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देश को समर्पित अटल टनल लगभग बनकर तैयार

10 हजार फीट ऊंचाई पर बनी यह दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है

अनुभव अवस्थी सब एडिटर प्रत्यंचा

1860 में पहली बार मोरावियन मिशन ने रोहतांग दर्रे से होते हुए लाहौल तक पहुँचने के लिए एक सुरंग की संभावना के बारे में बात की। लगभग 139 वर्षों के बाद जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने उन्होंने रोहतांग सुरंग को बनाने के लिए जोर दिया । 3 जून 2000 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने घोषणा की कि रोहतांग सुरंग का निर्माण किया जाएगा।

10 हजार फीट (3 हजार मीटर) की ऊंचाई पर स्थित यह सुरंग 9 किमी लंबी है। इतनी ऊंचाई पर बनी यह दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है। दरअसल, इसी साल मई में सुरंग का काम पूरा होना था, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसमें वक्त लग गया। पीर पंजाल की पहाड़ियों को काटकर बनाई गई सुरंग के कारण लेह और मनाली के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई है।
मई, 1990 में इस प्रोजेक्ट के लिए अध्ययन शुरू किया गया था। सीमा सड़क संगठन के अधिकारियों के अनुसार, इस प्रोजेक्ट को 2003 में अंतिम तकनीकि स्वीकृति मिली। इसके बाद जून, 2004 में इस परियोजना को लेकर भू-वैज्ञानिकों की रिपोर्ट पेश की गई थी।

साल 2005 में सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी की स्वीकृति मिली और दिसंबर, 2006 में परियोजना के आकार और विशेष विवरण की रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया गया।
2007 में इसके लिए निविदा आमंत्रित की गई। आखिरकार, जून, 2010 में ‘अटल सुरंग’ बनना शुरू हुई। इस परियोजना को फरवरी 2015 में ही पूरा होना था, लेकिन कुछ कारणों से इसमें देरी हुई। शुरुआत में यह परियोजना 8.8 किमी लंबी थी, लेकिन पूरा होने के बाद ली गई जीपीएस रीडिंग इसे 9 किमी लंबा दिखाती है।

यह सुरंग अत्याधुनिक तकनीकों और सुविधाओं से लैस है। इस सुरंग में सीसीटीवी कैमरे, लाइट सेविंग सेंसर सिस्टम, प्रदूषण रोकने के लिए सेंसर, ऑक्सीजन लेवल बनाए रखने के लिए विंड टरबाइन, आग हादसे को रोकने के लिए सिस्टम समेत कई तकनीकों का उपयोग किया गया है। अटल सुरंग में दो सुरंग बनाए गए हैं। एक सुरंग में हादसे जैसी बाधाओं के होने पर दूसरी सुरंग का इस्तेमाल किया जा सकेगा। दूसरी सुरंग भी मुख्य सुरंग की तरह 8.8 किलोमीटर लंबी है। मुख्य सुरंग से दूसरी सुरंग में जाने के लिए कई रास्ते बनाए गए हैं जिसमें ट्रैफिक को डायवर्ट किया जा सकता है। सुरंग के अंदर सेंसर युक्त लाइटिंग सिस्टम है। वाहन के आते ही लाइट जलने लगेंगी और उसके गुजर जाने के बाद वह खुद ही बंद हो जाएंगी। अटल सुरंग की सबसे बड़ी खूबी यही है कि बर्फबारी की वजह से छह महीने के लिए दुनिया से कटने वाली लाहौल स्पीति घाटी तक इसके जरिए पूरे वर्ष में कभी भी पहुंचा जा सकेगा।

pratyancha web desk

प्रत्यंचा दैनिक सांध्यकालीन समाचार पत्र हैं इसका प्रकाशन जबलपुर मध्य प्रदेश से होता हैं. समाचार पत्र 6 वर्षो से प्रकाशित हो रहा हैं , इसके कार्यकारी संपादक अमित द्विवेदी हैं .

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