जिला पीलीभीत में विधानसभा चुनाव में चारों सीटों पर भाजपा का कब्जा।


उत्तर प्रदेश में पीलीभीत की चारों विधान सभा सीटों पर एक बार फिर से भगवा का परचम जमकर लहराया। योगी और मोदी की लहर में सभी गणित और दावे फेल हो गए, और विपक्षी दल किला भेदने में असफल हुए। विपक्षी दलों के सभी समीकरणों को ध्वस्त करते हुए एक बार फिर भाजपा की रीति और नीतियों पर विश्वास जताया गया। जिले में सपा व बसपा के दो पूर्व दिग्गज मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा।

पीलीभीत में चौथे चरण यानी 23 फरवरी को मतदान कराया गया था। जिले में विधानसभा की चार सीटें, बरखेड़ा, पूरनपुर, बीसलपुर और पीलीभीत हैं। इन सभी सीटों पर इस बार कुल 61.42 फीसदी मतदान हुआ था। यहां इस बार पूरनपुर में सबसे अधिक मतदान हुआ था. वहीं सबसे कम वोट बरखेड़ा में पड़े थे। यहां साल 2017 के चुनावों में जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों में सत्ताधारी दल काबिज था। पीलीभीत भाजपा के गढ़ के रूप में जाना जाने लगा था।

जिले की सदर और पूरनपुर सीट पर भाजपा से वर्तमान विधायक संजय सिंह गंगवार और बाबू राम पासवान किस्मत आजमा रहे थे। जबकि बरखेडा सीट पर भाजपा ने विधायक किशन लाल राजपूत की जगह जयद्रथ उर्फ स्वामी प्रवक्तानंद को उतारा था, जो कि हाल ही में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीत कर आए थे। तो बीसलपुर सीट पर मौजूदा विधायक रामसरन वर्मा की जगह उनके बेटे विवेक वर्मा को टिकट दे रखा है। तराई बेल्ट में आने वाले पीलीभीत जिले में सिख वोटर काफी अहम हैं।

जनपद में पीलीभीत सदर विधानसभा सीट के चुनावी मुकाबले को लेकर शुरुआत से ही कांटे की टक्कर होने की संभावना जताई जा रही थी। चुनाव परिणाम ने भी इसे चरितार्थ कर दिया है। इस सीट पर भाजपा के मौजूदा विधायक संजय सिंह गंगवार ने कड़े मुकाबले में जीत दर्ज करने में कामयाबी हासिल कर ली। भाजपा हाईकमान ने इस बार के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जब प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की तो बरखेड़ा विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा विधायक किशनलाल राजपूत का टिकट काटने का फैसला चौंकाने वाला रहा। भाजपा आलाकमान ने इस सीट के जातीय समीकरणों के मद्देनजर स्वामी प्रवक्तानंद को चुनावी समर में उतारने का निर्णय लिया। मतदाताओं ने भाजपा प्रत्याशी स्वामी प्रवक्तानंद पर ही भरोसा जताते हुए बंपर तरीके से वोट डाले।

तराई के जिला की बीसलपुर विधानसभा सीट के मौजूदा विधायक रामसरन वर्मा कई बार विधायक चुने गए थे। इस बार उन्होंने अपनी उम्र तथा स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए खुद के बजाय अपने पुत्र विवेक कुमार वर्मा को टिकट दिए जाने का भाजपा आलाकमान से आग्रह किया था। जिसके चलते पार्टी ने विवेक वर्मा को चुनावी समर में उतार दिया। समाजवादी पार्टी ने जातीय समीकरणों के मद्देनजर दिव्या गंगवार को टिकट दिया। वहीं बसपा ने अनीस अहमद खां फूल बाबू को प्रत्याशी बनाया था।समीकरणों के कारण इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना जताई जा रही थी। लेकिन भाजपा के विवेक वर्मा की जीत से यह कहा जा रहा है कि यहां सभी वर्गों के वोटों का विभाजन हो गया। जो कि भाजपा के पक्ष में गया। और विवेक वर्मा की जीत हुई।

भाजपा ने अपने मौजूदा विधायक बाबूराम पासवान को दोबारा टिकट देकर चुनावी समर में उतारा। वहीं सपा हाईकमान ने पूर्व विधायक पीतम राम की पुत्रवधू आरती महेंद्र को टिकट दिया। चूंकि चुनाव के ऐन पहले पूर्व विधायक का निधन हो गया था। वर्तमान विधायक बाबू राम पासवान के लिए 20 फरवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसभा ने जीत की उम्मीद पूरी कर दी। जिसके बाद भाजपा प्रत्याशी बाबूराम पासवान के पक्ष में तेजी से चुनावी समीकरण बनने लगे। हालांकि तीन कृषि कानूनों के विरोध में चले किसान आंदोलन में पूरनपुर के सिख फार्मर की सक्रिय भागीदारी रहने को भी चुनाव नतीजा प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन भाजपा अपनी चुनाव रणनीति में कामयाब हो गई।