हरियाणा

पंजाब के बाद अब हरियाणा में भी प्राईवेट स्कूल में फीस जमा कराने के निर्देश।

अनुभव अवस्थी सब एडिटर प्रत्यंचा

हरियाणा । आज जहां एक ओर देश में नागरिक कोरोना संक्रमण का दंश झेल रहा है , तथा अपने आर्थिक नुकसान उठा रहा है वहीं दूसरी ओर देश में अब पंजाब के बाद हरियाणा राज्य के स्कूल फीस माफ मामले में राहत की उम्मीद लगाए बैठे हरियाणा के प्राईवेट स्कूलों में पढ़ाने वाले छात्रों के अभिभावकों को उनकी आशा के विपरित निराशा हाथ लगी है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य के सभी प्राईवेट स्कूलों में एडमिशन और ट्यूशन फीस जमा कराने की इजाजत दे दी है। इनमें ऐसे स्कूल भी शामिल हैं, जिन्होंने लॉकडाउन में किसी भी प्रकार की ऑनलाइन क्लास नहीं लगायी है। कोर्ट के इस फैसले से हरियाणा राज्य की जनता की बेचैनी को बढ़ा दिया है। राज्य में अभिभावक लॉकडाउन के बाद से ही फीस माफ की मांग कर रहे थे । कोरोना वायरस के संक्रमण के दौर में आर्थिक नुकसान का हवाला देते हुए स्कूलों के द्वारा ली जाने वाली फीस को माफ करने की लगातार आवाज उठ रही थी।
इससे पहले पंजाब के भी प्राईवेट स्कूलों के लॉकडाउन के कारण बंद स्कूल के चलते फीस माफ मामले में हाईकोर्ट ने प्राईवेट स्कूलों को बड़ी राहत भरा आदेश देते हुए उन्हें एडमिशन और ट्यूशन फीस जमा करवाने की इजाजत दी थी। राज्य हाईकोर्ट ने कहा था कि लॉकडाउन में चाहे किसी भी प्राईवेट स्कूल ने ऑनलाइन क्लास लगाई हो या नहीं सभी प्राईवेट स्कूल इस समय तक की ट्यूशन फीस अभिभावकों से ले सकते हैं। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने अभिभावकों को राहत देते हुए सभी प्रकार के प्राईवेट स्कूलों को किसी भी अन्य मद की फीस बढ़ोत्तरी नहीं करने के आदेश दे दिए थे। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में पंजाब सरकार के स्कूल फीस जमा कराने के आदेश को मंजूरी दे दी थी। जिसके तहत सत्र 2020-21 में फीस न बढ़ाए जाने की बात कही गई थी। जिससे लोगों को अतिरिक्त आर्थिक भार को न उठाना पड़े । तथा साथ ही यह भी कहा कि , लॉकडाउन में स्कूल से संबंधित जिस सुविधा पर किसी भी प्रकार का कोई खर्च न हुआ हो, उस खर्च को फीस में न जोड़ें । वार्षिक शुल्क, परिवहन से संबंधित फीस और बिल्डिंग रखरखाव फीस के संबंध में हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों को आदेश दिया है कि वह यह तय करें कि लॉकडाउन के दौरान जितने समय स्कूल बंद रहे हैं, इनमें से इस समयांतराल में जिस पर किसी भी प्रकार का खर्च हुआ है वही निर्धारित शुल्क जमा करवा सकते हैं। जिस सुविधा पर उनका कोई राशि खर्च नहीं हुई है, वह उस फीस की वसूली नहीं कर पाएंगे। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया है कि जो अभिभावक फिलहाल लॉकडाउन के कारण खराब आर्थिक नुकसान में हैं और फीस जमा करने की स्थिति में नहीं है , वे इस संबंध में हाईकोर्ट ने अभिभावकों को स्कूल में स्पष्टीकरण दिए जाने का आदेश दिया है और प्राईवेट स्कूलों को कहा है कि अगर उनके पास ऐसा कोई आवेदनआता है तो वे इस पर संवेदनशीलता से गौर कर निर्णय लें। चाहे तो फीस माफ की जा सकती है या बाद में टुकड़ों में ली जा सकती है। इसके बावजूद भी अगर स्कूल कुछ नहीं करते हैं तो अभिभावक रेगुलेटरी बॉडी के समक्ष अपनी मांग रख सकते हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसा ही हाल आर्थिक तंगी का सामना कर रहे प्राईवेट स्कूलों के सामने भी है , राज्य की हाईकोर्ट ने आर्थिक संकट का सामना कर रहे प्राईवेट स्कूलों को भी राहत देते हुए कहा है कि वे अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी के समक्ष अपनी वित्तीय स्थिति की जानकारी देते हुए जरूरी दस्तावेज जमा करवाएं। उस पर गौर कर जिला शिक्षा अधिकारी तीन सप्ताह में फैसला करेंगे। निजी स्कूल ऐसा तभी कर पाएंगे अगर उनकी आर्थिक स्थिति बेहद ही खराब है और उनके पास कोई रिजर्व फंड नहीं है।

Tags

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button
Close
%d bloggers like this: