राजनीति की लालसा में गुम है बिहार की गौरवगाथा

रश्मि राजपूत
प्राचीन सभ्यता के इतिहास में बिहार की अग्रिम भूमिका है! बिहार वही ऐतिहासिक जगह है जहाँ भगवान बुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ तो सर्वप्रथम लोकतंत्र की नींव भी बिहार के वैशाली जिले में रखी गई! सिस्टम की अनदेखी का शिकार हुआ हमारा बिहार वरणा गुप्तकाल के दौरान बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय विश्वभर में अपनी शैक्षणिक साख के लिए प्रसिद्ध था! यहाँ पढ़ने दुनियाभर के छात्र आते थे! बाद में मुस्लिम शासकों के आक्रमणों ने नालंदा विश्वविद्यालय को तहस-नहस कर दिया! आज भी खंडहर मौजूद हैं लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण इसपर गंभीर विचार नहीं किया गया विश्वपटल पर फिर से छायांकित करवाने का! यह भगवान बुद्ध व महावीर की भूमि है! आज भी यहाँ बौद्धिक अवशेष मिलते हैं! बिहार का राजगीर क्षेत्र मौर्यकालीन राजा बिबिंसार की राजधानी रहा है! नारी सशक्तिकरण का भी बेमिसाल उदाहरण सर्वप्रथम बिहार में ही देखने को मिला! विश्वप्रसिद्ध सुंदरी आम्रपाली जो की लिच्छवि राज्य में वैशाली की एक गणिका थी जिसने अपनी बुद्धिमत्ता व सुंदरता से ये साबित कर दिया था कि स्त्री अपनी शक्ति से हर क्षेत्र में परचम लहरा सकती है! अपनी वैशाली यात्रा के दौरान बहुत महारानियों का निमंत्रण प्रस्ताव के बाद भी भगवान बुद्ध आम्रपाली के साथ भोज लेने का निर्णय लिया था! बिहार की आम्रपाली महिला शक्ति का जीता-जागता उदाहरण पेश करती हैं! बिहार प्रत्येक समुदाय के प्रेम का उदाहरण है! सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह की धरती है बिहार! सिखों के पांच पवित्र स्थलों में एक राजधानी पटना में स्थित गुरुद्वारा पटना साहिब भी है! अर्थशास्त्र के रचयिता कौटिल्य (चाणक्य) का जीवन भी बिहार की धरती पर ही व्यतीत हुआ! प्राचीन दस्तावेजों में बिहार का उल्लेख अहम है! लेकिन सरकार की उदासीनता व लचर व्यवस्था के कारण हम अपनी अनमोल धरोहर को हिफाजत करने के बजाये धीरे-धीरे समाप्त कर रहे हैं! क्या आने वाली पीढ़ियों को हम अपनी इस धरोहर को दे पाएंगे ये सोचनिय है! आज जब अयोध्या में राममंदिर का भूमि पूजन हुआ तो बात बिहार की भी होनी चाहिए क्योंकि श्रीराम जी की पत्नी माता सीता जी का भी अनमोल रिश्ता बिहार से रहा है! सीता जी का जन्म बिहार के मिथिला में हुआ था जिसे आज सीतामढ़ी कहा जाता है! सीता राजा जनक की पुत्री थी! जनक के राज्य में आधुनिक उत्तर मध्य बिहार के मुज़फ्फरपुर, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, मधुबनी जैसे वर्तमान जिले शामिल थे! अग्निपरीक्षा के बाद जब सीता वनवास पर चलीं गयीं थीं तो उन्हें बिहार के वनक्षेत्र में महर्षि वाल्मीकि जी के आश्रम में प्रश्रय मिला जो अभी गंडक के किनारे बसे वाल्मीकि नगर के नाम से जाना जाता है! यहीं लव-कुश का भी जन्म हुआ! बिहार ही वह राज्य है जहाँ सर्वप्रथम गणतंत्र की शुरुआत हुई थी! भले ही आज भ्रष्ट सिस्टम की अनदेखी का भेंट चढ़ गया है हमारा बिहार लेकिन हमारा इतिहास अतुलनीय है जो विश्वपटल पर गहरी छाप छोड़ता है! हमारा बिहार विहार शब्द से बना है जिसका अर्थ बौद्ध भिक्षुओं के आराम का स्थान है! बारहवीं सदी के मुस्लिम शासकों ने बिहार कहना शुरू कर दिया! राजनीतिक शक्ति में भी हमारा सर्वप्रथम उदय हुआ है! बिम्बिसार को मगध साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है! कभी पाटलीपुत्र, पाटली ग्राम, अजीमाबाद, पालिबोपरा और पालिनफ के नाम से भी जाना जाता है! यह डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद की धरती है! वह भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने! गांधी जी के पहले आन्दोलन की शुरुआत भी चंपारण से हुई! आजादी के बाद जयप्रकाश नारायण आन्दोलन को कौन भूला सकता! जेपी आंदोलन सिर्फ बिहार नहीं बल्कि पूरे देश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति में बदलाव हुआ था! बिहार की ऐतिहासिक जानकारी सिर्फ अवशेषों से नहीं बल्कि वेदों, पुराणों, महाकाव्यों के अलावा विश्व के लेखकों के यात्रा वृतांत में भी देखने को मिलता है! ऐसी थी हमारी सभ्यता बिहार का सासाराम शेरशाह सूरी का केन्द्र था जिन्हें सार्वजनिक निर्माण के लिए भी जाना जाता है! बात अगर कला की जाए तो हमारी मधुबनी व मंजूषा चित्रकला धरोहर विख्यात है! एक समय जब नालंदा व विक्रमशिला विश्वविद्यालय प्राचीन बिहार के गौरवशाली अध्ययन केन्द्र थेलेकिन आज फेल छात्रों को भी पास कर देना क्या इससे हम अपनी गौरवशाली इतिहास को दोहरा पाएंगे! राजनीतिक लालसा की पूर्ति के नतीजे के कारण आज बिहार की शैक्षणिक स्थिति दयनीय है! ये वही बिहार है जहाँ से सबसे अधिक आईपीएस व आईएएस बनते हैं! बिहार पारंपरिक त्योहार व परंपरा की धरती है चाहे छठ हो या मधु श्रावणी जैसे अनेकों त्योहार! इतनी गौरवशाली इतिहास के बावजूद हमारी स्थिति ऐसी क्यों तो आखिर क्यों हमारे के मजदूर पलायन पर मजबूर जबकि चीनी कारखाना बिहार में 1960तक बिहार में अग्रणी चीनी उत्पादक उसके बाद मिल को जंग लगा खास्ता हाल में पहुँचा दिया क्या इस मिल को चालू कर रोजगार उत्पादन नहीं हो सकता! सोनपुर का पशु मेला जो विश्वप्रसिद्ध था आज उस मेले में लोगों का कमाना भी दूभर हो गया! मक्का, गन्ना, केला इत्यादि का दाम नहीं किसानों की स्थिति दयनीय! कुटीर उद्योग को बढ़ावा नहीं देना! क्या इसके लिए आम जनता जिम्मेदार है या सत्ता में बैठे दीमक की तरह चट करने वाले हमारे अपने ही चुने हुए जनप्रतिनिधि! सबसे महत्वपूर्ण बिहार अपने सौ वर्षों के सैकड़ों उद्योग ही नहीं गंवाए बल्कि वैश्वीकरण के दौर में भी बहुत योजनाओं को कार्यान्वित भी नहीं कर पाया! बिहार को अगर विश्वस्तरीय पर ले जाना है तो फिर से प्रारंभिक अनुसंधान से शुरुआत करनी होगी! वास्तविक ज्ञान को बढ़ावा देना होगा! भागलपुर को सिल्क नगरी कहा जाता है यहाँ भी रोजगार की संभावनाएं हैं लेकिन सरकार की उदासीनता के शिकार यहाँ के बुनकर हैं! पूर्वी चंपारण गांधी की भूमि है जहाँ गन्ने की खेती व चीनी उद्योग की भूमि को रसातल में पहुंचा दिया सिस्टम की अनदेखी ने! दुनिया के किसी भी जगह 73 साल से हर साल बाढ़ नहीं आती! लेकिन बिहार में बाढ़ आना कागजी विकास, बेहाल जनमानस व लूटेरे तंत्र की कुव्यवस्था का जीता जागता उदाहरण है! जहाँ आज बिहार में करोड़ों रूपये के लागत की पूल साल भर में ही धराशायी हो जाते हैं भ्रष्टाचार के बहार से वहाँ 2200 साल पुराना हमारा सिंह स्तंभ ऐसे ही खड़ा है वैशाली में जो सरकारी व्यवस्था से उचित रखरखाव का राह देख रहा है! इतनी क्षमताओं के बाद भी हमारे लोग पलायन के लिए मजबूर हैं ये भ्रष्ट सिस्टम का नतीजा है जिसमें विकास की राजनीति सिर्फ कागजों पर दर्ज है धरातल पर सिर्फ दिखावा! आखिर कब तक खामोश रहेंगे इस कुव्यवस्था पर कभी तो बदलाव का दौर आएगा क्या हम अपनी सभ्यता को खो देंगे आसानी से ये बड़ा सवाल है जो हर बिहारी के मन में कौंध रहा है आखिर कब तक खामोश!