बहादरी, रिछा, बुढ़ा, चिल्लोद पिपलिया, सिंदपन आदि गावों का भ्रमण कर पाया की कहीं-कहीं सोयाबीन की फसल में तनामक्खी का आक्रमण एंव एन्थ्रेक्नोज एंव जड़-सड़न रोग के लक्षण पायें है। अतः किसान भाईयों को समसामयिक सलाह दी जाती है।
सोयाबीन में तनामक्खी एंव एन्थ्रेक्नोज बीमारी का नियंत्रण
तनामक्खी क्षति के लक्षण
इस कीट की ईल्ली पौधे के तने में अपने अण्डे देती है तथा उसमें निकली ईल्लियां तना को खा कर खोखला कर देती है। जिसके कारण पौधा सुखने लगता औरत नाकोचीर के देखने पर ईल्ली नजर आती है। तनामक्खी को नियंत्रण के लिए थायोमिथोक्सम 12.60 $ लैम्बडासाय हेलोथ्रिन 9.5 प्रतिशत जेड.सी. की 125 मिली मात्रा के पूर्व मिश्रणको या क्लोर एन्ट्रानिलीप्रोल 18.5 प्रतिशत एस.सी. की 150 मिली मात्रा को 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।
सोयाबीन में एन्थ्रेक्नोज एवंजड़-सड़नरोग
उपरोक्त रोग में सोयाबीन की पत्तियों एवं तना पर अनियमित आकृति के छोटे-छोटे धब्बे दिखाई देते है। जो कुछ दिनों बाद बड़े हो जाते है। जड़-सड़न रोग में पौध पीलापड़ कर सुखने लगताहै।
बीमारी का नियंत्रण
हेक्साकोनाजोल 5 प्रतिशत ई.सी. की 800 मिली मात्रा या टेबुकोनाजोल की 625 मिलीमात्रा या पायरो क्लोस्ट्रोबीन 20 प्रतिशत डब्ल्यू. जी. की 500 ग्राम मात्रा प्रति 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रतिहेक्टेयर की दर से छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।