5 अगस्त को अयोध्या में होगा भूमिपूजन
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण में अपना सर्वस्व समर्पित करने वाले आदरणीय स्व०श्री अशोक सिंघल जी के सपने साकार होते हुए।

अयोध्या । करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ी श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए बहुत लोगों ने संघर्ष किया । अपना सम्पूर्ण भव्य मंदिर निर्माण के लिए समर्पित कर दिया। लगातार ईश्वरीय आस्था से जुड़ी श्रीराम जन्मभूमि की पावन धरा पर रामलला के लिए ऐतिहासिक मंदिर बनाने का प्रयास अपने जीवन के अंत समय तक करते रहे । आज अब धीरे धीरे वह समय नजदीक आ रहा है जब उनका यह प्रयास जीवांत होने पर है । अपने जीवन में अनेक कठिनाई व विषम परिस्थितियों का सामना कर अपने मार्ग पर चलकर आज संवैधानिक व न्यायिक रूप से उनके सपनों को साकार हुये हैं । 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में भव्य श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का भूमि पूजन की तारीख तय हुई है।
अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण के लिए अपना सर्वस्व समर्पित करने वाले अशोक सिंघल जी के सपनों को साकार करते हुए मंदिर निर्माण की नींव की भूमि पूजन की तारीख तय हुई है।
अशोक सिंघल का जन्म 15 सितम्बर 1926 को आगरा में हुआ था। उनके पिता एक सरकारी दफ्तर में कार्यरत थे। 1942 में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े।उन्होने 1950 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (अब, आई आई टी) से मेटलर्जी साइंस में इंजीनियरिंग पूरी की। इसके बाद उन्होंने नौकरी को न चुनते हुए समाज सेवा का मार्ग चुना और आगे चलकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बन गये। उन्होंने उत्तर प्रदेश और आस-पास की जगहों पर आरएसएस के लिये लंबे समय के लिये काम किया और फिर दिल्ली-हरियाणा में प्रांत प्रचारक बने। वे लगातार लोगों को मंदिर निर्माण के लिए लोगों को संगठित करते रहे।
1975 से 1977 तक देश में आपातकाल और संघ पर प्रतिबन्ध रहा।आपातकाल के बाद वे दिल्ली के प्रान्त प्रचारक बनाये गये। 1981 में डा. कर्ण सिंह के नेतृत्व में दिल्ली में एक विराट हिन्दू सम्मेलन हुआ , इस विशाल सम्मेलन के पीछे शक्ति अशोक सिंघल और संघ की थी। उसके बाद अशोक सिंघल को विश्व हिन्दू परिषद के कार्य की जिम्मेदारी दी गई।
इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण है श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आन्दोलन, जिससे परिषद का काम गाँव-गाँव तक पहुँच गया। इसने देश की सामाजिक और राजनीतिक दिशा में एक नया बदलाव ला दिया।
एक समय में तो अटल बिहारी बाजपेई की सरकार के दौरान ही अशोक सिंघल अयोध्या में राम मंदिर की मांग को लेकर अनशन पर बैठ गए थे । हालांकि जबरन अनशन तुड़वा दिए जाने के बाद अशोक सिंघल को दुख पहुंचा था।
अशोक सिंघल ने दो नारे दिए थे – ‘जो हिंदू हित की बात करेगा, वही देश पर राज करेगा।’, ‘अयोध्या तो बस झांकी है, काशी मथुरा बाकी है।’ इन नारों की वजह से धर्म के प्रति आस्था रखने वाले अशोक सिंघल से काफी प्रभावित हुए।
अशोक सिंघल ने बहुत कम उम्र में ही खुद को संघ को समर्पित कर दिया था। 1980 में उन्हें विश्व हिंदू परिषद में भेज दिया गया, जहां उन्हें जॉइंट जनरल सेक्रेटरी पद दिया गया। इसके बाद साल 1984 में वह जनरल सेक्रेटरी बने और बाद में कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर आसीन हुए। 2011 के बाद वह संगठन के अतंरराष्ट्रीय संरक्षक बने।
राम जन्मभूमि आन्दोलन
1984 में दिल्ली के विज्ञान भवन में एक धर्म संसद का आयोजन किया गया। सिंघल इस के मुख्य संचालक थे। यहीं पर राम जन्मभूमि आंदोलन की रणनीति तय की गई। यहीं से सिंघल ने पूरी योजना के साथ कारसेवकों को अपने साथ जोड़ना शुरू किया। उन्होने देश भर से 50 हजार कारसेवक जुटाये। सभी कारसेवकों ने राम जन्म भूमि पर राम मंदिर स्थापना करने की कसम देश की प्रमुख नदियों के किनारे खायी।
समस्त जानकारी को विकिपीडिया से प्राप्त किया है।
आगामी 5 अगस्त 2020 को श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट क्षेत्र ने भूमि पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को भी आमंत्रित किया गया है।
अशोक सिंघल के मंदिर निर्माण के योगदान के लिए अपना सर्वस्व समर्पित करने के लिए हमेशा याद रखा जाएगा।