
एक तरफ जहां सरकार लगातार भारत में अपने अच्छे दिन लाने के वादे को निभाने के लिए अथक प्रयास कर रही थी , तथा देश में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए औधोगिक क्षेत्र और सरकारी क्षेत्र में नियुक्ति को बढ़ाने के नये अवसरों को सृजित करने की तैयारी में लगी थी । देश के लाखों बेरोजगार युवाओं के भविष्य को संवारने और सुरक्षित करने हेतु रोजगार की संभावनाएं को बढ़ावा दे रही थी । ऐसे समय में समूचे विश्व में फैली कोरोना संक्रमण महामारी ने युवाओं के भविष्य को बेरोजगारी के गर्त में फिर से ढकेल दिया है। आज हम अगर कोविड-19 में औद्योगिक क्षेत्र की बात करें तो उसमें इस समस्या के चलते उत्पाद घटने, अनेकों औद्योगिक गतिविधियां रुकने और थोक व फुटकर में सामान्य खरीद-फरोख्त व घूमने-फिरने से बचने का असर करोड़ों लोगों पर पड़ा है। कोरोना की वजह से दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शुमार देशों में करोड़ों नागरिक रोजगार गंवा रहे हैं। लॉकडाउन और आर्थिक गतिविधियां सीमित होने के बाद इसका असर अब नजर आने लगा है। देश में कोरोना संक्रमण महामारी के चलते 41 लाख युवाओं को नौकरी से बाहर होना पड़ा है । इसमें निर्माण और कृषि क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी सर्वाधिक प्रभावित हुए । अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और एशियाई विकास बैंक की संयुक्त रिपोर्ट में यह कहा गया है कि, एशिया और प्रशांत क्षेत्र में कोविड-19 युवा रोजगार संकट से निपटना’ शीर्षक से अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन- एशियाई विकास बैंक की मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है, भारत में 41 लाख युवाओं के रोजगार जाने का अनुमान है । सात प्रमुख क्षेत्रों में से निर्माण और कृषि क्षेत्र में सर्वाधिक लोगों के रोजगार गये हैं.’’ इसमें कहा गया है कि भारत में महामारी के दौरान कंपनी के स्तर पर दो तिहाई प्रशिक्षण (एप्रेन्टिसशिप) पर असर पड़ा । वहीं तीन चौथई इंटर्नशिप’ पूरी तरह से बाधित हुए हैं । रिपोर्ट में सरकारों से युवाओं के लिये रोजगार सृजित करने, शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को पटरी पर लाने और 66 करोड़ युवा आबादी के भविष्य को लेकर निराशा को कम करने के लिये तत्काल, बड़े पैमाने पर लक्षित कदम उठाने का आह्वान किया गया है । वर्ष 2019 में क्षेत्रीय युवा बेरोजगारी दर 13.8 प्रतिशत थी । वहीं वयस्कों 25 साल और उससे अधिक उम्र में यह मात्र 3 प्रतिशत ही थी । 16 करोड़ से अधिक युवा (आबादी का 24 प्रतिात) न तो रोजगार में थे और न ही शिक्षा या प्रशिक्षण में ।अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन रिपोर्ट की प्रमुख लेखिका और क्षेत्रीय आर्थिक और सामाजिक विश्लेषण इकाई की प्रमुख सारा एल्डर ने कहा कि युवाओं के सामने पहले से मौजूद रोजगार के संकट को कोरोना महामारी ने और अधिक बढ़ा दिया है। युवाओं में अपने रोजगार को बचाने को लेकर मानसिक तनाव से गुजरना पड़ रहा है।
अच्छे दिन आते आते इतने खराब दिन आये कि 41लाख लोगों को कोरोना संकट काल में बेरोजगार होना पड़ा
जिनके रोजगार कोरोना संकट काल में छिन गये वे बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं, उनमें से बहुत से ऐसे अभी भी ऐसे बेरोजगार हैं जो परिवार के जीवन-यापन करने के लिए रोजगार की तलाश में हैं।
यदि इस पर फोकस नहीं किया गया तो लॉकडाउन के कारण उपजी स्थितियां युवाओं को लंबे समय तक बेरोजगारी की ओर धकेल सकती है। रिपोर्ट के अनुसार क्षेत्र में हर पांच युवा कामगारों में चार असंगठित क्षेत्र में है और चार युवा कर्मचारियों में एक गरीबी में रहने को मजबूर है।
जहां एक ओर देश का युवा वर्ग सरकार से रोजगार के क्षेत्र में उसके कहे अनुसार अच्छे दिन आने से भविष्य के सपनों को साकार करने की सोच में डूबा था, कोरोना संक्रमण महामारी ने उसके सपनों को चकनाचूर कर दिया है । अब पुनः युवा वर्ग को भविष्य संवारने के लिए और धैर्य रखना होगा व सही समय का इंतजार करना होगा।